जियो रिचार्ज की कीमतों में उछाल की तैयारी, 2025 के अंत तक 15% बढ़ोतरी का अनुमान.
रिलायंस जियो 2026 में भारत के सबसे बड़े आईपीओ की तैयारी में है, लेकिन उससे पहले यूजर्स को टैरिफ में 15% की बढ़ोतरी का झटका लग सकता है! कंपनी अपने प्रति यूजर औसत आय (एआरपीयू) को बढ़ाने और निवेशकों को लुभाने के लिए नवंबर-दिसंबर 2025 तक रिचार्ज प्लान महंगे कर सकती है। जियो का मौजूदा एआरपीयू 208.8 रुपये है, जो एयरटेल (250 रुपये) से कम है। सस्ते प्लान पहले ही हटाए जा चुके हैं, और अब यह कदम जियो को वित्तीय रूप से मजबूत करने के साथ-साथ 5G और डिजिटल सेवाओं में निवेश को बढ़ावा देगा। लेकिन, क्या यूजर्स इस बढ़ोतरी को झेल पाएंगे, या BSNL की तरफ रुख करेंगे? यह देखना बाकी है!

नई दिल्ली: रिलायंस जियो, भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी, 2026 की पहली छमाही में अपनी प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) लाने की तैयारी कर रही है, जो देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है। विश्लेषकों का अनुमान है कि कंपनी इस आईपीओ से पहले अपने टैरिफ प्लान में 15% तक की बढ़ोतरी कर सकती है। यह कदम कंपनी की औसत प्रति यूजर आय (एआरपीयू) को बढ़ाने और निवेशकों को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
टैरिफ बढ़ोतरी की रणनीति
टेलीकॉम सेक्टर में जियो की प्रतिस्पर्धा मुख्य रूप से भारती एयरटेल के साथ है। वर्तमान में जियो का एआरपीयू 208.8 रुपये है, जबकि एयरटेल का एआरपीयू 250 रुपये है। जियो के टैरिफ प्लान एयरटेल की तुलना में सस्ते हैं, जिसके कारण उसका एआरपीयू कम है। कंपनी अपने राजस्व को बढ़ाने और पूंजी पर रिटर्न (रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड- RoCE) को बेहतर करने के लिए टैरिफ में बढ़ोतरी पर विचार कर रही है। विश्लेषकों के अनुसार, जियो नवंबर-दिसंबर 2025 तक अपने टैरिफ में 15% की बढ़ोतरी कर सकता है। यह बढ़ोतरी कंपनी की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और आईपीओ के लिए निवेशकों का भरोसा जीतने में मदद करेगी। जेपी मॉर्गन और जेएम फाइनेंशियल जैसे विश्लेषक फर्मों ने भी इस तरह की टैरिफ वृद्धि की संभावना जताई है।
हाल के बदलाव
जियो ने हाल ही में अपने कुछ सस्ते टैरिफ प्लान, जैसे 1 जीबी प्रतिदिन डेटा वाले 209 रुपये (22 दिन) और 249 रुपये (28 दिन) के प्लान को हटा दिया है। अब कंपनी का बेसिक मासिक प्लान 299 रुपये का है, जिसमें 1.5 जीबी प्रतिदिन डेटा मिलता है। यह कदम भी एआरपीयू बढ़ाने की दिशा में उठाया गया है। हालांकि, जियो ने जियोभारत और जियोफोन यूजर्स के लिए टैरिफ में कोई बदलाव नहीं किया है।
आईपीओ की तैयारियां
रिलायंस जियो का आईपीओ 2026 की पहली छमाही में आने की उम्मीद है, जिसकी वैल्यूएशन 10-12 लाख करोड़ रुपये (लगभग 120-133 बिलियन डॉलर) हो सकती है। यह आईपीओ ताजा इक्विटी शेयरों और ऑफर-फॉर-सेल (OFS) का मिश्रण होगा, जिसमें मौजूदा शेयरधारक, जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज, मेटा और गूगल, अपने कुछ शेयर बेच सकते हैं। जियो ने फरवरी 2025 में सेबी के पास गोपनीय दस्तावेज दाखिल किए थे और जुलाई में उनकी पूछताछ का जवाब दिया था। अब अंतिम मंजूरी का इंतजार है। कंपनी का लक्ष्य इस आईपीओ के जरिए 40,000-50,000 करोड़ रुपये जुटाने का है। विश्लेषकों का कहना है कि जियो की मजबूत स्थिति, 500 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स, 5G में निवेश और डिजिटल सेवाओं (जैसे जियोसिनेमा और AI क्लाउड) में विस्तार इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाता है।
टेलीकॉम सेक्टर पर प्रभाव
जियो की टैरिफ वृद्धि का असर पूरे टेलीकॉम सेक्टर पर पड़ सकता है। पहले भी जियो की कीमतों में बदलाव के बाद एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने अपने टैरिफ बढ़ाए थे। जुलाई 2024 में जियो ने अपने प्लान की कीमतों में 12-27% की बढ़ोतरी की थी, जिसके बाद प्रतिस्पर्धियों ने भी ऐसा ही किया। इस बार भी 15% की बढ़ोतरी से अन्य कंपनियों पर दबाव पड़ सकता है।
निवेशकों के लिए संभावनाएं और जोखिम
जियो का आईपीओ भारतीय पूंजी बाजार के लिए एक ऐतिहासिक घटना हो सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह आईपीओ 2024 में हुंडई मोटर इंडिया के 27,870 करोड़ रुपये के आईपीओ को पीछे छोड़ सकता है। हालांकि, कुछ विश्लेषक चेतावनी देते हैं कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरधारकों को होल्डिंग कंपनी डिस्काउंट के कारण पूरा फायदा नहीं मिल सकता। इसके अलावा, टैरिफ बढ़ोतरी से सब्सक्राइबर बेस में कमी का जोखिम भी है, जैसा कि जुलाई-सितंबर 2024 में 10.94 मिलियन यूजर्स की कमी के साथ देखा गया था।
जियो की रणनीति
जियो न केवल टेलीकॉम में बल्कि डिजिटल और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में भी विस्तार कर रहा है। कंपनी ने हाल ही में डिज्नी+ हॉटस्टार के साथ जियोसिनेमा का विलय पूरा किया, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा OTT प्लेटफॉर्म बन गया है। इसके अलावा, जियो की Nvidia के साथ साझेदारी और सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवाओं की मंजूरी इसे भविष्य की टेक्नोलॉजी में अग्रणी बनाती है।
रिलायंस जियो का आगामी आईपीओ और संभावित टैरिफ वृद्धि टेलीकॉम सेक्टर में बड़ा बदलाव ला सकती है। कंपनी की रणनीति अपने वित्तीय प्रदर्शन को मजबूत करने और निवेशकों का भरोसा जीतने की है। हालांकि, टैरिफ बढ़ोतरी से यूजर्स पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है, जिसका असर सब्सक्राइबर बेस पर भी हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जियो इस संतुलन को कैसे बनाए रखता है।