RLP नेता थानसिंह डोली को लिया हिरासत में,सुबह 5 बजे अंधेरे में आई पुलिस....
जोधपुर और बालोतरा के गांवों में जोजरी नदी में औद्योगिक कचरे से फैले प्रदूषण के खिलाफ RLP नेता थानसिंह डोली के धरने और पुलिस द्वारा हिरासत की घटना ने सुर्खियां बटोरीं। सरकार ने 276 करोड़ रुपये के फंड की घोषणा की, लेकिन ग्रामीणों की समस्याएं बरकरार हैं।

जोधपुर और बालोतरा जिलों की सीमा पर बसे कई गांवों में जोजरी नदी के जरिए फैल रहा केमिकल युक्त जहरीला पानी एक गंभीर पर्यावरणीय और मानवीय संकट का कारण बन रहा है। इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के नेता थानसिंह डोली ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर विरोध शुरू किया। 12 अगस्त 2025 की सुबह 5:15 बजे, पुलिस ने थानसिंह और उनके साथ धरने पर बैठे कुछ लोगों को जोधपुर-बाड़मेर हाइवे पर डोली टोल प्लाजा के पास से हिरासत में ले लिया। थानसिंह 11 अगस्त से बिना प्रशासनिक अनुमति के सड़क किनारे धरने पर बैठे थे, ताकि जोधपुर की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले दूषित पानी के खिलाफ आवाज उठाई जा सके।
जोजरी नदी, जो कभी इस क्षेत्र की जीवनरेखा थी, अब औद्योगिक कचरे के कारण जहरीली हो चुकी है। जोधपुर की फैक्ट्रियों से निकलने वाला रासायनिक युक्त काला पानी इस नदी में डाला जा रहा है, जो बालोतरा के कल्याणपुर उपखंड के कई गांवों में तबाही मचा रहा है। इससे खेत बंजर हो रहे हैं, और जहरीले पानी की झीलें बन रही हैं। बारिश के मौसम में यह पानी खेतों से होते हुए घरों तक पहुंच रहा है, जिससे साफ पानी की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बन गई है। इस दूषित पानी से चर्म रोग, श्वास संबंधी समस्याएं और गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
थानसिंह डोली ने जोजरी नदी को बचाने और प्रभावित गांवों के लिए न्याय की मांग को लेकर 11 अगस्त से अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया था। प्रशासन ने धरने की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण वे और उनके समर्थक बिना टेंट के सड़क किनारे बैठे थे। पुलिस के साथ तनातनी के बाद 12 अगस्त की सुबह उन्हें हिरासत में ले लिया गया। थानसिंह ने सोशल मीडिया के जरिए इस कार्रवाई की जानकारी साझा की और सवाल उठाया कि औद्योगिक इकाइयों को जहरीला पानी छोड़ने की छूट क्यों दी जा रही है। इस हिरासत की कार्रवाई ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा किया है, और कई ने इसे जनआंदोलन को दबाने की कोशिश बताया।
इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने जोजरी नदी के पुनरुद्धार के लिए 276 करोड़ रुपये के फंड की घोषणा की है। इस योजना के तहत जल्द ही काम शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि, स्थानीय लोग अब तक ठोस कार्रवाई न होने से निराश हैं। प्रभावित गांवों में स्थिति इतनी गंभीर है कि कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है। जहरीले पानी ने खेती को नष्ट कर दिया है, और लोग दैनिक जीवन में साफ पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
जोजरी नदी का प्रदूषण केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि हजारों लोगों की आजीविका और स्वास्थ्य से जुड़ा संकट है। थानसिंह डोली का धरना और उनकी हिरासत इस बात को रेखांकित करती है कि स्थानीय लोग अब और इंतजार नहीं करना चाहते। सरकारी फंड की घोषणा एक सकारात्मक कदम है, लेकिन जब तक इसका कार्यान्वयन नहीं होता, प्रभावित गांवों की पीड़ा कम होने की संभावना कम है। यह मुद्दा तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की मांग करता है।