लोकदेवता तेजाजी व रामदेवजी की भक्ति में डूबा राजस्थान, खेजड़ली मेले में उमड़ा जनसैलाब
राजस्थान में तेजा दशमी और रामदेव जयंती धूमधाम से मनाई गई, खेजड़ली मेले में पर्यावरण बलिदान की स्मृति ताजा हुई।

राजस्थान में आज तेजा दशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। गांव-गांव, गली-गली में लोकदेवता वीर तेजाजी महाराज और बाबा रामदेवजी के थान-मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का दौर चल रहा है। तेजाजी के खरनाल और सुरसुरा के मेलों में भारी भीड़ उमड़ पड़ी है, जहां श्रद्धालु अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, राजस्थान का कुंभ कहे जाने वाले रामदेवरा धाम में रामदेव दशमी की रौनक देखते ही बन रही है।
खेजड़ली मेला: पर्यावरण के लिए बलिदान की गौरवगाथा
जोधपुर के खेजड़ली गांव में पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल पेश करने वाला खेजड़ली मेला भी आज जोर-शोर से मनाया जा रहा है। 363 साल पहले खेजड़ी के वृक्षों को बचाने के लिए अमृता देवी बिश्नोई सहित 363 लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनकी इस शहादत की स्मृति में हर साल यह मेला आयोजित होता है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूकता और बलिदान की भावना को जीवंत रखता है।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं
राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने तेजा दशमी और रामदेव जयंती के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि लोकदेवता रामदेवजी और तेजाजी का जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित रहा है। उन्होंने लोगों से इन महान व्यक्तित्वों के आदर्शों को अपनाने और दीन-दुखियों की सेवा के साथ-साथ प्राणीमात्र के प्रति दया भाव रखने का आह्वान किया।
वहीं, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी तेजा दशमी के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा, "वीर तेजाजी महाराज के दिव्य आशीर्वाद से हम सभी के जीवन में सुख, समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य, शांति और उन्नति का वास हो, यही मेरी मंगलकामना है।"
तेजा दशमी और रामदेव जयंती का यह पर्व राजस्थान की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। यह अवसर न केवल श्रद्धालुओं को अपने लोकदेवताओं के प्रति भक्ति प्रकट करने का मौका देता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक कल्याण जैसे मूल्यों को भी प्रेरित करता है। मेलों में उमड़ रही भीड़ और भक्ति का यह उत्साह राजस्थान की जीवंत परंपराओं का जीता-जागता प्रमाण है।