पंचकूला में दिल दहलाने वाली त्रासदी: कर्ज के बोझ तले टूटा एक परिवार, सात लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर खत्म की जिंदगी

पंचकूला, हरियाणा में 26 मई 2025 की देर रात एक दिल दहलाने वाली घटना में देहरादून के एक परिवार के सात सदस्यों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली। प्रवीण मित्तल (42), उनकी पत्नी, माता-पिता, और तीन बच्चों ने कार में जहर खाकर जान दी। सुसाइड नोट में 15-20 करोड़ के कर्ज और आर्थिक तंगी को कारण बताया गया। परिवार बागेश्वर धाम की हनुमंत कथा में शामिल होने पंचकूला आया था। पुलिस और फोरेंसिक जांच जारी है। यह घटना आर्थिक दबाव और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी का कड़वा सच उजागर करती है।

May 27, 2025 - 16:30
May 27, 2025 - 16:34
पंचकूला में दिल दहलाने वाली त्रासदी: कर्ज के बोझ तले टूटा एक परिवार, सात लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर खत्म की जिंदगी

हरियाणा के पंचकूला में एक ऐसी हृदयविदारक घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है, जहां देहरादून के एक ही परिवार के सात सदस्यों ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। यह घटना सोमवार, 26 मई 2025 की देर रात पंचकूला के सेक्टर-27 में एक मकान के बाहर सड़क पर खड़ी कार में घटी, जिसने दिल्ली के 2018 के बुराड़ी कांड की यादें ताजा कर दीं। मृतकों में प्रवीण मित्तल (42), उनकी पत्नी रीना, उनके माता-पिता, और तीन बच्चे (दो बेटियां और एक बेटा) शामिल हैं। पुलिस को मौके से बरामद सुसाइड नोट में परिवार ने भारी कर्ज और आर्थिक तंगी को इस आत्मघाती कदम का कारण बताया है।

घटना का विवरण

पुलिस के अनुसार, यह परिवार उत्तराखंड के देहरादून से पंचकूला में आयोजित बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पांच दिवसीय हनुमंत कथा में शामिल होने आया था। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद, देहरादून लौटते समय परिवार ने सेक्टर-27 में एक मकान के बाहर अपनी कार खड़ी की और जहर खाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली। स्थानीय लोगों ने रात करीब 10 बजे कार में असामान्य गतिविधियां देखीं और पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने कार का दरवाजा खोला तो सात शव बरामद हुए। कार की खिड़कियां ढकी हुई थीं और अंदर से तेज दुर्गंध आ रही थी।

पुलिस ने बताया कि कार में एक दवा का टैबलेट और दो पन्नों का सुसाइड नोट मिला, जिसमें प्रवीण मित्तल ने लिखा, “हमने जहर खा लिया है, बहुत कर्ज था... हर रास्ता बंद हो गया था... अब जीने की हिम्मत नहीं बची।” नोट में यह भी अनुरोध किया गया कि उनका अंतिम संस्कार उनके चचेरे भाई संदीप अग्रवाल करें। प्रारंभिक जांच में पता चला कि परिवार पर 15-20 करोड़ रुपये का भारी कर्ज था, और उन्हें कर्जदाताओं से जान से मारने की धमकियां भी मिल रही थीं।

परिवार की पृष्ठभूमि और आर्थिक संकट

प्रवीण मित्तल मूल रूप से हरियाणा के हिसार के बरवाला के रहने वाले थे और पिछले 12 वर्षों से पंचकूला में रह रहे थे। कुछ साल पहले उन्होंने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में एक स्क्रैप फैक्ट्री शुरू की थी, लेकिन भारी नुकसान और बढ़ते कर्ज के कारण बैंक ने उनकी फैक्ट्री, दो फ्लैट, और वाहन जब्त कर लिए थे। इसके बाद प्रवीण ने देहरादून में टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय शुरू किया, जो भी घाटे में चला। आर्थिक तंगी इतनी बढ़ गई थी कि परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया था। प्रवीण हाल के दिनों में टैक्सी ड्राइवर का काम कर रहे थे।

