राजस्थान की नई भू-आवंटन नीति: शहीदों के स्मारक के लिए 500 वर्गमीटर मुफ्त जमीन, कॉलेज-विश्वविद्यालयों के लिए कम हुआ क्षेत्र

राजस्थान की भजनलाल सरकार ने नई भू-आवंटन नीति 2025 लागू की, जिसमें शहीदों के स्मारकों के लिए मुफ्त जमीन, कॉलेज-विश्वविद्यालयों के लिए कम जमीन, और निवेशकों के लिए सख्त नियम शामिल हैं। राजनीतिक दलों को भी पुरानी शर्तों में राहत दी गई है।

Sep 3, 2025 - 11:26
राजस्थान की नई भू-आवंटन नीति: शहीदों के स्मारक के लिए 500 वर्गमीटर मुफ्त जमीन, कॉलेज-विश्वविद्यालयों के लिए कम हुआ क्षेत्र

राजस्थान की भजनलाल सरकार ने प्रदेश में जमीन आवंटन के नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए नई भू-आवंटन नीति 2025 लागू की है। इस नीति में जहां एक ओर शहीदों के सम्मान में उनके स्मारकों के लिए मुफ्त जमीन का प्रावधान किया गया है, वहीं कॉलेज, विश्वविद्यालय और निवेशकों के लिए जमीन आवंटन के नियमों को और सख्त किया गया है। करीब एक दशक बाद आई इस नीति में कई अहम बदलाव किए गए हैं, जो सामाजिक, शैक्षणिक और निवेश के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान करेंगे।

शहीदों के लिए मुफ्त जमीन: सम्मान का अनूठा कदम

नई नीति में पहली बार सेना में शहीद होने वाले जवानों के स्मारकों के लिए मुफ्त जमीन देने का प्रावधान शामिल किया गया है। यह जमीन शहीद के जन्म स्थान वाले शहर या स्थानीय निकाय में ही आवंटित की जाएगी। प्रत्येक स्मारक के लिए अधिकतम 500 वर्गमीटर जमीन दी जाएगी, जिसका आवंटन जिला सैनिक कल्याण अधिकारी के माध्यम से होगा। पुरानी नीति (2015) में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं था। यह कदम शहीदों के बलिदान को सम्मान देने और उनकी स्मृति को संजोने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

कॉलेज और विश्वविद्यालयों के लिए कम हुई जमीन

नई नीति में शैक्षणिक संस्थानों के लिए जमीन आवंटन के नियमों में भी बदलाव किया गया है। पहले संभागीय मुख्यालयों पर कॉलेजों के लिए 10,000 वर्गमीटर और अन्य जिलों में 13,000 वर्गमीटर तक जमीन दी जाती थी। अब इसे घटाकर क्रमशः 6,000 और 10,000 वर्गमीटर कर दिया गया है। इसी तरह, विश्वविद्यालयों के लिए संभागीय मुख्यालयों और अन्य जिलों में पहले अधिकतम 30-30 एकड़ जमीन का प्रावधान था, जिसे अब घटाकर 20-20 एकड़ कर दिया गया है। सरकार का मानना है कि इससे जमीन का बेहतर उपयोग होगा और ज्यादा संस्थानों को अवसर मिलेगा।

राजनीतिक दलों को राहत, पुरानी शर्त हटाई

नई नीति में राजनीतिक दलों को भी राहत दी गई है। पुरानी नीति (2015) में यह प्रावधान था कि अगर किसी राष्ट्रीय स्तर की मान्यता प्राप्त पार्टी को जमीन आवंटित की जाती है और बाद में उसका राष्ट्रीय दर्जा खत्म हो जाता है, तो स्थानीय निकाय उस जमीन को वापस ले सकते थे, भले ही उस पर निर्माण क्यों न हो। नई नीति में इस शर्त को हटा दिया गया है। अब ऐसी स्थिति में राजनीतिक दलों का जमीन आवंटन रद्द नहीं होगा, जिससे उन्हें स्थायी राहत मिलेगी।

निवेशकों के लिए नई शर्तें: पूंजी दिखाना अनिवार्य

निवेशकों के लिए भी सरकार ने नियमों को और पारदर्शी बनाया है। अब केवल वही निवेशक जमीन आवंटन के लिए आवेदन कर सकेंगे, जो अपनी कुल निवेश राशि का 30% पूंजी सरकार को दिखा सकें। यदि कोई निवेशक 30% पूंजी नहीं दिखा पाता, तो उसे अपनी कंपनी या संस्थान के पिछले तीन साल के नेट प्रोफिट का प्रमाण देना होगा, जो निवेश राशि का कम से कम 10% होना चाहिए। इस शर्त से सरकार का उद्देश्य गंभीर और सक्षम निवेशकों को प्रोत्साहन देना है।

एक दशक बाद नीति में बदलाव

यह नई भू-आवंटन नीति 2015 की नीति को बदलते हुए लागू की गई है। सरकार का कहना है कि यह नीति प्रदेश में निवेश, शिक्षा और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ शहीदों के प्रति सम्मान को भी दर्शाती है। नई नीति के तहत धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं और चैरिटेबल ट्रस्टों के लिए भी जमीन आवंटन के नियमों को और स्पष्ट किया गया है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

यह नीति राजस्थान में विकास की नई संभावनाओं को खोलने के साथ-साथ शहीदों के बलिदान को सम्मान देने का एक अनूठा प्रयास है। सरकार का यह कदम न केवल निवेशकों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए नए अवसर लाएगा, बल्कि शहीदों की स्मृति को भी अमर रखेगा।

Yashaswani Journalist at The Khatak .