जयपुर में 'ज्योणार' की ऐतिहासिक वापसी , 50 हजार लोगों का शाही दाल-बाटी-चूरमा उत्सव
जयपुर में 100 साल बाद 'जयपुर की ज्योणार' का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें 50 हजार लोगों ने देसी घी में बनी दाल-बाटी-चूरमा का भोज लिया। अग्रवाल कॉलेज ग्राउंड में हुए इस आयोजन में 25 हजार बाटी प्रति घंटे बनीं, 1,000 किलो दाल तैयार हुई, और 200 पीपे घी का उपयोग हुआ। रियासतकालीन परंपरा को जीवंत करने वाला यह आयोजन ड्रोन वीडियो के साथ चर्चा में रहा।

जयपुर, 13 जुलाई 2025: राजस्थान की राजधानी जयपुर में रविवार को एक ऐतिहासिक और रियासतकालीन परंपरा 'जयपुर की ज्योणार' को फिर से जीवंत किया गया। सांगानेरी गेट के पास अग्रवाल कॉलेज ग्राउंड में आयोजित इस भव्य सामूहिक भोज में करीब 50 हजार लोगों ने देसी घी में तैयार दाल-बाटी-चूरमा का स्वाद लिया। यह आयोजन न केवल खाने का उत्सव था, बल्कि राजा-महाराजाओं के जमाने की उस परंपरा का प्रतीक था, जब प्रजा को आमंत्रित कर भव्य भोज कराया जाता था।
आयोजन की भव्यता और तैयारी'
जयपुर की ज्योणार' का यह आयोजन 100 साल बाद हुआ, जिसमें शहर के सभी वर्गों के लोग शामिल हुए। आयोजन में शामिल होने के लिए कूपन व्यवस्था की गई थी, जिससे सुनियोजित तरीके से भोजन वितरण हो सके। इसके लिए 500 हलवाइयों की टीम ने दिन-रात मेहनत की। खास बात यह रही कि इस भोज के लिए 12,500 किलो आटा और बेसन, 1,500 किलो दाल, और 160 पीपे (लगभग 200 पीपे) देसी गाय का घी इस्तेमाल किया गया। हर घंटे 25 हजार बाटियां तैयार की गईं, जो इस आयोजन की विशालता को दर्शाती हैं।
वाटरप्रूफ डोम की व्यवस्था: बारिश को ध्यान में रखते हुए अग्रवाल कॉलेज ग्राउंड में तीन बड़े वाटरप्रूफ डोम लगाए गए। दो डोम 330 फीट लंबे और 200 फीट चौड़े थे, जबकि तीसरा डोम 250 फीट लंबा और 50 फीट चौड़ा था। इन डोम्स में एक साथ 4,000 लोग भोजन कर सकते थे।
700 वेटर्स की तैनाती: भोजन परोसने के लिए 700 वेटर्स की टीम तैनात थी, जो मेहमानों की सेवा में लगातार सक्रिय रही।
17,300 किलो सामग्री: इस भोज के लिए 7,000 किलो बेसन-गेहूं से चूरमा तैयार किया गया, जो इस आयोजन की भव्यता को और बढ़ाता है।
रियासतकालीन परंपरा का पुनर्जनन
'ज्योणार' राजा-महाराजाओं के समय की एक परंपरा थी, जिसमें राजा अपनी प्रजा को भोज के लिए आमंत्रित करते थे। इस परंपरा को जयपुर में 110 साल बाद फिर से जीवंत किया गया। आयोजन में शहर के व्यापार मंडल, समाज प्रमुख, मंदिर-मठों के प्रतिनिधि, साधु-संत, और आमजन शामिल हुए। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के मार्गदर्शन में इस आयोजन को और भी भव्य बनाया गया।
'जयपुर की ज्योणार' ने न केवल 50 हजार लोगों को एक साथ भोजन कराने का रिकॉर्ड बनाया, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करने का एक शानदार उदाहरण भी रहा। देसी घी में बनी दाल-बाटी-चूरमा की खुशबू और ड्रोन वीडियो की भव्यता ने इस आयोजन को यादगार बना दिया।यह खबर जयपुर के लोगों के लिए गर्व का क्षण है, जो अपनी परंपराओं को आधुनिकता के साथ जोड़कर एक नया इतिहास रच रहा है।