65 शव बरामद, 100 से ज्यादा लापता, फारूक अब्दुल्ला का दावा- 500 लोग मलबे में दबे

किश्तवाड़ के चसोटी गांव में बादल फटने से मचैल माता यात्रा के दौरान 65 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा लापता, राहत कार्य जारी।

Aug 15, 2025 - 15:47
65 शव बरामद, 100 से ज्यादा लापता, फारूक अब्दुल्ला का दावा- 500 लोग मलबे में दबे

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चसोटी गांव में 14 अगस्त 2025 की दोपहर 12:30 बजे बादल फटने से भयानक त्रासदी ने सैकड़ों परिवारों की जिंदगियां तबाह कर दीं। मचैल माता यात्रा के लिए जुटे हजारों श्रद्धालुओं पर यह आपदा उस समय टूटी, जब वे यात्रा के पहले पड़ाव चसोटी में थे। तेज बारिश और पहाड़ों से आए मलबे ने बसों, टेंटों, लंगरों और दुकानों को बहा दिया, जिससे अब तक 65 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं।

चसोटी गांव, जो पड्डर घाटी में मचैल माता मंदिर के रास्ते का पहला पड़ाव है, उस दिन हजारों श्रद्धालुओं से गुलजार था। लेकिन दोपहर में अचानक बादल फटने से पहाड़ों से तेज रफ्तार मलबा और पानी नीचे की ओर बहा। देखते ही देखते श्रद्धालुओं की बसें, टेंट और लंगर बह गए। मलबे में दबे लोगों के शव खून से सने मिले, कई के फेफड़ों में कीचड़ भरा था, तो कइयों की पसलियां और अंग बिखरे पड़े थे। स्थानीय लोग, सेना के जवान और पुलिस ने घंटों मशक्कत के बाद घायलों को कीचड़ भरे इलाके से निकालकर अपनी पीठ पर लादकर अस्पताल पहुंचाया।

राहत और बचाव कार्य में तेजी

किश्तवाड़ के डिप्टी कमिश्नर पंकज शर्मा ने बताया कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस, राष्ट्रीय राइफल्स और व्हाइट नाइट कोर की मेडिकल टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। 60-60 जवानों के पांच ग्रुप, यानी कुल 300 जवान, दिन-रात बचाव कार्य में लगे हैं। अब तक 167 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जिनमें से 38 की हालत गंभीर है। 21 शवों की पहचान हो चुकी है, लेकिन सैकड़ों लोग अभी भी मलबे में दबे हो सकते हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आशंका जताई कि मलबे में 500 से ज्यादा लोग दबे हो सकते हैं, जबकि उनकी पार्टी की एक मेंबर ने यह संख्या 1000 तक बताई।

मचैल माता यात्रा: आस्था पर प्रकृति की मार

मचैल माता तीर्थयात्रा हर साल 25 जुलाई से 5 सितंबर तक होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु जम्मू से किश्तवाड़ और फिर पड्डर घाटी के रास्ते मचैल माता मंदिर तक जाते हैं। 210 किलोमीटर लंबे इस रास्ते में चसोटी गांव पहला पड़ाव है, जहां से 19.5 किलोमीटर सड़क और फिर 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा होती है। इस साल भी हजारों श्रद्धालु आस्था के इस सफर पर निकले थे, लेकिन प्रकृति के प्रकोप ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

नेताओं का दुख और प्रार्थना

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हादसे पर गहरा दुख जताया और कहा कि 100 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने कहा, "मरने वालों की संख्या पर चर्चा करना ठीक नहीं। एक जान जाए या 50, दुख उतना ही गहरा है। मेरी प्रार्थना है कि मां मचैल लापता लोगों को सुरक्षित उनके घर लौटाए।" उन्होंने बताया कि 49 लोग अस्पताल के वार्ड में और 2 आईसीयू में भर्ती हैं। बीजेपी नेता और किश्तवाड़ विधायक शगुन परिहार ने कहा, "यह बेहद दुखद हादसा है। हमने मलबे में फंसे लोगों को निकालने की पूरी कोशिश की। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर मौजूद हैं।"

पड्डर घाटी की भौगोलिक चुनौतियां

चसोटी गांव पड्डर घाटी में बसा है, जो किश्तवाड़ शहर से 90 किलोमीटर दूर है। इस इलाके के पहाड़ 1,818 से 3,888 मीटर तक ऊंचे हैं, जहां ग्लेशियर और ढलानें पानी के बहाव को और तेज कर देती हैं। बादल फटने की घटना ने इस भौगोलिक स्थिति को और खतरनाक बना दिया, जिससे मलबा और पानी ने भारी तबाही मचाई।

Yashaswani Journalist at The Khatak .