रक्षा उपकरणों पर जीरो GST सेना को मिलेगी नई ताकत,आत्मनिर्भर भारत को प्रोत्साहन....
केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए रक्षा उपकरणों, हथियारों और सैन्य विमानों पर जीएसटी को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में ड्रोन, मिसाइल, सैटेलाइट्स, फ्लाइट सिमुलेटर्स, और इजेक्शन सीट जैसे उपकरणों पर जीरो जीएसटी लागू किया गया, जबकि रेडियो कम्युनिकेशन डिवाइस और वॉकी-टॉकी पर जीएसटी 18-28% से घटाकर 5% किया गया। जीएसटी स्लैब को सरल कर 5% और 18% में बदला गया है। यह कदम सेना की ताकत बढ़ाएगा, स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन देगा और ड्रोन उद्योग को वैश्विक हब बनाएगा।

केंद्र सरकार ने सेना को और मजबूत करने और देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 3-4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में रक्षा उपकरणों, हथियारों और सैन्य विमानों पर लगने वाले गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। इसके साथ ही ड्रोन जैसे महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों पर जीएसटी को 28% से घटाकर 5% या शून्य कर दिया गया है। यह फैसला न केवल सेनाओं की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय रक्षा उत्पादन और निर्यात को भी नई गति देगा। आइए, इस ऐतिहासिक फैसले के हर पहलू को विस्तार से समझते हैं।
GST स्लैब में बड़े बदलाव: अब सिर्फ 5% और 18%
जीएसटी व्यवस्था को सरल और प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने टैक्स स्लैब को चार (5%, 12%, 18%, और 28%) से घटाकर दो (5% और 18%) कर दिया है। इसके अलावा, तंबाकू और पान मसाला जैसे ‘सिन गुड्स’ पर 40% का नया स्लैब लागू किया गया है। यह नई व्यवस्था 22 सितंबर 2025 से लागू होगी। रक्षा क्षेत्र के लिए विशेष राहत देते हुए कई सैन्य उपकरणों पर पहले लगने वाला 18-28% जीएसटी अब पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। इससे रक्षा उपकरणों की खरीद और उत्पादन की लागत कम होगी, जिससे सेनाओं को आधुनिक उपकरण जल्दी और सस्ते में मिल सकेंगे।
किन रक्षा उपकरणों पर जीएसटी हुई जीरो?
जीएसटी काउंसिल के इस फैसले से कई महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों पर टैक्स पूरी तरह खत्म हो गया है। इनमें शामिल हैं:रिमोट पायलटेड एयरक्राफ्ट (ड्रोन) से लॉन्च होने वाली मिसाइलें: ये ड्रोन आधुनिक युद्ध में गेम-चेंजर साबित हो रहे हैं। इन पर जीएसटी खत्म होने से ड्रोन युद्ध क्षमता बढ़ेगी।
जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट्स (जीसैट): जासूसी, निगरानी और संचार के लिए इस्तेमाल होने वाले इन सैटेलाइट्स पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा।
फाइटर जेट्स से लॉन्च होने वाली मिसाइलें: जैसे कि अस्त्र, ब्रह्मोस और रुद्रम मिसाइलें, जो भारतीय वायुसेना की ताकत हैं।
फ्लाइट सिमुलेटर्स: पायलटों को वास्तविक उड़ान का अनुभव देने वाले ये उपकरण अब टैक्स-मुक्त होंगे, जिससे प्रशिक्षण लागत कम होगी।
अंडरवाटर वेसल्स: जासूसी और राहत-बचाव जैसे मिशनों में काम आने वाले पानी के नीचे संचालित होने वाले उपकरण।
फाइटर जेट इजेक्शन सीट: आपातकाल में पायलटों को सुरक्षित बाहर निकालने वाली ये सीटें अब जीएसटी-मुक्त हैं।
डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी): पनडुब्बी दुर्घटना में बचाव के लिए इस्तेमाल होने वाले ये वाहन।
तोप और राइफल्स के स्पेयर पार्ट्स: इनके रखरखाव और मरम्मत की लागत कम होगी।
किन रक्षा उत्पादों पर GST घटी?
कई रक्षा उपकरणों पर जीएसटी को कम करके 5% किया गया है, जो पहले 18-28% था। इनमें शामिल हैं:सॉफ्टवेयर-आधारित रेडियो कम्युनिकेशन डिवाइस: जैसे कि सैन्य संचार के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरण, जिन पर अब केवल 5% टैक्स लगेगा।
वॉकी-टॉकी: सैन्य संचार का महत्वपूर्ण हिस्सा, इन पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% किया गया है।
टैंक और बख्तरबंद वाहन: इन पर भी जीएसटी 12% से घटाकर 5% किया गया है।
ड्रोन इंडस्ट्री को मिलेगा जबरदस्त बूस्ट
आधुनिक युद्ध में ड्रोन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। पहले ड्रोन पर उनकी श्रेणी के आधार पर 5% से 28% तक जीएसटी लगता था। उदाहरण के लिए, कैमरा वाले ड्रोन पर 18% और व्यक्तिगत उपयोग वाले ड्रोन पर 28% टैक्स था। अब सभी कमर्शियल ड्रोन पर एक समान 5% जीएसटी लागू होगा, जबकि रक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन पूरी तरह टैक्स-मुक्त होंगे। इससे न केवल सैन्य ड्रोन की लागत कम होगी, बल्कि भारत में तेजी से बढ़ रही ड्रोन इंडस्ट्री को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत का ड्रोन मार्केट 2025 में 0.47 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 1.39 बिलियन डॉलर का हो सकता है, और अगर स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला तो यह 23 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। आईजी ड्रोन्स के सीईओ बोधिसत्व संघप्रिया ने कहा, “5% जीएसटी कटौती ड्रोन इंडस्ट्री के लिए गेम-चेंजर है। यह भारत को ग्लोबल ड्रोन हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।”
आत्मनिर्भर भारत और डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ावा
इस फैसले से रक्षा क्षेत्र में स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। उदाहरण के लिए, अमेरिका से खरीदे जाने वाले सी-130 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और वडोदरा में एयरबस-टाटा द्वारा बनाए जा रहे सी-295 एयरक्राफ्ट अब जीएसटी-मुक्त होंगे। इससे इनकी लागत कम होगी और भारतीय सेना को आधुनिक उपकरण सस्ते में मिल सकेंगे। साथ ही, जीरो जीएसटी से भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा, क्योंकि ये वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे। यह आत्मनिर्भर भारत के मिशन को और मजबूत करेगा।
सेना और अर्थव्यवस्था दोनों को फायदा
यह फैसला सेना की ताकत बढ़ाने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी गति देगा। जीएसटी खत्म होने से रक्षा उपकरणों की खरीद और उत्पादन सस्ता होगा, जिससे सेना को समय पर आधुनिक हथियार और उपकरण मिल सकेंगे। साथ ही, ड्रोन और अन्य रक्षा उत्पादों के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा मिलने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह कदम भारत को रक्षा क्षेत्र में वैश्विक शक्ति बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
GST काउंसिल का यह फैसला रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है। मिसाइल, ड्रोन, सैटेलाइट्स, और सैन्य विमानों से लेकर प्रशिक्षण और बचाव उपकरणों तक, जीरो जीएसटी से भारतीय सेनाएं और मजबूत होंगी। ड्रोन इंडस्ट्री को मिला प्रोत्साहन भारत को ग्लोबल ड्रोन हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने और रक्षा निर्यात को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर है।