प्रवीण के ससुर राकेश और अन्य रिश्तेदारों ने बताया कि परिवार कर्ज के दबाव और धमकियों से त्रस्त था। देहरादून में उनके पड़ोसी आराधना थापा ने बताया कि परिवार बेहद साधारण था, लेकिन प्रवीण की मां बीमार रहती थीं, और बच्चे देहरादून के ब्लूमिंग बर्ड स्कूल में पढ़ते थे।

पुलिस और फोरेंसिक जांच

घटना की सूचना मिलते ही पंचकूला पुलिस, डीसीपी हिमाद्री कौशिक, और डीसीपी (लॉ एंड ऑर्डर) अमित दहिया मौके पर पहुंचे। फोरेंसिक और सीन ऑफ क्राइम टीम ने कार से साक्ष्य इकट्ठा किए, जिसमें जहर की मौजूदगी की पुष्टि के लिए नमूने लिए गए। सभी सात शवों को सेक्टर 6, 21, और 26 के अस्पतालों की मोर्चरी में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। साइबर फोरेंसिक टीम भी जांच में शामिल है, जो यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या कोई बाहरी कारक या धमकी इस घटना के पीछे थी। पुलिस देहरादून में परिवार के निवास पर भी जाकर पूछताछ करेगी।

चश्मदीद पुनीत राना ने बताया कि प्रवीण मित्तल कार से बाहर निकले थे और उन्होंने कहा था, “हमने जहर खा लिया है, बहुत कर्ज था।” हालांकि, पुलिस और एंबुलेंस के पहुंचने से पहले ही सभी की मौत हो चुकी थी। एक अन्य चश्मदीद ने बताया कि घटना से पहले का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें प्रवीण कार के पास बैठे दिखाई दे रहे हैं।

सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू

यह घटना दिल्ली के 2018 के बुराड़ी कांड की याद दिलाती है, जहां भाटिया परिवार के 11 सदस्यों ने सामूहिक आत्महत्या की थी। दोनों घटनाओं में समानताएं हैं, जैसे धार्मिक आयोजन में भागीदारी, आर्थिक तंगी, और सुसाइड नोट में मानसिक तनाव का जिक्र। विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक दबाव, सामाजिक अलगाव, और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ऐसी त्रासदियों को जन्म देती है।

स्थानीय लोगों और पड़ोसियों में इस घटना को लेकर गहरा शोक और आक्रोश है। सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं कि आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव से जूझ रहे लोगों के लिए समाज और सरकार क्या कर रही है। एक यूजर ने लिखा, “चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, लेकिन नागरिक कर्ज से टूट रहे हैं। विकसित भारत का यह असली चेहरा है।”

मानसिक स्वास्थ्य और सहायता

पुलिस और मीडिया ने इस घटना के बाद लोगों से अपील की है कि अगर कोई मानसिक तनाव या आत्महत्या के विचारों से जूझ रहा है, तो वे तुरंत सहायता लें। भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन (1800-233-3330) और टेलिमानस हेल्पलाइन (1800-914-416) पर मुफ्त परामर्श उपलब्ध है। इसके अलावा, सुसाइड प्रिवेंशन हेल्पलाइन नंबर 9152987821 और 1800-599-0019 पर भी संपर्क किया जा सकता है, जहां गोपनीयता के साथ विशेषज्ञ सलाह दी जाती है।

पंचकूला की यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज के सामने एक गंभीर सवाल खड़ा करती है। कर्ज, आर्थिक तंगी, और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं किसी को भी हताशा की ओर धकेल सकती हैं। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने आसपास के लोगों की पीड़ा को समझ पा रहे हैं? समाज, सरकार, और हम सभी की जिम्मेदारी है कि ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए समय पर कदम उठाए जाएं।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