राजस्थान में सीमा पर ट्रक ड्राइवरों की परेशानी: आरटीओ की मनमानी और सरकार की चुप्पी
राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में ट्रक ड्राइवरों को आरटीओ कर्मचारियों द्वारा अनावश्यक परेशानी, अवैध वसूली और मनमानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की उदासीनता और ठोस कानून के अभाव में ड्राइवरों की मुश्किलें बढ़ रही हैं। यह खबर ड्राइवरों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए उनकी समस्याओं पर प्रकाश डालती है और सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग करती है।

राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में ट्रक ड्राइवरों के साथ आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) कर्मचारियों द्वारा की जा रही कथित मनमानी और अवैध वसूली की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। ये ड्राइवर, जो दिन-रात मेहनत करके माल परिवहन का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं, आए दिन अनावश्यक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। चाहे वह सिरोही, बीकानेर, जैसलमेर या अन्य सीमावर्ती जिलों की बात हो, ट्रक ड्राइवरों के साथ दुर्व्यवहार, अवैध वसूली, और अनुचित चालान की शिकायतें आम हो गई हैं। इन घटनाओं ने न केवल ड्राइवरों का जीवन दूभर कर दिया है, बल्कि परिवहन व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
ड्राइवरों की व्यथा: मेहनत की कमाई पर डाका
ट्रक ड्राइवर, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं, अपनी मेहनत और लगन से सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते हैं। ये ड्राइवर लंबी दूरी की यात्राओं, खराब सड़कों, और मौसम की मार झेलते हुए भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। लेकिन, राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में आरटीओ कर्मचारियों की मनमानी ने उनकी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। कई ड्राइवरों का कहना है कि बिना किसी उचित कारण के उनके वाहनों को रोका जाता है, कागजातों की जांच के नाम पर घंटों परेशान किया जाता है, और मामूली गलतियों के लिए भारी-भरकम चालान थमाए जाते हैं। कुछ मामलों में तो अवैध वसूली के लिए ड्राइवरों के साथ अभद्र व्यवहार और मारपीट की घटनाएं भी सामने आई हैं।
उदाहरण के लिए, सिरोही जिले के मंडार और रेवदर क्षेत्रों में ट्रक ड्राइवरों ने आरोप लगाया है कि आरटीओ कर्मचारी और उनके सहयोगी खुले तौर पर "लिफाफे पर गोले" जैसे कोडवर्ड का इस्तेमाल करके अवैध वसूली करते हैं। एक जागरूक ड्राइवर द्वारा साझा किए गए वीडियो में यह साफ दिखाई देता है कि किस तरह कर्मचारी बिना उचित कागजी कार्रवाई के पैसे मांगते हैं। इसी तरह, बीकानेर में एक ट्रक ड्राइवर ने तंग आकर आरटीओ की गाड़ी पर ही ट्रक चढ़ा दिया था, जिससे छह लोगों की मौत हो गई। इस घटना ने ड्राइवरों के गुस्से और हताशा को उजागर किया, हालांकि कानून हाथ में लेना उचित नहीं है।
नया कानून: वादे और हकीकत
केंद्र सरकार ने सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर नए यातायात नियम लागू किए हैं। वर्ष 2025 में लागू किए गए नए नियमों के तहत चालान भुगतान की समय सीमा 90 दिनों की निर्धारित की गई है, और इसका पालन न करने पर वाहन को ब्लैक लिस्ट करने का प्रावधान है। इसके अलावा, ओवरलोड वाहनों पर 40,000 रुपये तक का जुर्माना और नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने पर 25,000 रुपये का जुर्माना और वाहन रजिस्ट्रेशन रद्द करने जैसे कड़े नियम लागू किए गए हैं।
हालांकि, इन नियमों का दुरुपयोग भी देखने को मिल रहा है। ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि कई बार वैध कागजात होने के बावजूद उन्हें ओवरलोडिंग या अन्य नियमों के उल्लंघन के नाम पर परेशान किया जाता है। शाहजहांपुर में एक घटना में, एक ट्रक ड्राइवर ने चालान से बचने के लिए आरटीओ अधिकारी पर लोहे की सरिया लेकर हमला कर दिया, जो इस बात का सबूत है कि ड्राइवर कितने हताश और परेशान हैं।
सरकार की चुप्पी: ड्राइवरों का विश्वास टूटता हुआ
इन सभी घटनाओं के बावजूद, राजस्थान सरकार और जिला प्रशासन का रवैया उदासीन बना हुआ है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ और सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। सवाई माधोपुर में भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ कार्रवाइयां हुई हैं, जहां 10 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित किया गया, लेकिन ऐसी कार्रवाइयां अपवाद ही हैं। ड्राइवरों का कहना है कि उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती, और न ही अवैध वसूली को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
2024 में हिट-एंड-रन कानून के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों की देशव्यापी हड़ताल ने सरकार का ध्यान खींचा था, और ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के साथ बातचीत के बाद कानून को लागू करने से पहले चर्चा का आश्वासन दिया गया था। लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्राइवरों की परेशानियों को दूर करने के लिए कोई विशेष नीति या कानून नहीं बनाया गया है। ड्राइवरों का कहना है कि अगर सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देगी, तो उनका विश्वास व्यवस्था से पूरी तरह उठ जाएगा।
ड्राइवरों के प्रति सहानुभूति: एक मानवीय नजरिया
ट्रक ड्राइवरों का जीवन आसान नहीं है। वे अपने परिवारों से दूर, कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं। उनकी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा चालान और अवैध वसूली में चला जाता है, जिससे उनके परिवारों का भरण-पोषण मुश्किल हो जाता है। कई ड्राइवरों ने बताया कि वे डर के साये में काम करते हैं, क्योंकि किसी भी समय उन्हें बिना कारण रोका जा सकता है। यह स्थिति न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि सड़क सुरक्षा पर भी सवाल उठाती है, क्योंकि तनावग्रस्त ड्राइवर दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं।
सरकार से अपील: तुरंत कार्रवाई की जरूरत
ट्रक ड्राइवरों की इन समस्याओं को हल करने के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
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पारदर्शी जांच प्रक्रिया: आरटीओ कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली जांच को पारदर्शी और डिजिटल बनाया जाए, ताकि मनमानी और भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके।
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शिकायत निवारण तंत्र: ड्राइवरों के लिए एक विशेष हेल्पलाइन और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया जाए, जहां उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान हो।
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कर्मचारियों का प्रशिक्षण: आरटीओ कर्मचारियों को संवेदनशीलता और नैतिकता का प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे ड्राइवरों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें।
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नए कानून में संशोधन: हिट-एंड-रन जैसे कानूनों में ड्राइवरों की वास्तविक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए संशोधन किए जाएं, ताकि उन्हें अनुचित सजा से बचाया जा सके।
राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में ट्रक ड्राइवरों के साथ हो रही ज्यादतियां न केवल एक सामाजिक मुद्दा हैं, बल्कि यह परिवहन व्यवस्था और सड़क सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल उठाती हैं। सरकार को चाहिए कि वह ड्राइवरों की समस्याओं को गंभीरता से ले और उनकी मेहनत का सम्मान करते हुए उनकी परेशानियों को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए। ट्रक ड्राइवर देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उनकी मेहनत और समर्पण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आइए, हम सब मिलकर इन मेहनतकश लोगों के लिए एक बेहतर और सम्मानजनक कार्य वातावरण बनाने की दिशा में काम करें।