मां ने बच्चे को डांटा तो नाराज बच्चा 400 किमी साइकिल चलाकर वृंदावन पहुंच गया और कहां प्रेमानंद महाराज से मिलना है.
मां की डांट से नाराज लखनऊ का सातवीं का छात्र अपनी साइकिल उठाकर 400 किमी दूर वृंदावन पहुंच गया, सिर्फ प्रेमानंद महाराज से मिलने की चाहत में! साइकिल और ट्रक की सवारी के साथ इस बच्चे ने दिखाया अनोखा साहस। पुलिस ने 3 दिन बाद वृंदावन के आश्रम से बच्चे को सुरक्षित बरामद कर परिजनों को सौंपा।

लखनऊ के पारा थाना क्षेत्र के बुद्धेश्वर इलाके से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां सातवीं कक्षा का एक छात्र अपनी मां की डांट से नाराज होकर घर से साइकिल लेकर निकल पड़ा और करीब 400 किलोमीटर की दूरी तय कर मथुरा के वृंदावन पहुंच गया। इस बच्चे का मकसद था प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से मिलना, जिनका वह बड़ा भक्त है। यह घटना 20 अगस्त 2025 की है, जिसने न केवल पुलिस बल्कि पूरे शहर को चौंका दिया।
क्या थी पूरी घटना?
लखनऊ के पिंक सिटी, बुद्धेश्वर में रहने वाले एक सर्राफ की धनियामहरी पुल के पास ज्वैलरी की दुकान है। उनका बेटा, जो पारा के एक स्कूल में सातवीं कक्षा में पढ़ता है, 20 अगस्त को अपनी मां से किताब खरीदने के लिए 100 रुपये मांगा। मां ने उसे पढ़ाई में लापरवाही के लिए डांटा और कहा, "तुम पढ़ाई नहीं करते, जब पापा आएंगे तब रुपये मिलेंगे।" इस बात से नाराज होकर बच्चे ने दोपहर करीब 4:15 बजे अपनी रेंजर साइकिल उठाई और घर से निकल गया। उसका इरादा था वृंदावन जाकर प्रेमानंद महाराज से मिलना और अपनी बात उनके सामने रखना।
400 किमी का साहसिक सफर
बच्चे ने लखनऊ से मथुरा की दूरी अपनी मां के मोबाइल पर गूगल सर्च की और फिर साइकिल पर सवार होकर निकल पड़ा। उसने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर करीब 70 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय की। यह चौंकाने वाली बात है, क्योंकि इस एक्सप्रेसवे पर साइकिल चलाना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद, बच्चा बांगरमऊ कट तक पहुंच गया। वहां से उसने एक ट्रक की सवारी की और आगरा पहुंचा। आगरा से वह फिर साइकिल पर सवार होकर यमुना एक्सप्रेसवे होते हुए वृंदावन पहुंच गया। वृंदावन पहुंचकर उसने अपनी शर्ट साइकिल के हैंडल पर बांधी और "राधा-राधा" का जाप करते हुए प्रेमानंद महाराज के आश्रम की ओर बढ़ा।
पुलिस की तत्परता और बच्चे की बरामदगी
जब बच्चा देर शाम तक घर नहीं लौटा, तो परिजनों ने चिंता में खोजबीन शुरू की। कोई सुराग न मिलने पर उन्होंने रात 8 बजे पारा थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव के निर्देश पर मोहान रोड चौकी प्रभारी सचिन कौशिक ने जांच शुरू की। पुलिस ने आसपास के करीब 100 सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जिसमें बच्चा साइकिल से जाता दिखा। एक फुटेज में उसे काकोरी के रेवरी टोल प्लाजा पर देखा गया। जांच में यह भी पता चला कि उसने मां के फोन पर लखनऊ से मथुरा की दूरी सर्च की थी। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज का पीछा करते हुए बच्चे को 23 अगस्त को वृंदावन के श्रीहित राधा केलि कुंज आश्रम से सकुशल बरामद कर लिया। हालांकि, बच्चा प्रेमानंद महाराज से मिल नहीं सका, लेकिन उसे आश्रम में अनिरुद्धाचार्य से आशीर्वाद मिला। पुलिस ने बच्चे को सुरक्षित उसके माता-पिता को सौंप दिया।
बच्चे ने क्या कहा?
पुलिस को पूछताछ में बच्चे ने बताया कि वह प्रेमानंद महाराज का बहुत बड़ा भक्त है और उनके वीडियो नियमित रूप से देखता है। वह उनसे मिलकर अपनी बात कहना चाहता था। उसने यह भी बताया कि वह प्रेमानंद महाराज के गुरुकुल में दाखिला लेना चाहता है। बच्चे की मां ने बताया कि वह अक्सर प्रेमानंद महाराज के बारे में बात करता था और उनसे मिलने की इच्छा जताता था।
परिजनों का बयान
बच्चे की मां ने रोते हुए कहा, "मैंने उसे सिर्फ पढ़ाई के लिए डांटा था। मुझे नहीं पता था कि वह इतना दूर चला जाएगा। भगवान का शुक्र है कि मेरा बेटा सुरक्षित है।" बच्चे के पिता ने पुलिस का आभार जताते हुए कहा कि अब वे अपने बेटे का ज्यादा ध्यान रखेंगे।
सुरक्षा पर सवाल
इस घटना ने एक्सप्रेसवे की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर साइकिल चलाना प्रतिबंधित है, फिर भी बच्चा 70 किलोमीटर तक साइकिल चलाकर बांगरमऊ पहुंच गया और टोल कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यूपी एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEIDA) के अधिकारियों ने इस लापरवाही पर कर्मचारियों को फटकार लगाई है।
प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता
वृंदावन के श्रीहित राधा केलि कुंज आश्रम में रहने वाले प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता न केवल वयस्कों बल्कि बच्चों में भी देखने को मिल रही है। उनके प्रवचन और आध्यात्मिक वीडियो सोशल मीडिया पर लाखों लोगों द्वारा देखे जाते हैं। इस बच्चे की कहानी ने उनकी भक्ति और साहस को दर्शाया है, साथ ही यह भी उजागर किया कि बच्चों के मनोविज्ञान और परवरिश में संवेदनशीलता कितनी जरूरी है।
यह घटना न केवल एक बच्चे के साहस और भक्ति की कहानी है, बल्कि यह माता-पिता और समाज के लिए भी एक सबक है कि बच्चों की भावनाओं को समझना और उनसे संवाद करना कितना महत्वपूर्ण है। पुलिस की तत्परता ने बच्चे को सुरक्षित घर पहुंचाया, लेकिन इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था और बच्चों की परवरिश पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।