श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे गिरफ्तार,निजी यात्रा में सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप.

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को कोलंबो में CID ने हथकड़ी लगा दी! 2023 में लंदन की एक निजी यात्रा के लिए सरकारी खजाने से लाखों रुपये के कथित दुरुपयोग का मामला सामने आया। उनकी पत्नी के साथ यूनिवर्सिटी समारोह में शामिल होने की यह यात्रा अब विवादों के घेरे में है। विक्रमसिंघे इसे "राजनीतिक साजिश" बता रहे हैं, जबकि जांच एजेंसी सबूतों के साथ सख्ती दिखा रही है। श्रीलंका की सियासत में यह गिरफ्तारी भूचाल ला सकती है!

Aug 22, 2025 - 15:30
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे गिरफ्तार,निजी यात्रा में सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप.

कोलंबो: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को शुक्रवार, 22 अगस्त 2025 को कोलंबो में आपराधिक जांच विभाग (CID) ने हिरासत में लिया। यह कार्रवाई तब हुई, जब वे 2023 में अपनी निजी विदेश यात्रा के लिए सरकारी धन के कथित दुरुपयोग के मामले में पूछताछ के लिए बुलाए गए थे। यह गिरफ्तारी श्रीलंका की राजनीति में हलचल मचा सकती है, क्योंकि यह देश के एक पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ हाल के वर्षों में सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।

क्या है पूरा मामला?

रानिल विक्रमसिंघे पर आरोप है कि उन्होंने सितंबर 2023 में अपनी पत्नी, प्रोफेसर मैत्री विक्रमसिंघे के साथ लंदन की एक निजी यात्रा के लिए सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया। यह यात्रा यूनिवर्सिटी ऑफ वोल्वरहैम्पटन में आयोजित एक दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए थी, जहां उनकी पत्नी को सम्मानित किया गया था। पुलिस का दावा है कि इस यात्रा के लिए सरकारी खजाने से लगभग 1.7 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया, जिसमें विक्रमसिंघे के सुरक्षा कर्मचारियों का खर्च भी शामिल था। विक्रमसिंघे को वित्तीय अपराध जांच विभाग (FCID) ने बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया और कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। CID का कहना है कि उनके पास इस मामले में पर्याप्त सबूत हैं, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई। हालांकि, विक्रमसिंघे ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि उनकी पत्नी ने अपनी यात्रा का खर्च स्वयं वहन किया था और इसमें कोई सरकारी धन का उपयोग नहीं हुआ। उन्होंने इसे "राजनीतिक बदले की कार्रवाई" करार दिया।

श्रीलंका में भ्रष्टाचार के खिलाफ तेज हुई कार्रवाई

यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है, जब श्रीलंका में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ जांच तेज हो गई है। हाल के वर्षों में, कई वरिष्ठ नेताओं पर गबन और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं। विक्रमसिंघे की गिरफ्तारी को देश में चल रही इस व्यापक भ्रष्टाचार-विरोधी मुहिम का हिस्सा माना जा रहा है।

रानिल विक्रमसिंघे की राजनीतिक पृष्ठभूमि

76 वर्षीय रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के प्रमुख राजनेताओं में से एक रहे हैं। वे जुलाई 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति बने थे। राजपक्षे का इस्तीफा देश में भ्रष्टाचार और आर्थिक कुप्रबंधन के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद हुआ था। विक्रमसिंघे ने श्रीलंका की अभूतपूर्व आर्थिक मंदी के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी नीतियों को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिले बेलआउट पैकेज और आर्थिक सुधारों के लिए सराहा गया था। हालांकि, सितंबर 2024 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें अनुरा कुमारा दिसानायके के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच तेज हो गई।

विवाद और प्रतिक्रियाएं

विक्रमसिंघे की गिरफ्तारी ने श्रीलंका की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है और इसका उद्देश्य उनकी छवि को धूमिल करना है। दूसरी ओर, जांच एजेंसियां दावा कर रही हैं कि उनके पास ठोस सबूत हैं, जिनमें यात्रा के खर्च और सुरक्षा कर्मचारियों के भुगतान से संबंधित दस्तावेज शामिल हैं। विक्रमसिंघे ने अपनी गिरफ्तारी को "तथ्यों से परे" बताते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। उनके वकीलों ने कहा है कि वे इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और जल्द ही जमानत के लिए आवेदन करेंगे।

विक्रमसिंघे को कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया है, जहां उनके खिलाफ औपचारिक आरोप तय किए जाएंगे। इस मामले में अगली सुनवाई और जांच के नतीजे श्रीलंका की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। यह मामला न केवल विक्रमसिंघे के राजनीतिक करियर को प्रभावित कर सकता है, बल्कि देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम को भी और मजबूती दे सकता है।

रानिल विक्रमसिंघे की गिरफ्तारी श्रीलंका की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह न केवल एक पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ कार्रवाई का प्रतीक है, बल्कि देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ बढ़ती सख्ती को भी दर्शाता है। इस मामले का भविष्य श्रीलंका की राजनीतिक स्थिरता और जनता के बीच नेताओं की जवाबदेही पर सवाल उठा सकता है।