नेहरू की नजर से भारत: एक दृष्टि, एक विरासत...पंडित जवाहरलाल नेहरू की 61वीं पुण्यतिथि पर विशेष

हम वास्तविक स्वतंत्रता तभी प्राप्त करेंगे जब हर व्यक्ति को बराबरी और गरिमा का जीवन मिलेगा।" - नेहरू

May 27, 2025 - 19:03
नेहरू की नजर से भारत: एक दृष्टि, एक विरासत...पंडित जवाहरलाल नेहरू की 61वीं पुण्यतिथि पर विशेष

आज 27 मई को भारत अपने पहले प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू की 61वीं पुण्यतिथि मना रहा है। एक ऐसा नाम जो सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा नहीं रहा, बल्कि स्वतंत्र भारत के भविष्य की नींव भी रखा।

चाचा नेहरू: बच्चों के दोस्त, देश के मार्गदर्शक 

नेहरू को बच्चे बेहद प्रिय थे। उनका मानना था कि बच्चों में ही देश का भविष्य बसता है। शायद यही कारण था कि बच्चे उन्हें स्नेहपूर्वक “चाचा नेहरू” कहने लगे। उनके जन्मदिवस को आज भी बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

नेहरू का सपना: एक आधुनिक, प्रगतिशील भारत

नेहरू भारत को एक वैज्ञानिक सोच वाला, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाना चाहते थे। उन्होंने शिक्षा, विज्ञान, तकनीक और औद्योगिकीकरण को प्राथमिकता दी।
उनकी पहल पर ही IITs, AIIMS, ISRO और भाखड़ा-नंगल जैसे प्रोजेक्ट्स की शुरुआत हुई।

"हम वास्तविक स्वतंत्रता तभी प्राप्त करेंगे जब हर व्यक्ति को बराबरी और गरिमा का जीवन मिलेगा।" - नेहरू

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की पहचान

नेहरू गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) के संस्थापक नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारत को वैश्विक शक्ति संतुलन से दूर रखते हुए शांति और सह-अस्तित्व का पक्षधर बनाया।

विचारधारा और आलोचना

जहां नेहरू की नीतियों ने भारत को नई दिशा दी, वहीं कुछ क्षेत्रों में उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ा — विशेषकर कश्मीर नीति और चीन के साथ संबंधों को लेकर।
लेकिन यह भी सच है कि उनके फैसले एक नवजात लोकतंत्र को खड़ा करने के प्रयास थे।

आज के भारत में नेहरू की प्रासंगिकता

आज जब भारत तेज़ी से बदल रहा है, तब नेहरू के विचार और मूल्य फिर से चर्चा में हैं।
क्या हम विविधता में एकता, वैज्ञानिक सोच और लोकतांत्रिक मूल्यों की उस विरासत को संभाल पा रहे हैं?
उनकी पुण्यतिथि पर यह आत्ममंथन ज़रूरी है।

पंडित नेहरू सिर्फ एक नेता नहीं थे — वे एक विचार थे, जो आज भी हमारे संविधान, संसद और स्कूलों की इमारतों में ज़िंदा हैं।
उनकी पुण्यतिथि पर हमें सिर्फ उन्हें याद ही नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके सपनों के भारत को साकार करने की दिशा में ईमानदारी से आगे बढ़ना चाहिए।

"इतिहास को लेकर अपने मतभेद हो सकते हैं, लेकिन भविष्य हमें एकजुट करता है।" — पं. नेहरू

Yashaswani Journalist at The Khatak .