"स्तनपान को प्राथमिकता: माँ का दूध शिशु के स्वास्थ्य और विकास की ताकत

"स्तनपान को प्राथमिकता: सतत सहायता प्रणाली" थीम के साथ माँ के दूध के महत्व और शिशु स्वास्थ्य के लिए सहायक नीतियों व सामुदायिक समर्थन को बढ़ावा देता है। यह अभियान स्वस्थ पीढ़ियों और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए माताओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।

Sep 5, 2025 - 19:08
"स्तनपान को प्राथमिकता: माँ का दूध शिशु के स्वास्थ्य और विकास की ताकत

विश्व स्तनपान सप्ताह 2025, जो 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाएगा, इस बार "स्तनपान को प्राथमिकता: सतत सहायता प्रणाली का निर्माण" थीम पर केंद्रित है। यह अभियान माँ के दूध के महत्व और शिशुओं के समग्र स्वास्थ्य, विशेष रूप से उनके पेट के माइक्रोबायोम को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका को रेखांकित करता है। माँ का दूध शिशुओं के लिए पोषण, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक विकास का आधार है, जो उन्हें विभिन्न बीमारियों से बचाने में मदद करता है।

माँ का दूध: शिशु के लिए प्रकृति का अनमोल उपहार

माँ का दूध एक जीवंत तरल पदार्थ है, जो शिशु की बदलती जरूरतों के अनुसार अनुकूलित होता है। इसमें प्रोटीन, डीएचए जैसे वसा, विटामिन, एंजाइम, हार्मोन, एंटीबॉडी और प्रीबायोटिक्स होते हैं, जो शिशु के पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं। यह दूध शिशुओं को संक्रमण, एलर्जी, मोटापा और दीर्घकालिक बीमारियों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेष रूप से, प्रारंभिक दूध यानी कोलोस्ट्रम, जो नवजात शिशु की रक्षा के लिए प्रतिरक्षा कोशिकाओं से भरपूर होता है।

डॉ. निधि राजोतिया, यूनिट हेड - प्रसूति एवं स्त्री रोग, आर्टेमिस हॉस्पिटल, कहती हैं, “माँ का दूध शिशु की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ उनके मस्तिष्क और रोग प्रतिरोधक प्रणाली के विकास को बढ़ावा देता है।” विशेषज्ञ पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान और दो वर्ष या उससे अधिक समय तक पूरक आहार के साथ स्तनपान की सलाह देते हैं।

स्तनपान को बढ़ावा: सतत सहायता की जरूरत

विश्व स्तर पर स्तनपान की दर अभी भी अपेक्षित लक्ष्यों से कम है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे मिथक, सांस्कृतिक बाधाएँ और सहायता की कमी। डॉ. किरण कोएल्हो, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, लीलावती हॉस्पिटल, मिथकों को खारिज करते हुए कहती हैं, “कई लोग मानते हैं कि गर्म मौसम में माँ का दूध पर्याप्त नहीं होता या कोलोस्ट्रम को फेंक देना चाहिए, लेकिन यह पूरी तरह गलत है। माँ का दूध शिशु के लिए पूर्ण पोषण और जलयोजन प्रदान करता है।”

विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 सरकारों, समुदायों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से आह्वान करता है कि वे माताओं को स्तनपान के लिए प्रोत्साहित करने हेतु दीर्घकालिक और समावेशी सहायता प्रणाली विकसित करें। इसमें कुशल परामर्श, मातृत्व अवकाश का विस्तार, कार्यस्थलों पर स्तनपान-अनुकूल वातावरण और स्वास्थ्य कर्मियों को स्तनपान परामर्श में प्रशिक्षण शामिल है।

नीतिगत और सामाजिक बदलाव की मांग

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ के अनुसार, घर, कार्यस्थल और स्वास्थ्य प्रणालियों में व्यापक सहायता प्रणाली विकसित करना आवश्यक है, खासकर उन माताओं के लिए जो काम पर लौटती हैं। इसके अलावा, ब्रेस्टमिल्क सब्स्टीट्यूट्स के विपणन पर अंतरराष्ट्रीय संहिता को लागू करना, मातृत्व अवकाश को बढ़ाना और स्तनपान-अनुकूल नीतियों को अपनाना जरूरी है।

स्तनपान न केवल शिशु के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा देता है। फॉर्मूला दूध के उत्पादन और पैकेजिंग से होने वाले कचरे और उत्सर्जन को कम करके, स्तनपान पर्यावरण संरक्षण में योगदान देता है।

माताओं को सशक्त बनाने की दिशा में कदम

स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए माताओं को गर्भावस्था के दौरान और बाद में उचित शिक्षा, सही लैचिंग तकनीक, दूध निकालने और संग्रह करने की जानकारी, साथ ही भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है। माताओं की भावनात्मक भलाई, पर्याप्त आराम और पोषण भी दूध उत्पादन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 समाज से आह्वान करता है कि वह स्तनपान को केवल एक व्यक्तिगत पसंद न मानकर सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में अपनाए। यह अभियान सम्मानजनक संवाद, सूचनात्मक नीतियों और सहायक समुदायों के माध्यम से माताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम है।

एक स्वस्थ और सतत भविष्य की ओर

स्तनपान संस्कृति में निवेश न केवल स्वस्थ पीढ़ियों को बढ़ावा देता है, बल्कि सामाजिक समरसता और स्वास्थ्य समानता को भी मजबूत करता है। यह ज्ञान, पहुंच और सामाजिक दृष्टिकोण में अंतर को पाटकर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है। विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 हमें एकजुट होकर माताओं और शिशुओं के लिए एक बेहतर, स्वस्थ और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य बनाने की प्रेरणा देता है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .