पश्चिमी राजस्थान के दिग्गज नेता की घर वापसी, 16 महीने बाद निलंबन रद्द, समर्थकों में खुशी की लहर
अमीन खान की 16 महीने बाद कांग्रेस में वापसी, निलंबन रद्द होने से समर्थकों में उत्साह, पश्चिमी राजस्थान की सियासत में नए समीकरण की संभावना।

पश्चिमी राजस्थान के कद्दावर नेता और शिव विधानसभा से पांच बार विधायक रहे अमीन खान की कांग्रेस पार्टी में वापसी हो गई है। 26 मई 2024 को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते 6 साल के लिए निष्कासित किए गए अमीन खान का निलंबन अब रद्द कर दिया गया है। इसकी आधिकारिक पुष्टि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिए की है। उनकी वापसी से न केवल उनके समर्थकों में उत्साह का माहौल है, बल्कि पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में भी नए समीकरण बनने की संभावना जताई जा रही है।
निष्कासन की वजह: लोकसभा चुनाव में बगावत और आरोप
अमीन खान को 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित किया गया था। उस दौरान कांग्रेस के तत्कालीन लोकसभा उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल का समर्थन न करने और निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी के पक्ष में काम करने का आरोप उन पर लगा था। इसके अलावा, अमीन खान ने पार्टी के एक अन्य बागी नेता फतेह खान की कांग्रेस में वापसी का भी विरोध किया था। फतेह खान ने भी लोकसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उनके विरोध को नजरअंदाज करते हुए फतेह खान की वापसी को मंजूरी दी थी।
इसके बाद अमीन खान ने लगातार स्थानीय कांग्रेस नेताओं और पार्टी आलाकमान के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी। उनके बयानों और गतिविधियों को पार्टी विरोधी माना गया, जिसके चलते उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
वापसी का सफर: समर्थकों का दबाव और गहलोत से मुलाकात की कोशिश
अमीन खान की कांग्रेस में वापसी का रास्ता आसान नहीं था। निष्कासन के बाद से ही वे और उनके समर्थक लगातार पार्टी में उनकी वापसी के लिए प्रयासरत थे। हाल ही में बाड़मेर में आयोजित कांग्रेस की एक जनसभा में अमीन खान ने अपने समर्थकों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से मुलाकात करने की कोशिश की थी। हालांकि, नेताओं के निर्धारित रूट में ऐन वक्त पर बदलाव के कारण यह मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद अमीन खान के समर्थकों ने स्थानीय कांग्रेस नेताओं और पार्टी के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया था।
समर्थकों का गुस्सा और लगातार दबाव आखिरकार रंग लाया। पार्टी आलाकमान ने अमीन खान के निलंबन को रद्द करते हुए उन्हें फिर से पार्टी में शामिल करने का फैसला किया। इस फैसले से उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
अमीन खान का राजनीतिक सफर: पांच बार विधायक, कैबिनेट मंत्री रहे
अमीन खान पश्चिमी राजस्थान में अल्पसंख्यक समुदाय के एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। उन्होंने शिव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर 10 बार चुनाव लड़ा और 5 बार जीत हासिल की। 2008 में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में वे कैबिनेट मंत्री भी रहे। उनकी सियासी पकड़ और जनता के बीच लोकप्रियता ने उन्हें क्षेत्र में एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया है।
हालांकि, 2023 के विधानसभा चुनाव में अमीन खान को हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस के ही जिला अध्यक्ष ने बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, जिसके चलते अमीन खान तीसरे स्थान पर रहे। निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके बावजूद अमीन खान का क्षेत्र में प्रभाव बना हुआ है।
समर्थकों में उत्साह, लेकिन सवाल बरकरार
अमीन खान की वापसी से उनके समर्थकों में भारी उत्साह देखा जा रहा है। बाड़मेर और आसपास के इलाकों में उनके समर्थकों ने इसे एक बड़ी जीत के रूप में लिया है। स्थानीय कार्यकर्ता मोहम्मद अली ने कहा, “अमीन खान साहब हमारे लिए सिर्फ नेता नहीं, बल्कि एक परिवार के सदस्य जैसे हैं। उनकी वापसी से हमारी ताकत और बढ़ेगी।”
हालांकि, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमीन खान की वापसी से स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के भीतर गुटबाजी बढ़ सकती है। खासकर उन नेताओं के साथ तनाव की स्थिति बन सकती है, जिन्होंने उनके निष्कासन का समर्थन किया था। इसके अलावा, रविंद्र सिंह भाटी जैसे निर्दलीय नेताओं की बढ़ती लोकप्रियता भी कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है।
पश्चिमी राजस्थान में कांग्रेस को मिलेगी मजबूती?
अमीन खान की वापसी को कांग्रेस के लिए पश्चिमी राजस्थान में अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय में उनकी गहरी पैठ और क्षेत्र में उनकी सियासी सक्रियता पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमीन खान किस तरह से पार्टी के लिए काम करते हैं और क्या वे पहले की तरह अपनी सियासी ताकत का प्रदर्शन कर पाते हैं।
फिलहाल, अमीन खान की वापसी ने न केवल उनके समर्थकों को नई उम्मीद दी है, बल्कि पश्चिमी राजस्थान की सियासत में एक नया मोड़ भी ला दिया है।