सोलह सोमवार व्रत: लड़कियां क्यों करती हैं यह विशेष उपवास, सावन 2025 में नई प्रेरणा

सावन 2025 में लड़कियां सोलह सोमवार व्रत भक्ति, अच्छे जीवनसाथी की कामना और सांस्कृतिक परंपरा के लिए रखती हैं, साथ ही पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सेवा जैसे "सोलह सोमवार, सोलह पेड़" अभियान से समाज में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।

Jul 11, 2025 - 17:45
सोलह सोमवार व्रत: लड़कियां क्यों करती हैं यह विशेष उपवास, सावन 2025 में नई प्रेरणा

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक है, और इस दौरान सोलह सोमवार व्रत का विशेष महत्व है, खासकर लड़कियों के बीच। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को भी मजबूत करता है। इस साल सावन 2025 में सोलह सोमवार व्रत को लेकर एक नई और प्रेरणादायक खबर सामने आ रही है।

सोलह सोमवार व्रत क्यों करती हैं लड़कियां?

सोलह सोमवार व्रत एक विशेष उपवास है, जिसमें लड़कियां लगातार सोलह सोमवारों तक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इसके पीछे निम्नलिखित कारण हैं:

  1. अच्छे जीवनसाथी की कामना: अविवाहित लड़कियां यह व्रत इसलिए करती हैं, क्योंकि मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से उन्हें सुयोग्य और प्रेम करने वाला जीवनसाथी मिलता है। यह परंपरा खासकर उत्तर भारत में प्रचलित है।

  2. पारिवारिक सुख और समृद्धि: विवाहित महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और परिवार की सुख-शांति के लिए रखती हैं। यह व्रत वैवाहिक जीवन में प्रेम और विश्वास को मजबूत करने का प्रतीक माना जाता है।

  3. आध्यात्मिक शांति: सोलह सोमवार व्रत लड़कियों को आत्मिक शांति और मानसिक दृढ़ता प्रदान करता है। इस दौरान ध्यान, भक्ति और पूजा के माध्यम से वे अपने जीवन में सकारात्मकता लाती हैं।

  4. सांस्कृतिक परंपरा: यह व्रत पीढ़ियों से चली आ रही एक परंपरा है। सावन के पवित्र महीने में यह व्रत भक्ति, समर्पण और सामुदायिक एकता का प्रतीक बन जाता है, जिसमें लड़कियां उत्साहपूर्वक हिस्सा लेती हैं।

सावन 2025 की अच्छी खबर

इस साल सावन में सोलह सोमवार व्रत को लड़कियां न केवल धार्मिक अनुष्ठान के रूप में मना रही हैं, बल्कि इसे सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ भी जोड़ रही हैं। कई शहरों, जैसे लखनऊ, जयपुर और भोपाल में, युवा लड़कियों ने "सोलह सोमवार, सोलह पेड़" अभियान शुरू किया है। इसके तहत, प्रत्येक सोमवार को वे एक पेड़ लगाती हैं, जिससे सावन के अंत तक सोलह पेड़ों का योगदान होता है। यह अभियान पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इसके अलावा, कुछ समुदायों में लड़कियां सोलह सोमवार व्रत के दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए दान और सेवा कार्य कर रही हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली की एक युवा समूह ने प्रत्येक सोमवार को स्थानीय स्कूलों में बच्चों के लिए किताबें और स्टेशनरी दान करने का संकल्प लिया है।

एक नई दिशा

ये पहल सोलह सोमवार व्रत के पारंपरिक महत्व को बनाए रखते हुए इसे आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिक बना रही हैं। जयपुर की एक व्रतधारी, नेहा वर्मा, ने कहा, "यह व्रत मेरे लिए केवल पूजा नहीं, बल्कि समाज के लिए कुछ करने का अवसर है। पेड़ लगाना और दूसरों की मदद करना मुझे सच्ची खुशी देता है।"

Yashaswani Journalist at The Khatak .