बांध लबालब, सूखे की चिंता कम मानसून की मेहरबानी: बांधों में रिकॉर्ड तोड़ पानी की आवक

राजस्थान में इस मानसून 384 बांध लबालब हो गए, कुल भराव क्षमता का 85.43% पानी आया, जो पिछले साल के 73.14% से कहीं अधिक है। बीसलपुर और ईसरदा बांधों से नियंत्रित पानी निकासी जारी है।

Sep 2, 2025 - 16:27
बांध लबालब, सूखे की चिंता कम मानसून की मेहरबानी: बांधों में रिकॉर्ड तोड़ पानी की आवक

इस साल राजस्थान में मानसून ने जमकर मेहरबानी दिखाई है। सितंबर की शुरुआत में पहली बार राज्य के 384 बांध अपनी पूरी क्षमता के साथ लबालब हो गए हैं। पिछले 24 घंटों में ही 14 और बांधों में पानी का स्तर चरम पर पहुंच गया, जिससे सूखे बांधों की संख्या घटकर अब मात्र 116 रह गई है। वहीं, 193 बांध आंशिक रूप से भरे हुए हैं। बांधों में कुल भराव क्षमता का 85.43% पानी आ चुका है, जो पिछले साल 2 सितंबर तक के 73.14% की तुलना में एक बड़ा रिकॉर्ड है। पिछले 24 घंटों में 109.7% की औसत पानी की आवक ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

संभागवार बांधों की स्थिति

राजस्थान के विभिन्न संभागों में बांधों की स्थिति इस प्रकार है:

  • जयपुर संभाग: कुल भराव क्षमता का 83.20% पानी।

  • भरतपुर संभाग: कुल भराव क्षमता का 57.89% पानी।

  • जोधपुर संभाग: कुल भराव क्षमता का 73.00% पानी।

  • कोटा संभाग: कुल भराव क्षमता का 94.96% पानी।

  • बांसवाड़ा संभाग: कुल भराव क्षमता का 95.35% पानी।

  • उदयपुर संभाग: कुल भराव क्षमता का 64.18% पानी।

खास तौर पर कोटा और बांसवाड़ा संभाग के बांधों में पानी की स्थिति सबसे बेहतर है, जो इस मानसून की असाधारण बारिश का प्रमाण है।

बीसलपुर बांध: पानी की बढ़ती आवक और नियंत्रित निकासी

राज्य के प्रमुख बांधों में से एक, बीसलपुर बांध में स्थानीय बारिश के कारण पानी की आवक लगातार बढ़ रही है। बांध के छह गेट (नंबर 8, 9, 10, 11, 12 और 13) को 2 मीटर की ऊंचाई पर खोलकर प्रतिदिन 72,000 क्यूसेक पानी डाउनस्ट्रीम में छोड़ा जा रहा है। यह पानी ईसरदा बांध की ओर जा रहा है, जहां 16 गेटों को 3 मीटर की ऊंचाई पर खोलकर 46,000 क्यूसेक पानी डाउनस्ट्रीम में निकाला जा रहा है। इस साल की भारी बारिश ने न केवल बांधों को लबालब किया है, बल्कि किसानों और स्थानीय लोगों में भी नई उम्मीद जगाई है। पानी की यह उपलब्धता खेती, पेयजल और अन्य जरूरतों के लिए वरदान साबित हो रही है। हालांकि, बांधों से पानी की नियंत्रित निकासी यह सुनिश्चित कर रही है कि निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात न बनें।

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