राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: SI भर्ती 2021 रद्द, पेपर लीक और नकल के गंभीर आरोपों

राजस्थान हाईकोर्ट ने 2021 की SI भर्ती को पेपर लीक और बड़े पैमाने पर नकल के कारण रद्द कर दिया। कोर्ट ने RPSC की कार्यप्रणाली में सुधार और नई भर्ती में 897 अतिरिक्त पद जोड़ने का आदेश दिया।

Aug 28, 2025 - 13:35
राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: SI भर्ती 2021 रद्द, पेपर लीक और नकल के गंभीर आरोपों

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में वर्ष 2021 की सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह रद्द कर दिया है। यह भर्ती 859 पदों के लिए आयोजित की गई थी, लेकिन पेपर लीक और बड़े पैमाने पर नकल के आरोपों ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए थे। जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने 14 अगस्त को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे गुरुवार को सुनाया गया। इस फैसले ने न केवल हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य को अनिश्चितता के भंवर में डाल दिया है, बल्कि राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं।

पेपर लीक और नकल का दाग: भर्ती प्रक्रिया पर क्यों उठे सवाल?

पिछले साल 13 अगस्त 2023 को कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस भर्ती को रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली हुई, जिसमें पेपर लीक और नकल जैसी गंभीर अनियमितताएं शामिल थीं। याचिकाकर्ता के वकील हरेंद्र नील ने बताया कि कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर नकल हुई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें RPSC के कुछ सदस्यों की संलिप्तता भी सामने आई है। कोर्ट ने रामू राम राईका और बाबूलाल कटारा की भूमिका को भी गंभीरता से लिया और भर्ती की विस्तृत जांच की आवश्यकता पर जोर दिया।

कृषि मंत्री का बयान: "सच की जीत हुई"

राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे "सच की जीत" करार दिया। उन्होंने कहा, "इस भर्ती में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ था। मेरी जानकारी के अनुसार, 500 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने धांधली के जरिए यह परीक्षा पास की थी।" मीणा ने कोर्ट के फैसले को निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

सरकार और चयनित अभ्यर्थियों की दलीलें: कोर्ट ने क्यों नहीं मानी?

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि पूरी भर्ती को रद्द करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि केवल 68 अभ्यर्थियों की मिलीभगत सामने आई थी। इनमें 54 ट्रेनी सब-इंस्पेक्टर, 6 चयनित उम्मीदवार और 8 फरार आरोपी शामिल थे। सरकार का तर्क था कि विशेष कार्य बल (SOG) दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है और सही-गलत की पहचान कर भर्ती को बचाया जा सकता है।

वहीं, चयनित अभ्यर्थियों ने भी भर्ती रद्द करने का पुरजोर विरोध किया। उनकी ओर से कोर्ट में कहा गया कि उन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी थी और कई ने तो इसके लिए अपनी अन्य सरकारी नौकरियां तक छोड़ दी थीं। अभ्यर्थियों का कहना था कि पूरी भर्ती रद्द करना उनके साथ अन्याय होगा। हालांकि, कोर्ट ने सभी तर्कों पर विचार करने के बाद यह माना कि भर्ती प्रक्रिया की शुचिता पर गंभीर संदेह है, जिसके चलते इसे जारी रखना उचित नहीं है।

RPSC की कार्यप्रणाली पर सवाल, नई भर्ती में 897 अतिरिक्त पद

हाईकोर्ट ने न केवल भर्ती को रद्द किया, बल्कि RPSC की कार्यप्रणाली में सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया। कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में गहरी जांच के आदेश दिए। याचिकाकर्ता के वकील हरेंद्र नील ने बताया कि नई भर्ती प्रक्रिया में 897 अतिरिक्त पद जोड़े जाएंगे, जिससे अभ्यर्थियों को एक नया और निष्पक्ष मौका मिल सके।

Yashaswani Journalist at The Khatak .