पूर्व राजपरिवार में फिर गहराया संपत्ति विवाद, बंध बारैठा कोठी की बिक्री पर विश्वेंद्र सिंह और अनिरुद्ध सिंह आमने-सामने.....
भरतपुर के पूर्व राजपरिवार में संपत्ति विवाद ने फिर तूल पकड़ा है। पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और उनके बेटे अनिरुद्ध सिंह बंध बारैठा कोठी की बिक्री को लेकर आमने-सामने हैं। अनिरुद्ध ने कोठी को राजपरिवार की पैतृक संपत्ति बताकर अवैध बिक्री का आरोप लगाया और कोर्ट जाने की धमकी दी। वहीं, विश्वेंद्र ने दावा किया कि कोठी उनकी निजी संपत्ति थी, जिसे उनकी पत्नी दिव्या सिंह ने बिकवाकर दिल्ली में फ्लैट खरीदा। विश्वेंद्र ने मोती महल की लूट का भी आरोप लगाया और हाईकोर्ट जाने की बात कही। यह ऐतिहासिक कोठी, जिसे महाराजा किशन ने बनवाया था, अब बैंक द्वारा कुर्की के बाद बिक्री की कगार पर है।

राजस्थान के भरतपुर के पूर्व राजपरिवार में संपत्ति को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार विवाद का केंद्र है बंध बारैठा की ऐतिहासिक कोठी, जिसे लेकर पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और उनके बेटे अनिरुद्ध सिंह के बीच तीखी जुबानी जंग छिड़ गई है। दोनों पक्षों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं, और मामला अब कोर्ट तक पहुंचने की कगार पर है।
बंध बारैठा कोठी विवाद: अनिरुद्ध सिंह का आरोप
अनिरुद्ध सिंह ने अपने X पोस्ट में दावा किया कि बंध बारैठा की कोठी, जिसे किशन महल के नाम से भी जाना जाता है, भरतपुर राजपरिवार की पैतृक संपत्ति है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कोठी को अवैध रूप से बेच दिया गया, बिना उनकी और उनकी मां, पूर्व सांसद दिव्या सिंह की सहमति के। अनिरुद्ध ने कहा, "उस समय मैं विदेश में पढ़ाई कर रहा था। मेरी मां और मैंने इस बिक्री की अनुमति नहीं दी थी।" उन्होंने इस बिक्री को अदालत में चुनौती देने और संपत्ति पर स्थगन आदेश (स्टे) लेने की बात कही है।अनिरुद्ध ने यह भी बताया कि करीब 15 साल पहले यह कोठी कर्नल अलावत और मिस्टर सुधीर विंडलैस को बेची गई थी। अब बैंक ने बकाया भुगतान न होने के कारण कोठी को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, और इसे भगत सिंह बिरहरू (लोहागढ़) द्वारा खरीदने की कोशिश की जा रही है।
विश्वेंद्र सिंह का पलटवार: "कोठी मेरी निजी संपत्ति थी
"पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अनिरुद्ध के आरोपों का जवाब देते हुए X पर लिखा कि बंध बारैठा की कोठी उनकी निजी संपत्ति थी, न कि राजपरिवार की पैतृक संपत्ति। उन्होंने दावा किया कि वह इस संपत्ति को बेचने के लिए अधिकृत थे। विश्वेंद्र ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी दिव्या सिंह ने उनसे जबरदस्ती लिखवाकर कोठी बिकवायी और उससे मिले पैसों से दिल्ली में अपने नाम से एक महंगा फ्लैट खरीदा। उन्होंने अनिरुद्ध के अवैध बिक्री के दावे को खारिज करते हुए कहा, "यह कहना कि कोठी को अवैध रूप से बेचा गया, पूरी तरह गलत है।
"मोती महल पर भी विवाद
विश्वेंद्र सिंह ने अपने पोस्ट में यह भी बताया कि अप्रैल 2021 से उन्होंने मोती महल परिसर में प्रवेश नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी और बेटे ने उनकी अनुपस्थिति का फायदा उठाकर मोती महल की बेशकीमती वस्तुएं, जैसे कि किवाड़, खिड़कियां, और यहां तक कि पुरखों का ऐतिहासिक झंडा तक बेच दिया। उन्होंने दावा किया कि मोती महल में स्थित मंदिरों की पूजा-अर्चना भी बंद कर दी गई है। विश्वेंद्र ने कहा, "मैं जल्द ही इस मामले को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में केस दायर करूंगा।"
बंध बारैठा कोठी का ऐतिहासिक महत्व
बंध बारैठा की कोठी, जिसे किशन महल के नाम से भी जाना जाता है, 1922 से 1926 के बीच महाराजा किशन सिंह द्वारा बनवाया गया था। यह कोठी लाल और सफेद पत्थरों से निर्मित है और इसका डिजाइन ब्रिटिशकालीन वास्तुकला की छाप लिए हुए है। कोठी का निर्माण शिकारगाह और ठहरने के उद्देश्य से किया गया था। इसके दरवाजों और खिड़कियों पर शेर और मोर की नक्काशी इसे और भी खास बनाती है। यह कोठी बंध बारैठा के जंगल में एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां से आसपास का खूबसूरत नजारा दिखता है।
पांच साल से चल रहा है विवाद
भरतपुर के पूर्व राजपरिवार में यह विवाद कोई नया नहीं है। पिछले पांच सालों से विश्वेंद्र सिंह, उनकी पत्नी दिव्या सिंह, और बेटे अनिरुद्ध सिंह के बीच तनाव बना हुआ है। इससे पहले भी अनिरुद्ध ने अपने पिता पर पैतृक संपत्तियों को बेचने के आरोप लगाए थे, खासकर मोती महल को लेकर। वहीं, विश्वेंद्र ने अपनी पत्नी और बेटे पर मारपीट, मानसिक उत्पीड़न, और संपत्ति हड़पने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। विश्वेंद्र ने 2024 में एसडीएम कोर्ट में वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने 5 लाख रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण की मांग की थी। हालांकि, एसडीएम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद कलेक्टर कोर्ट ने अनिरुद्ध को उनके पिता की देखभाल और घर की व्यवस्था करने का आदेश दिया था। विश्वेंद्र इस फैसले से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने हाईकोर्ट में रिट दायर करने की बात कही थी।
पंचायत और सामाजिक दबाव
इस विवाद ने न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक रूप भी ले लिया है। भरतपुर में 36 बिरादरी की पंचायत इस मामले में कूद पड़ी थी, और लोगों ने विश्वेंद्र सिंह से मुलाकात कर विवाद सुलझाने की कोशिश की थी। एक महापंचायत में इस मामले का हल निकालने की बात भी सामने आई थी।
क्या है आगे की राह?
यह विवाद अब कानूनी दायरे में और गहराता जा रहा है। अनिरुद्ध सिंह ने कोठी की बिक्री को अदालत में चुनौती देने की बात कही है, जबकि विश्वेंद्र सिंह ने मोती महल और अन्य संपत्तियों को लेकर हाईकोर्ट का रुख करने का ऐलान किया है। इस बीच, दोनों पक्षों की ओर से सोशल मीडिया पर लगातार बयानबाजी ने इस विवाद को और हवा दी है।भरतपुर के इस ऐतिहासिक राजपरिवार का यह पारिवारिक और संपत्ति विवाद न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे राजस्थान में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब यह देखना बाकी है कि कोर्ट में इस मामले का क्या हल निकलता है और क्या यह परिवार अपनी विरासत को बचा पाएगा।