भाजपा के नए अध्यक्ष की रेस: कौन बनेगा संगठन का अगला सितारा?
भाजपा जल्द ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है, जिसमें शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, धर्मेंद्र प्रधान, सुनील बंसल, भूपेंद्र यादव और विनोद तावड़े के नामों पर विचार चल रहा है। पार्टी संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर फैसला लेगी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जल्द ही अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर सकती है। न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, पार्टी नए अध्यक्ष के चयन के लिए 6 प्रमुख नेताओं के नामों पर विचार कर रही है। इनमें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान के साथ-साथ भाजपा महासचिव सुनील बंसल और विनोद तावड़े शामिल हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन करते समय तीन मुख्य पहलुओं—संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन, और जातीय समीकरण—को ध्यान में रख रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए जल्द ही एक केंद्रीय चुनाव समिति का गठन किया जा सकता है। यदि चुनाव की आवश्यकता पड़ती है, तो यह समिति नामांकन, जांच, और मतदान की पूरी प्रक्रिया को अंजाम देगी।
भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब तक नहीं हो सकता, जब तक पार्टी की कम से कम 50% राज्य इकाइयों में प्रदेश अध्यक्षों का चयन न हो जाए। वर्तमान में भाजपा की 37 मान्यता प्राप्त राज्य इकाइयों में से 26 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। हाल ही में 1-2 जुलाई को भाजपा ने 9 राज्यों—हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दमन दीव, और लद्दाख—में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की, जिसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तस्वीर और साफ हो गई है।
जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्त
वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में समाप्त हो चुका है, और वह वर्तमान में विस्तार (एक्सटेंशन) पर कार्यरत हैं। नड्डा केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, जिसके चलते पार्टी जल्द ही नए अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की तैयारी में है।
रेस में शामिल प्रमुख नाम
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल प्रमुख नेताओं की प्रोफाइल और उनके पक्ष-विपक्ष में तर्क इस प्रकार हैं:
1. शिवराज सिंह चौहान
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प्रोफाइल: छह बार लोकसभा सांसद और चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री हैं। उनके नेतृत्व में शुरू की गई लाडली बहना योजना मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हुई और कई राज्यों के लिए रोल मॉडल बनी।
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प्लस पॉइंट: सरकार और संगठन चलाने का लंबा अनुभव, लोकप्रिय और जननेता की छवि।
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माइनस पॉइंट: कोई खास कमी नहीं।
2. मनोहर लाल खट्टर
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प्रोफाइल: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने सहयोगी और 90 के दशक से उनके करीबी।
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प्लस पॉइंट: RSS का मजबूत समर्थन, PM मोदी के करीबी, और ईमानदार नेता की छवि।
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माइनस पॉइंट: हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले CM पद से हटाए जाने और स्थानीय स्तर पर कुछ नाराजगी।
3. धर्मेंद्र प्रधान
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प्रोफाइल: वर्तमान शिक्षा मंत्री और ओडिशा से सांसद। ABVP से राजनीतिक करियर शुरू करने वाले प्रधान दो बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं।
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प्लस पॉइंट: RSS और पार्टी नेतृत्व का समर्थन, संगठन में कोई विरोधी नहीं।
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माइनस पॉइंट: कोई खास कमी नहीं।
4. सुनील बंसल
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प्रोफाइल: राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले बंसल वर्तमान में ओडिशा, पश्चिम बंगाल, और तेलंगाना के प्रभारी हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत में उनकी रणनीति अहम रही।
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प्लस पॉइंट: RSS का समर्थन, संगठन पर मजबूत पकड़, और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी।
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माइनस पॉइंट: कोई खास कमी नहीं।
5. भूपेंद्र यादव
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प्रोफाइल: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और राजस्थान से राज्यसभा सांसद। संगठनात्मक अनुभव और राष्ट्रीय स्तर पर सक्रियता के लिए जाने जाते हैं।
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प्लस पॉइंट: क्षेत्रीय संतुलन और संगठनात्मक अनुभव।
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माइनस पॉइंट: अन्य दावेदारों की तुलना में कम चर्चा।
6. विनोद तावड़े
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प्रोफाइल: भाजपा महासचिव और महाराष्ट्र से प्रमुख नेता। संगठन में सक्रिय और क्षेत्रीय स्तर पर प्रभावी।
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प्लस पॉइंट: संगठनात्मक अनुभव और क्षेत्रीय प्रभाव।
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माइनस पॉइंट: राष्ट्रीय स्तर पर अन्य नेताओं की तुलना में कम पहचान।
नए अध्यक्ष के सामने चुनौतियां
भाजपा के नियमों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है, और एक व्यक्ति अधिकतम दो बार ही अध्यक्ष बन सकता है। नए अध्यक्ष को अपने कार्यकाल में 12 महत्वपूर्ण चुनावों का सामना करना होगा, जिसमें कई राज्यों के विधानसभा चुनाव शामिल हैं। इसके अलावा, संगठन को मजबूत करने, क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाए रखने, और पार्टी की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने की जिम्मेदारी भी नए अध्यक्ष पर होगी।