केजरीवाल का PM पर आरोप कहां-अमेरिकी कपास पर 11% टैक्स हटाना किसानों के साथ धोखा कर रहे ...
अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर अमेरिकी कपास पर 11% आयात शुल्क हटाने का आरोप लगाया, इसे भारतीय किसानों के साथ धोखा बताया। उन्होंने कहा कि इससे सस्ता अमेरिकी कपास भारतीय बाजार में आएगा, जिससे गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र और तेलंगाना के कपास किसानों को नुकसान होगा। केंद्र ने इसे टेक्सटाइल इंडस्ट्री की मांग बताया। AAP ने 7 सितंबर को गुजरात में रैली की घोषणा की।

नई दिल्ली, 28 अगस्त 2025: आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार पर भारतीय किसानों के हितों की अनदेखी करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अमेरिका से आयात होने वाले कपास पर 11% आयात शुल्क (इम्पोर्ट ड्यूटी) हटाकर देश के लाखों कपास किसानों के साथ "धोखा" किया है। यह छूट 19 अगस्त से 30 सितंबर 2025 तक 40 दिनों के लिए लागू की गई है। केजरीवाल ने इसे भारतीय किसानों की आजीविका पर हमला बताते हुए केंद्र के इस फैसले की कड़ी आलोचना की। दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने दावा किया कि यह निर्णय टेक्सटाइल इंडस्ट्री की मांग को पूरा करने और लागत कम करने के लिए लिया गया है।
केजरीवाल के आरोप: किसानों की पीठ में छुरा
केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अमेरिकी कपास भारतीय कपास से 15-20 रुपये प्रति किलो सस्ता है, जिसके कारण टेक्सटाइल इंडस्ट्री अब सस्ता अमेरिकी कपास खरीदेगी। इससे भारतीय किसानों की फसल, जो अक्टूबर में बाजार में आएगी, बिकने में मुश्किल होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र (विशेष रूप से विदर्भ), और तेलंगाना जैसे कपास उत्पादक राज्यों के लाखों किसान इस फैसले से प्रभावित होंगे। इन क्षेत्रों में पहले से ही किसानों की आत्महत्याओं की दर अधिक है, और यह निर्णय उनकी आर्थिक स्थिति को और बदतर कर सकता है।केजरीवाल ने कहा, "मोदी सरकार ने चुपके से 11% आयात शुल्क हटा दिया। जब हमारे किसानों का कपास बाजार में आएगा, तब तक टेक्सटाइल इंडस्ट्री अमेरिकी कपास खरीद चुकी होगी। हमारे किसानों को अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ेगी, या फिर खरीदार ही नहीं मिलेगा। यह किसानों की पीठ में छुरा घोंपने जैसा है।"
ट्रंप के टैरिफ और भारत की प्रतिक्रिया
केजरीवाल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने भारत के खिलाफ 50% टैरिफ लगाया, जिसका जवाब भारत को और सख्ती से देना चाहिए था। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिकी कपास पर 100% टैरिफ लगाना चाहिए था, जैसा कि चीन (125% टैरिफ), कनाडा, और यूरोपीय यूनियन जैसे देशों ने किया। इन देशों ने ट्रंप के टैरिफ का जवाब देकर उन्हें झुकने पर मजबूर किया। केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर "भीगी बिल्ली" बनने का आरोप लगाया और पूछा, "मोदी जी, आप ट्रंप के सामने क्यों झुके? यह भारत के सम्मान का सवाल है।"उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह निर्णय अदानी ग्रुप पर चल रहे कुछ मामलों के दबाव में लिया गया हो सकता है। केजरीवाल ने कहा, "क्या यह फैसला अदानी को बचाने के लिए लिया गया? देश जानना चाहता है कि मोदी सरकार की क्या मजबूरी थी।"
केंद्र का जवाब: टेक्सटाइल इंडस्ट्री की जरूरत
केंद्र सरकार ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि 11% आयात शुल्क हटाने का निर्णय टेक्सटाइल इंडस्ट्री की मांग पर आधारित है। सरकार का तर्क है कि सस्ते आयातित कपास से टेक्सटाइल उद्योग की लागत कम होगी, जिससे यह क्षेत्र और अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेगा। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस कदम से भारतीय किसानों पर पड़ने वाले प्रभाव को कैसे कम किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा का विरोध
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने भी इस फैसले की कड़ी निंदा की है। SKM ने इसे कपास किसानों के लिए "मृत्यु की घंटी" करार देते हुए कहा कि इससे घरेलू बाजार में सस्ते कपास की बाढ़ आएगी, जिससे कीमतें गिरेंगी और किसान आर्थिक संकट में फंस जाएंगे। संगठन ने मांग की है कि सरकार इस निर्णय को तत्काल वापस ले और कपास के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को C2+50% फॉर्मूले के तहत 10,075 रुपये प्रति क्विंटल तय करे।
AAP का आंदोलन: गुजरात में रैली
केजरीवाल ने घोषणा की कि AAP इस मुद्दे को लेकर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में, विशेष रूप से चोटिला में, 7 सितंबर को एक विशाल रैली आयोजित करेगी। यह क्षेत्र कपास उत्पादन का प्रमुख केंद्र है। उन्होंने कहा कि पार्टी इस फैसले के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन चलाएगी और किसानों के हक की लड़ाई लड़ेगी। केजरीवाल ने मांग की कि सरकार तुरंत 11% आयात शुल्क को बहाल करे और भारतीय किसानों के हितों की रक्षा करे।
यह विवाद भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों और भारतीय किसानों की आजीविका से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। केजरीवाल और AAP ने इसे एक राजनीतिक अवसर के रूप में देखते हुए केंद्र सरकार को घेरने की रणनीति अपनाई है, खासकर गुजरात जैसे कपास उत्पादक राज्यों में। दूसरी ओर, केंद्र सरकार टेक्सटाइल उद्योग के हितों को प्राथमिकता देने की बात कह रही है। इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में और तीखी बहस होने की संभावना है, क्योंकि किसान संगठन और विपक्षी दल इस फैसले के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं।