बच्चों की जान जोखिम में: अधूरी पुलिया के कारण नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर
राजस्थान के एक गांव में बच्चे अधूरी पुलिया के कारण खतरनाक नदी पार कर स्कूल जा रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से शीघ्र पुलिया निर्माण की मांग की है।

राजस्थान के अलवर जिले के थानागाजी क्षेत्र में जोधावास गांव के बच्चे हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे हैं। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जोधावास पहुंचने का रास्ता इन दिनों बेहद खतरनाक बना हुआ है। इसका कारण है रूपारेल नदी पर निर्माणाधीन पुलिया, जो अभी तक पूरी नहीं हुई है। इस अधूरे निर्माण ने बच्चों और ग्रामीणों के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है।
रास्ते में बह रही रूपारेल नदी का तेज बहाव और गहरे गड्ढे बच्चों के लिए हर कदम पर खतरा बन रहे हैं। जोधावास श्मशान घाट से कीरों की ढाणी तक का रास्ता पूरी तरह जर्जर है, और नदी के बीच में कोई सुरक्षित मार्ग नहीं होने से करीब 50 से अधिक बच्चों को रोज़ाना स्कूल पहुंचने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीणों का सहारा, पर कब तक?
हाल ही में सामने आए एक वीडियो ने इस गंभीर समस्या को उजागर किया है। वीडियो में दिख रहा है कि ग्रामीण खुद बच्चों को नदी पार कराने में मदद कर रहे हैं। कुछ लोग बच्चों को कंधे पर बिठाकर, तो कुछ रस्सियों का सहारा लेकर उन्हें नदी के उस पार पहुंचा रहे हैं। यह दृश्य दिल दहला देने वाला है, क्योंकि संतुलन बिगड़ने पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। यह अस्थायी उपाय भले ही बच्चों को स्कूल पहुंचा रहा हो, लेकिन यह उनकी सुरक्षा के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं है।
एक स्थानीय ग्रामीण रामेश्वर लाल ने बताया, "हमारे बच्चे हर दिन डर के साये में स्कूल जाते हैं। नदी का बहाव इतना तेज है कि बड़ों के लिए भी इसे पार करना आसान नहीं। प्रशासन को जल्द से जल्द पुलिया का काम पूरा करना चाहिए।"
प्रशासन का रवैया: निर्देश तो दिए, लेकिन समाधान कब?
इस मामले में थानागाजी उपखंड अधिकारी पिंकी गुर्जर ने संज्ञान लिया है। उन्होंने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को सख्त निर्देश दिए हैं कि नदी का बहाव तेज होने पर बच्चों को ऐसा जोखिम न उठाने दिया जाए। साथ ही, हादसे की संभावना को देखते हुए बच्चों को घर पर ही रहने की सलाह दी गई है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक बच्चे अपनी पढ़ाई से वंचित रहेंगे?
ग्रामीणों ने प्रशासन से बार-बार मांग की है कि पुलिया का निर्माण जल्द से जल्द पूरा किया जाए, ताकि बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हो सके। एक अभिभावक शांति देवी ने कहा, "हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ें, लेकिन इस खतरे के बीच उन्हें स्कूल भेजना हर दिन एक डरावना सपना बन गया है।"