ट्रंप के टैरिफ युद्ध के बीच भारत-जर्मनी ने द्विपक्षीय व्यापार और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को दी नई मजबूती.
भारत और जर्मनी ने ट्रंप के टैरिफ युद्ध के बीच द्विपक्षीय व्यापार, आतंकवाद विरोधी सहयोग, और तकनीकी साझेदारी को मजबूत करने की घोषणा की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और जर्मन विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल की मुलाकात में सेमीकंडक्टर, ग्रीन हाइड्रोजन, अंतरिक्ष, और AI में सहयोग पर जोर दिया गया। जर्मनी ने भारत-EU मुक्त व्यापार समझौते का समर्थन किया और यूक्रेन युद्ध में भारत की मध्यस्थता की अपील की। इंडो-पैसिफिक में चीन के आक्रामक रवैये पर चिंता जताई गई, और रक्षा व शिक्षा सहयोग को बढ़ाने पर सहमति बनी।

नई दिल्ली, 3 सितंबर 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बीच भारत और जर्मनी ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने का ऐलान किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और जर्मन विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल की हालिया मुलाकात में द्विपक्षीय व्यापार, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, अंतरिक्ष, ग्रीन एनर्जी, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर महत्वपूर्ण घोषणाएं हुईं। यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार और भू-राजनीति में हलचल मचा रखी है।
आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता
विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जर्मनी के समर्थन को अत्यधिक महत्व देता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के प्रति अपनी जीरो-टॉलरेंस नीति पर कायम है और जर्मनी के साथ इस क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करेगा। जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल ने भी भारत के पड़ोस में हाल ही में लागू हुए युद्धविराम की सराहना की और इसे बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
द्विपक्षीय व्यापार और उद्योग सहयोग
बातचीत में दोनों देशों ने व्यापारिक रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का संकल्प लिया। जयशंकर ने कहा कि भारत जर्मन उद्योगों के साथ काम करने को उत्सुक है और जर्मन कंपनियों की चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार है। सेमीकंडक्टर को एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया, जिसमें भारत की युवा प्रतिभा महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। वाडेफुल ने भारत-यूरोपीय संघ (EU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का समर्थन किया और उम्मीद जताई कि यह समझौता 2025 के अंत तक पूरा हो जाएगा।
अंतरिक्ष और ग्रीन एनर्जी में सहयोग
जर्मन विदेश मंत्री ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दौरा किया, जिसे दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जयशंकर ने बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन एनर्जी फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में भी चर्चा हुई। दोनों देश इन क्षेत्रों में तकनीकी और वित्तीय सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
शिक्षा और मानव संसाधन
जयशंकर ने बताया कि जर्मनी में भारतीय छात्रों की संख्या सबसे अधिक है। दोनों देशों ने अल्पकालिक कॉलेज विजिट के लिए मुफ्त वीजा पर सहमति जताई है, जिससे शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, जयशंकर ने जर्मनी में भारतीय बच्ची अरिहा शाह के मामले को उठाया और इसे जल्द सुलझाने की मांग की।
एआई और एयरोस्पेस में भारत की अग्रणी भूमिका
जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल ने भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और एयरोस्पेस के क्षेत्र में अग्रणी देश बताया। उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी मिलकर इन क्षेत्रों में वैश्विक मानक स्थापित कर सकते हैं। वाडेफुल ने EU के AI एक्ट को एक महत्वपूर्ण कदम बताया और भारत के साथ नैतिक AI विकास में सहयोग की इच्छा जताई।
यूक्रेन युद्ध और वैश्विक शांति
वाडेफुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हालिया मुलाकात का जिक्र करते हुए भारत से यूक्रेन युद्ध को खत्म करने में मध्यस्थता की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत के रूस के साथ संबंध इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत और जर्मनी हर मुद्दे पर पूरी तरह सहमत नहीं हैं, लेकिन खुली चर्चा से समाधान निकाला जा सकता है।
इंडो-पैसिफिक में चीन की चुनौती
जर्मन विदेश मंत्री ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और समुद्री व्यापार मार्गों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे। रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए संयुक्त सैन्य अभ्यास और निर्यात लाइसेंस प्रक्रिया को तेज करने पर भी सहमति बनी।
ट्रंप के टैरिफ का वैश्विक प्रभाव
अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत ने इसका कड़ा विरोध किया है। जयशंकर ने इसे "अनुचित और अन्यायपूर्ण" बताया, खासकर जब यूरोप और चीन पर रूस से तेल खरीद के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया। जर्मनी ने भी ट्रंप की अपील को ठुकराते हुए भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार बताया और किसी भी अमेरिकी दबाव में भारत पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया।
रणनीतिक साझेदारी की गहराई
भारत और जर्मनी के बीच 1951 से चले आ रहे संबंध 2021 में अपनी 70वीं वर्षगांठ मना चुके हैं। पिछले दो वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ छह बार मिल चुके हैं, जो इस रिश्ते की मजबूती को दर्शाता है। वाडेफुल ने कहा कि भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि एक तेजी से उभरती आर्थिक शक्ति भी है, जिसके साथ जर्मनी की साझेदारी सुरक्षा, नवाचार, और कुशल श्रमिकों की भर्ती जैसे क्षेत्रों में विस्तार की अपार संभावनाएं रखती है।
ट्रंप के टैरिफ युद्ध ने वैश्विक व्यापार में तनाव पैदा किया है, लेकिन भारत और जर्मनी ने इस चुनौती को अवसर में बदलने का फैसला किया है। दोनों देशों ने न केवल व्यापार और तकनीकी सहयोग को बढ़ाने का संकल्प लिया, बल्कि आतंकवाद और वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का भी वादा किया। यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और वैश्विक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगी।