ऑनलाइन गेमिंग की लत: किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव और काउंसलिंग व माता-पिता के सहयोग से नियंत्रण
ऑनलाइन गेमिंग की लत किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ा रही है, जिससे सामाजिक अलगाव और आक्रामक व्यवहार जैसी चुनौतियां सामने आ रही हैं। काउंसलिंग और माता-पिता का सहयोग इस लत को नियंत्रित करने में प्रभावी है।

आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन मोबाइल गेमिंग किशोरों के लिए मनोरंजन का एक प्रमुख साधन बन गया है, लेकिन यह लत कई बच्चों के लिए गंभीर समस्या बन रही है। 14 से 17 साल की उम्र के किशोर, जो इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर से प्रभावित हैं, पढ़ाई, पारिवारिक रिश्तों और अन्य जरूरी गतिविधियों को नजरअंदाज कर गेम्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर गहरा असर पड़ रहा है।
गेमिंग लत का प्रभाव
मेंटल हेल्थ विशेषज्ञों के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण किशोर सामाजिक और पारिवारिक जीवन से कट रहे हैं। वे अपने कमरे तक सीमित हो जाते हैं, दोस्तों और परिवार से कम बातचीत करते हैं और कई बार आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर को एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में मान्यता दी है। यह लत न केवल बच्चों के सामाजिक कौशल और पढ़ाई को प्रभावित करती है, बल्कि उनमें चिंता, अवसाद और आत्मघाती विचारों का जोखिम भी बढ़ाती है।
कई किशोर गेम्स में मिलने वाली तात्कालिक उपलब्धियों और पुरस्कारों की वजह से आकर्षित होते हैं। गेम के लेवल क्रॉस करने और चुनौतियों को पूरा करने से उन्हें मोटिवेशन का भ्रम होता है, जो उनकी वास्तविक जिंदगी की जिम्मेदारियों से ध्यान हटाता है। कुछ मामलों में बच्चे गेम के टास्क को पूरा करने के लिए खतरनाक कदम उठा लेते हैं, जैसे ऊंची जगहों से खतरनाक स्टंट करना या अनजान लोगों के कहने पर जोखिम भरे काम करना।
कोविड और ऑनलाइन पढ़ाई का योगदान
कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई ने बच्चों की स्क्रीन टाइम को बढ़ा दिया। दिनभर मोबाइल और लैपटॉप पर समय बिताने के कारण कई किशोर डिजिटल दुनिया से इतने जुड़ गए कि वे वास्तविक दुनिया में असहज महसूस करने लगे। उदाहरण के लिए, कुछ बच्चे आमने-सामने बातचीत के बजाय मैसेजिंग को प्राथमिकता देने लगे, जिससे उनका सामाजिक विकास प्रभावित हुआ।
काउंसलिंग और समाधान
मेंटल हेल्थ काउंसलर इस समस्या से निपटने के लिए बच्चों और उनके परिवारों के साथ मिलकर काम करते हैं। काउंसलिंग प्रक्रिया में बच्चों से उनकी पसंद-नापसंद, जीवन के लक्ष्य और दैनिक दिनचर्या के बारे में बात की जाती है। उन्हें छोटे-छोटे टास्क दिए जाते हैं, जैसे गेम खेलने के बीच एक घंटे का ब्रेक लेना, जिसे धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है। बच्चों को पार्क, खेल के मैदान या सामाजिक गतिविधियों में शामिल किया जाता है ताकि वे ऑफलाइन दुनिया से फिर से जुड़ सकें।
माता-पिता को भी सलाह दी जाती है कि वे बच्चों के सामने मोबाइल का उपयोग कम करें और उनके साथ समय बिताएं। विशेषज्ञों का कहना है कि परिवार का सहयोग और खुले संवाद से बच्चों की लत को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। आमतौर पर इस प्रक्रिया में 6 से 8 महीने का समय लग सकता है।
माता-पिता और समाज की भूमिका
विशेषज्ञ माता-पिता को सुझाव देते हैं कि वे बच्चों के स्क्रीन टाइम पर नजर रखें और उनके साथ नियमित बातचीत करें। बच्चों को आउटडोर गेम्स, शारीरिक गतिविधियों और सामाजिक मेलजोल के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही, माता-पिता को बच्चों के सामने मोबाइल का कम उपयोग करना चाहिए ताकि वे सकारात्मक उदाहरण स्थापित कर सकें।
विशेषज्ञों की चेतावनी
ऑनलाइन गेमिंग की लत को गंभीरता से लेना जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर हस्तक्षेप और जागरूकता से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। अगर माता-पिता अपने बच्चे में गेमिंग लत के लक्षण देखते हैं, जैसे सामाजिक अलगाव, गुस्सा, पढ़ाई में कमी या नींद की समस्या, तो उन्हें तुरंत किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से संपर्क करना चाहिए।
ऑनलाइन गेमिंग की लत एक उभरती हुई चुनौती है, जिसके लिए परिवार, स्कूल और समाज को मिलकर काम करने की जरूरत है। जागरूकता और सही मार्गदर्शन के साथ किशोरों को इस लत से मुक्त कर एक स्वस्थ और संतुलित जीवन की ओर ले जाया जा सकता है।