ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख नजदीक: जल्दी करें, वरना हो सकती है मुश्किल!

15 सितंबर की आईटीआर फाइलिंग डेडलाइन नजदीक है, लेकिन पोर्टल की तकनीकी समस्याएं, डेटा असंगतियां और देरी करदाताओं के लिए मुश्किलें बढ़ा रही हैं। विशेषज्ञ जल्द फाइलिंग की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि डेडलाइन विस्तार की संभावना कम है।

Aug 31, 2025 - 15:03
Aug 31, 2025 - 15:11
ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख नजदीक: जल्दी करें, वरना हो सकती है मुश्किल!

जैसे-जैसे आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर करीब आ रही है, करदाता और पेशेवर एक बार फिर ई-फाइलिंग पोर्टल पर तकनीकी बाधाओं से जूझ रहे हैं। जहां एक तरफ यह प्रक्रिया सहज होनी चाहिए थी, वहीं डेटा में असंगतियां, धीमे सर्वर और प्रमाणीकरण की विफलताएं इसे तनावपूर्ण बना रही हैं। आइए, इन दिक्कतों और देरी के कारणों पर एक नजर डालते हैं, जो इस साल की फाइलिंग को चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं।

डेटा में असंगतियां: AIS, TIS और फॉर्म 26AS के बीच तालमेल की कमी

इस साल की सबसे बड़ी समस्या वार्षिक सूचना विवरण (AIS), करदाता सूचना सारांश (TIS) और फॉर्म 26AS के बीच डेटा में मेल न खाना है। खासकर लाभांश आय, म्यूचुअल फंड से पूंजीगत लाभ और ब्याज की प्रविष्टियों में यह समस्या ज्यादा देखी जा रही है, जिससे आय की रकम फुलाकर दिखाई जा रही है। इससे करदाताओं को घंटों तक विवरणों को सुलझाने में समय लग रहा है।

ये असंगतियां न सिर्फ समय खाती हैं, बल्कि गलत फाइलिंग का जोखिम भी बढ़ाती हैं। अगर ये गलतियां रह गईं, तो रिटर्न में सुधार की नोटिस आ सकती हैं या रिफंड में देरी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये दिक्कतें पोर्टल की अपडेट प्रक्रिया में कमी से जुड़ी हैं, जो हर साल अंतिम समय पर उभरती हैं।

देर से जारी हुए अपडेट और ऑडिट फॉर्मेट: समय की कमी बढ़ा रही दबाव

पोर्टल की समस्याओं के अलावा, अपडेटेड रिटर्न यूटिलिटीज और ऑडिट रिपोर्ट फॉर्मेट का देर से जारी होना भी एक बड़ा मुद्दा है। कुछ यूटिलिटीज जुलाई और अगस्त में ही उपलब्ध हुईं, जिससे व्यवसायियों और पेशेवरों के लिए समय सीमित हो गया। उन्हें कई विवरण संकलित करने पड़ते हैं, और यह देरी उनके लिए और मुश्किल पैदा कर रही है।

ऐसे में, जहां सामान्य करदाता अभी भी संघर्ष कर रहे हैं, वहीं ऑडिट वाले मामलों में यह और जटिल हो जाता है। पोर्टल पर लॉगिन फेलियर, ओटीपी वैलिडेशन में त्रुटियां, डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) की प्रमाणीकरण में देरी और पीक आवर्स में धीमी गति जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। ये मुद्दे खासकर अंतिम दिनों में और बढ़ जाते हैं, जब ट्रैफिक ज्यादा होता है।

क्या मिलेगी अंतिम तिथि में विस्तार? विशेषज्ञों की राय

जैसे-जैसे दिक्कतें बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे अंतिम तिथि बढ़ाने की अटकलें भी तेज हो रही हैं। हालांकि, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। व्यापार और पेशेवर संगठनों ने पोर्टल की गड़बड़ियों, डेटा असंगतियों और सीमित समय का हवाला देकर सरकार से अपील की है, लेकिन फैसला सरकार पर निर्भर है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इतिहास को देखें तो अगर पोर्टल पर व्यापक तकनीकी समस्याएं होती हैं, तो विस्तार दिया जाता रहा है। लेकिन इस साल, चूंकि दिक्कतें पहले से ही रिपोर्ट हो रही हैं, लंबे विस्तार की संभावना कम है। ज्यादा से ज्यादा एक-दो हफ्तों का छोटा विस्तार मिल सकता है, और वह भी अंतिम सप्ताह में घोषित किया जा सकता है। फिर भी, करदाताओं को विस्तार की उम्मीद में इंतजार नहीं करना चाहिए और मौजूदा तिथि के भीतर फाइलिंग पूरी कर लेनी चाहिए।

गलतियां बढ़ा सकती हैं परेशानियां: नोटिस और रिफंड में देरी का खतरा

ये गड़बड़ियां सिर्फ प्रक्रिया को धीमा नहीं करतीं, बल्कि रिटर्न में त्रुटियां पैदा कर सकती हैं या रिफंड रोक सकती हैं। अगर प्री-फिल्ड डेटा में असंगतियां रह गईं, तो सिस्टम से सुधार की नोटिस आ सकती हैं। इससे करदाताओं को अतिरिक्त समय और प्रयास लगाना पड़ता है।

विशेष रूप से, वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए सैलरी या लाभांश डेटा में मिसमैच आम है, जबकि वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज आय में डुप्लिकेट एंट्रीज की समस्या आ रही है, जो कर देयता बढ़ा देती है। व्यवसाय मालिकों और पेशेवरों के लिए तो यह और मुश्किल है, क्योंकि उन्हें टैक्स ऑडिट, डेप्रिसिएशन शेड्यूल और अन्य जटिल विवरण संभालने पड़ते हैं, साथ ही DSC की दिक्कतें भी।

पोर्टल की क्षमता में सुधार, लेकिन अंतिम दिनों में सावधानी जरूरी

हाल के वर्षों में आयकर विभाग ने अपनी डिजिटल प्रणाली को मजबूत किया है। पिछले साल 31 जुलाई तक करीब 70 मिलियन आईटीआर दाखिल हुए, जो दिखाता है कि सिस्टम हाई ट्रैफिक संभाल सकता है। लेकिन फिर भी, अंतिम तिथि के करीब धीमी गति और अस्थायी आउटेज की शिकायतें आती रहती हैं।

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि करदाताओं को अंतिम मिनट तक इंतजार नहीं करना चाहिए। डेटा को सावधानी से मिलाएं, सहायक दस्तावेज तैयार रखें और जल्द से जल्द फाइलिंग पूरी करें। इस तरह, न सिर्फ तनाव कम होगा, बल्कि संभावित जोखिमों से भी बचा जा सकेगा।

अंत में, भले ही सरकार विस्तार दे या न दे, स्मार्ट तरीका यही है कि अपनी तैयारी मजबूत रखें और समय रहते काम निपटा लें। आयकर फाइलिंग अब डिजिटल युग में है, लेकिन तकनीकी दिक्कतें हमें याद दिलाती हैं कि पहले से योजना बनाना कितना जरूरी है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .