बिहार से शुरू, अब पूरे देश में वोटर लिस्ट की जांच!
चुनाव आयोग बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद पूरे देश में मतदाता सूची की गहन जांच और अपडेशन की योजना बना रहा है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, और अगस्त 2025 से अन्य राज्यों में लागू हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को होने वाली सुनवाई के बाद इस पर अंतिम फैसला होगा। विपक्ष ने इसकी टाइमिंग और प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, जबकि आयोग इसे निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी बता रहा है।

नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) अभियान के बाद अब पूरे देश में मतदाता सूची की व्यापक जांच और अपडेशन की योजना बनाई है। इस कदम का उद्देश्य मतदाता सूची को और अधिक सटीक, पारदर्शी और अपडेटेड बनाना है ताकि आगामी चुनावों में किसी भी तरह की अनियमितता से बचा जा सके। इस प्रक्रिया की शुरुआत अगस्त 2025 से पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम और केरल जैसे राज्यों से होने की संभावना है।
बिहार में SIR का चल रहा अभियान
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच 24 जून 2025 से विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों के नाम हटाए जा रहे हैं और योग्य मतदाताओं को शामिल किया जा रहा है। 25 जून से 26 जुलाई तक घर-घर सर्वेक्षण के बाद 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होगी। इसके बाद 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियों की अवधि होगी।चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पूरी तरह संवैधानिक दिशानिर्देशों के तहत हो रही है। हालांकि, विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD), ने इसकी टाइमिंग और प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया दलितों और वंचित समुदायों के वोटिंग अधिकारों को प्रभावित कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
बिहार में SIR को लेकर उठे विवाद के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) सहित कई याचिकाकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2025 को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे, जिनमें आधार कार्ड को दस्तावेजों की सूची से बाहर रखने और प्रक्रिया की जल्दबाजी का मुद्दा शामिल था। कोर्ट ने कहा कि नागरिकता साबित करना गृह मंत्रालय का कार्य है, न कि चुनाव आयोग का।
पूरे देश में SIR की तैयारी
चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि बिहार में SIR के अनुभव के आधार पर अगले दो वर्षों में चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में यह अभियान चलाया जाएगा। इसका लक्ष्य मतदाता सूची से फर्जी और अपात्र मतदाताओं को हटाना और केवल योग्य नागरिकों को शामिल करना है। आयोग का कहना है कि यह कदम निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों में यह अभियान विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा, जहां घुसपैठ का मुद्दा पहले से ही राजनीतिक बहस का विषय रहा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सीमांचल क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को लेकर चिंता जताई है, जबकि विपक्ष इसे अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने की साजिश करार दे रहा है।
क्यों जरूरी है SIR?
चुनाव आयोग का कहना है कि SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना और फर्जी मतदाताओं को हटाना है। खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में, जहां अवैध घुसपैठ की आशंका रहती है, यह प्रक्रिया राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि इस तरह का अभियान पूरे देश में नियमित रूप से होना चाहिए, ताकि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें।
चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इस अभियान की तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के 28 जुलाई के फैसले के बाद यह स्पष्ट होगा कि क्या SIR को पूरे देश में लागू किया जाएगा या इसमें कोई संशोधन होगा।