देवली-उनियारा उपचुनाव-2024: नरेश मीणा को हाईकोर्ट से मिली जमानत, थप्पड़कांड और आगजनी मामले में राहत
देवली-उनियारा उपचुनाव-2024 के दौरान टोंक में एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारने वाले निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को राजस्थान हाईकोर्ट ने 11 जुलाई 2025 को आगजनी के मामले में जमानत दी। थप्पड़कांड में पहले ही जमानत मिल चुकी थी। 13 नवंबर 2024 को समरावता गांव में हुई इस घटना के बाद आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी। हाईकोर्ट ने तीसरी याचिका पर जमानत दी, जबकि दो याचिकाएं पहले खारिज हो चुकी थीं।

टोंक, राजस्थान: देवली-उनियारा उपचुनाव-2024 के दौरान चर्चा में आए निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट के जस्टिस प्रवीर भटनागर की एकलपीठ ने नरेश मीणा की तीसरी जमानत याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें आगजनी के मामले में जमानत दे दी। इससे पहले, नरेश मीणा को उपखंड अधिकारी (एसडीएम) अमित चौधरी को थप्पड़ मारने के मामले में जमानत मिल चुकी थी। इस फैसले के बाद नरेश मीणा जल्द ही जेल से बाहर आ सकते हैं।
### क्या है पूरा मामला?
घटना 13 नवंबर 2024 की है, जब टोंक जिले के समरावता गांव में देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान एक विवादास्पद घटनाक्रम सामने आया। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने मतदान केंद्र पर तैनात उपखंड अधिकारी अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। इस घटना ने न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। थप्पड़कांड के बाद समरावता सहित आसपास के कई इलाकों में व्यापक आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई थीं। स्थानीय लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन किए और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी थी।
नरेश मीणा के खिलाफ थप्पड़ मारने और आगजनी से संबंधित दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे। थप्पड़कांड में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी थी, लेकिन आगजनी और तोड़फोड़ के मामले में उनकी जमानत याचिकाएं बार-बार खारिज हो रही थीं।
### जमानत याचिकाओं का इतिहास
नरेश मीणा के वकील फतेहराम मीणा ने बताया कि आगजनी के मामले में नरेश की दो जमानत याचिकाएं पहले हाईकोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी थीं। पहली याचिका 14 फरवरी 2025 को और दूसरी याचिका 30 मई 2025 को खारिज हुई थी। इन याचिकाओं के खारिज होने के बाद नरेश मीणा की कानूनी टीम ने तीसरी जमानत याचिका दायर की थी, जिसे जस्टिस प्रवीर भटनागर की अदालत ने शुक्रवार को स्वीकार कर लिया।
वकील फतेहराम मीणा ने कहा, "हमने हाईकोर्ट में मजबूत दलीलें पेश कीं और मामले के तथ्यों को स्पष्ट किया। अदालत ने हमारे तर्कों को स्वीकार करते हुए नरेश मीणा को जमानत दी है। यह उनके लिए बड़ी राहत है।"
### थप्पड़कांड की पृष्ठभूमि
13 नवंबर 2024 को हुए इस घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई, जब नरेश मीणा और उनके समर्थकों ने मतदान केंद्र पर कुछ अनियमितताओं का आरोप लगाया था। इस दौरान उनका उपखंड अधिकारी अमित चौधरी से विवाद हो गया, जो मतदान प्रक्रिया की निगरानी कर रहे थे। विवाद इतना बढ़ गया कि नरेश मीणा ने गुस्से में आकर एसडीएम को थप्पड़ जड़ दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसके बाद नरेश मीणा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हुई।
थप्पड़कांड के बाद समरावता और आसपास के क्षेत्रों में उनके समर्थकों ने उग्र प्रदर्शन किए। कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं दर्ज की गईं, जिसके चलते पुलिस ने नरेश मीणा और उनके कुछ समर्थकों के खिलाफ मामले दर्ज किए।
### जनता और राजनेताओं की प्रतिक्रिया
इस घटना ने राजस्थान की राजनीति में भूचाल ला दिया था। जहां कुछ लोगों ने नरेश मीणा के पक्ष में सहानुभूति जताई, वहीं अन्य ने इस घटना को लोकतंत्र और प्रशासनिक अधिकारियों के अपमान के रूप में देखा। विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधा, जबकि सत्तारूढ़ दल ने इसे कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाने का मौका बनाया।
### अब आगे क्या?
हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद नरेश मीणा के जल्द ही जेल से बाहर आने की संभावना है। हालांकि, उनके खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई अभी भी अदालत में जारी रहेगी। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा और चुनावी प्रक्रिया में अनुशासन के मुद्दों को लेकर बहस छेड़ दी है।
नरेश मीणा के समर्थकों में इस फैसले को लेकर उत्साह है, और वे इसे उनकी जीत के रूप में देख रहे हैं। दूसरी ओर, प्रशासन और पुलिस इस बात को लेकर सतर्क हैं कि उनकी रिहाई के बाद स्थानीय स्तर पर कानून-व्यवस्था की स्थिति बनी रहे।
नरेश मीणा का थप्पड़कांड और उसके बाद की घटनाएं राजस्थान की राजनीति और सामाजिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन चुकी हैं। हाईकोर्ट का जमानत का फैसला इस मामले में एक नया मोड़ लाया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नरेश मीणा की रिहाई के बाद इस मामले का क्या प्रभाव पड़ता है और क्या यह घटना भविष्य में चुनावी प्रक्रियाओं में सुधार की दिशा में कोई सबक देगी।