अफगानिस्तान में भूकंप का कहर,600 से अधिक लोगो की हुई मौत.

अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में 6.0 तीव्रता का भूकंप ने भारी तबाही मचाई, जिसमें 622 लोगों की मौत और 700 से अधिक घायल हुए। कुनार प्रांत के कई गांव मलबे में तब्दील, सड़कें और संचार व्यवस्था ठप। तालिबान और यूएन टीमें राहत कार्य में जुटीं। नंगरहार, टीटीपी का गढ़, में आतंकी शिविरों को नुकसान पहुंचा, जिससे पाकिस्तान को अप्रत्याशित राहत मिली। यह क्षेत्र पहले ओसामा बिन लादेन का अड्डा रहा। हिंदू कुश क्षेत्र में भूकंप का खतरा बना हुआ है।

Sep 1, 2025 - 14:24
अफगानिस्तान में भूकंप का कहर,600 से अधिक लोगो की हुई मौत.

पूर्वी अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में रविवार देर रात आए 6.0 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने भयंकर तबाही मचाई। यह भूकंप न केवल अफगानिस्तान के लिए एक त्रासदी बनकर आया, बल्कि इसने क्षेत्रीय समीकरणों को भी प्रभावित किया, खासकर पाकिस्तान के लिए, जहां इस इलाके में सक्रिय आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का गढ़ माना जाता है। भूकंप ने नंगरहार के साथ-साथ कुनार प्रांत में भी भारी नुकसान पहुंचाया, जिसके चलते सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए।

भूकंप की तीव्रता और तबाही का मंजर

जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) और अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र नंगरहार प्रांत के जलालाबाद से 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तर-पूर्व में था, जिसकी गहराई मात्र 8-10 किलोमीटर थी। उथली गहराई के कारण सतह पर इसका प्रभाव और भी विनाशकारी रहा। तालिबान के आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से रॉयटर्स ने बताया कि इस आपदा में 622 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 700 से अधिक लोग घायल हैं। 

नंगरहार और कुनार प्रांत के कई गांव मलबे में तब्दील हो गए। मिट्टी और कमजोर ईंटों से बने घर इस भूकंप की तीव्रता को सहन नहीं कर सके और ताश के पत्तों की तरह ढह गए। कुनार के नुर गल, सावकी, वाटपुर, मनोगी और चापा दरा जैसे इलाकों में भारी तबाही की खबरें हैं। सड़कें टूट गईं, संचार व्यवस्था ठप हो गई, और आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज में मलबे में दबे घरों और लोगों की चीख-पुकार का दिल दहलाने वाला मंजर देखने को मिला।

तालिबान और संयुक्त राष्ट्र का राहत प्रयास

तालिबान सरकार ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू किए, लेकिन दुर्गम पहाड़ी इलाकों में सीमित संसाधनों के कारण बचाव कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं। तालिबान के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता शराफत जमान ने बताया कि हेलीकॉप्टरों के जरिए लोगों को मलबे से निकाला गया और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। पड़ोसी देशों से भी बचाव टीमें नंगरहार और कुनार पहुंचीं। संयुक्त राष्ट्र (UN) की टीमें भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता लेकर प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हैं। तालिबान ने हवाई मार्ग से राहत सामग्री पहुंचाने की व्यवस्था की, क्योंकि जमीनी रास्ते पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं।

टीटीपी का गढ़ और पाकिस्तान की राहत

नंगरहार का यह इलाका लंबे समय से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का गढ़ रहा है। यूएन मॉनिटरिंग टीम के अनुसार, टीटीपी के पास 6,000-6,500 लड़ाके हैं, और यह संगठन दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठनों में गिना जाता है। नंगरहार के पहाड़ी इलाकों में टीटीपी के कई प्रशिक्षण शिविर हैं, जहां पहले अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन के आतंकी भी सक्रिय रहे थे। इस दुर्गम इलाके में आतंकियों को ट्रैक करना और उन पर हमला करना पाकिस्तान के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। पाकिस्तानी सेना ने कई बार यहां हवाई हमलों की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। 

 भूकंप ने नंगरहार के बुनियादी ढांचे को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य सड़कें, संचार प्रणाली और अन्य बुनियादी सुविधाएं नष्ट हो गईं। इससे टीटीपी के प्रशिक्षण शिविरों और उनके नेटवर्क को भी गहरा झटका लगा है। पाकिस्तान के लिए यह एक अप्रत्याशित राहत की तरह है, क्योंकि भूकंप ने उस काम को अंजाम दे दिया, जो उसकी सेना वर्षों से करने में नाकाम रही। हालांकि, पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर इस पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन क्षेत्रीय विश्लेषकों का मानना है कि इस प्राकृतिक आपदा ने टीटीपी की कमर तोड़ दी है।

क्षेत्रीय प्रभाव और भविष्य की चिंता

इस भूकंप का असर न केवल अफगानिस्तान तक सीमित रहा, बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान और भारत के दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में भी झटके महसूस किए गए। दिल्ली में लोग आधी रात को घरों से बाहर निकल आए, लेकिन वहां किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है। पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। 

 विशेषज्ञों का कहना है कि हिंदू कुश क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के कारण इस इलाके में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। अक्टूबर 2023 में हेरात प्रांत में आए 6.3 तीव्रता के भूकंप ने भी हजारों लोगों की जान ली थी, जिसे तालिबान ने 4,000 और संयुक्त राष्ट्र ने 1,500 मौतों का अनुमान लगाया था। इस बार का भूकंप भी उसी तरह की त्रासदी को दर्शाता है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि हिमालयी क्षेत्र में भविष्य में और बड़े भूकंप आ सकते हैं, जिसके लिए क्षेत्रीय सहयोग और बेहतर आपदा प्रबंधन की जरूरत है।

नंगरहार में आए इस भूकंप ने अफगानिस्तान के लिए भारी तबाही लाई, लेकिन साथ ही यह टीटीपी जैसे आतंकी संगठन के लिए भी एक बड़ा झटका साबित हुआ। जहां अफगानिस्तान मातम और राहत कार्यों में जुटा है, वहीं पाकिस्तान के लिए यह अप्रत्याशित रूप से एक सामरिक लाभ की तरह सामने आया। फिर भी, इस त्रासदी ने एक बार फिर क्षेत्रीय देशों को आपदा प्रबंधन और सहयोग की जरूरत को रेखांकित किया है। जै