भारत में मॉनसून की बारिश और मौसम का ताजा अनुमान, किसानों के लिए जरूरी खबर!
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, सितंबर 2025 में देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश (109% LPA) की संभावना है, जो खरीफ फसलों के लिए फायदेमंद हो सकती है। हालांकि, पूर्वोत्तर, पूर्वी, और दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में कम बारिश का अनुमान है। तापमान में क्षेत्रीय अंतर रहेगा, जहां पश्चिम-मध्य और दक्षिण भारत में दिन का तापमान सामान्य से कम, जबकि पूर्वी और तटीय क्षेत्रों में अधिक रह सकता है। किसानों को भारी बारिश और बाढ़ से फसलों (चावल, कपास, सोयाबीन, मक्का) को होने वाले नुकसान के प्रति सतर्क रहना होगा।

भारत में अगस्त का महीना मॉनसूनी बारिश से सराबोर रहा, जहां कई राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ ने तबाही मचाई। अब सितंबर में मौसम का मिजाज कैसा रहेगा? भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सितंबर 2025 के लिए अपने ताजा पूर्वानुमान जारी किए हैं, जिसमें बारिश, तापमान, और खेती पर इसके प्रभाव की विस्तृत जानकारी दी गई है। आइए, जानते हैं कि इस महीने देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम का हाल कैसा रहेगा और इसका किसानों व फसलों पर क्या असर पड़ सकता है।
सितंबर में बारिश का अनुमान
आईएमडी के अनुसार, सितंबर 2025 में देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। पूरे देश में मासिक औसत वर्षा दीर्घावधि औसत (LPA) के 109% तक पहुंच सकती है, जो सामान्य से अधिक है। गौरतलब है कि 1971 से 2020 के बीच सितंबर में औसत बारिश 167.9 मिमी रही है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में बारिश का रुख अलग हो सकता है:
सामान्य से अधिक बारिश: मध्य, उत्तर-पश्चिम, और पश्चिमी भारत के ज्यादातर हिस्सों में अच्छी बारिश की उम्मीद है।
सामान्य से कम बारिश: पूर्वोत्तर भारत, पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों, और दक्षिण भारत के कुछ दूरदराज इलाकों में बारिश सामान्य से कम रह सकती है।
यह भिन्नता क्षेत्रीय स्तर पर मौसम की अनिश्चितता को दर्शाती है, जिसका असर खेती और अन्य गतिविधियों पर पड़ सकता है।
तापमान का हाल
सितंबर में तापमान के मामले में भी क्षेत्रीय अंतर देखने को मिलेगा:
अधिकतम तापमान: पश्चिम-मध्य, उत्तर-पश्चिम, और दक्षिण भारत के कई हिस्सों में दिन का औसत अधिकतम तापमान सामान्य से कम या सामान्य के आसपास रहेगा। वहीं, पूर्व-मध्य, पूर्वी, और पूर्वोत्तर भारत, उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों, और पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में दिन का तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है।
न्यूनतम तापमान: देश के ज्यादातर हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से अधिक या सामान्य के करीब रहेगा। हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से कम हो सकता है।
किसानों के लिए क्या है खास?
सितंबर का मौसम खरीफ फसलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह फसलों की कटाई और परिपक्वता का समय होता है। आईएमडी के पूर्वानुमान के आधार पर, किसानों के लिए कुछ अच्छी और कुछ सावधानी भरी खबरें हैं:
बंपर पैदावार की उम्मीद: सामान्य से अधिक बारिश खरीफ फसलों जैसे धान, मक्का, और अन्य जल-आवश्यक फसलों के लिए फायदेमंद हो सकती है। यह अच्छी पैदावार की संभावना को बढ़ा सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की जरूरत अधिक होती है।
मिट्टी में नमी: बारिश के कारण मिट्टी में नमी बनी रहेगी, जो फसलों की वृद्धि के लिए अनुकूल है।
सावधानी की जरूरत
फसलों को नुकसान का खतरा: सामान्य से अधिक बारिश कुछ ग्रीष्मकालीन फसलों जैसे चावल, कपास, सोयाबीन, और मक्का के लिए नुकसानदायक हो सकती है। सितंबर के मध्य से इन फसलों की कटाई शुरू होती है, और अत्यधिक बारिश या बाढ़ जैसी स्थिति फसलों को खराब कर सकती है।
क्षेत्रीय जोखिम: पूर्वोत्तर, पूर्वी, और दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में कम बारिश के कारण खेती पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इन क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था पर ध्यान देना होगा।
बाढ़ का खतरा: जिन क्षेत्रों में भारी बारिश की संभावना है, वहां बाढ़ जैसी स्थिति फसलों और किसानों के लिए चुनौती बन सकती है।
किसानों के लिए सुझाव
सतर्कता बरतें: जिन क्षेत्रों में भारी बारिश की संभावना है, वहां किसानों को जल निकासी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए ताकि खेतों में पानी न रुके।
फसल निगरानी: कटाई के समय फसलों की नियमित निगरानी करें और बारिश के आधार पर कटाई का समय तय करें।
सिंचाई प्रबंधन: कम बारिश वाले क्षेत्रों में किसानों को वैकल्पिक सिंचाई साधनों पर ध्यान देना चाहिए।
सितंबर 2025 में भारत का मौसम मॉनसून की सक्रियता के साथ मिश्रित रहेगा। जहां देश के ज्यादातर हिस्सों में अच्छी बारिश खेती के लिए वरदान साबित हो सकती है, वहीं कुछ क्षेत्रों में कम बारिश और बाढ़ जैसे जोखिम चुनौतियां पैदा कर सकते हैं। तापमान में भी क्षेत्रीय विविधता देखने को मिलेगी, जिसका असर दैनिक जीवन और कृषि गतिविधियों पर पड़ेगा। किसानों को मौसम के इस पूर्वानुमान के आधार पर अपनी रणनीति तैयार करनी चाहिए ताकि फसलों की सुरक्षा और पैदावार को अधिकतम किया जा सके।