18 वर्षीय बेटे की मौत के बाद माता-पिता का साहसिक निर्णय, अंगदान से तीन लोगों को मिला नया जीवन.

जयपुर के गोविंदगढ़ निवासी परिवार ने अपने 18 वर्षीय बेटे रोहन की सड़क हादसे में मृत्यु के बाद साहसिक निर्णय लिया। ब्रेन डेड घोषित होने पर उन्होंने रोहन की दोनों किडनी और लिवर दान किए, जिससे तीन मरीजों को नया जीवन मिलेगा। एसएमएस अस्पताल में पूरी की गई इस अंगदान प्रक्रिया को चिकित्सकों ने "महादान" बताया, जो समाज के लिए प्रेरणा है।

Aug 31, 2025 - 13:28
18 वर्षीय बेटे की मौत के बाद माता-पिता का साहसिक निर्णय, अंगदान से तीन लोगों को मिला नया जीवन.

जयपुर, राजस्थान: एक परिवार ने अपने 18 वर्षीय बेटे की असमय मृत्यु के बाद ऐसा साहसिक और मानवीय निर्णय लिया, जिसने तीन लोगों के जीवन को नई उम्मीद दी। गोविंदगढ़ के इस परिवार ने अपने बेटे रोहन के अंगदान का फैसला लिया, जिससे उसकी दोनों किडनी और लिवर जरूरतमंद मरीजों को दान किए गए। इस नेक कार्य ने न केवल तीन जिंदगियों को बचाया, बल्कि समाज के सामने मानवता की एक प्रेरणादायक मिसाल भी पेश की।

सड़क हादसे ने छीनी युवक की जिंदगी

24 अगस्त को 18 वर्षीय रोहन एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे तुरंत जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने की हरसंभव कोशिश की। तीन दिन तक चले गहन उपचार के बावजूद रोहन की हालत में सुधार नहीं हुआ। 27 अगस्त को डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। यह खबर परिवार के लिए एक बड़ा आघात थी, लेकिन इस दुखद घड़ी में उन्होंने जो निर्णय लिया, वह समाज के लिए एक प्रेरणा बन गया।

अंगदान का साहसिक फैसला

रोहन के ब्रेन डेड होने की सूचना मिलने के बाद उनके परिवार ने गहन विचार-विमर्श के बाद अंगदान का निर्णय लिया। इस मुश्किल समय में उनके इस साहसिक कदम ने चिकित्सकों और अस्पताल प्रशासन को भी प्रभावित किया। परिवार की सहमति मिलने के बाद एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने तुरंत अंगदान की प्रक्रिया शुरू की। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक डॉ. दीपक माहेश्वरी, नोडल ऑफिसर (ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम) डॉ. मनीष अग्रवाल और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी की देखरेख में यह प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हुई। रोहन की दोनों किडनी और लिवर को सावधानीपूर्वक निकाला गया और प्रत्यारोपण के लिए तैयार किया गया। डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया कि अंगदान की प्रक्रिया को आज सुबह सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है, और इन अंगों को जल्द ही जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित किया जाएगा।

तीन मरीजों को नया जीवन

रोहन के दान किए गए अंगों—दोनों किडनी और लिवर—से तीन अलग-अलग मरीजों को नया जीवन मिलेगा। इन अंगों का प्रत्यारोपण उन मरीजों के लिए वरदान साबित होगा, जो लंबे समय से अंग की कमी के कारण जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे थे। चिकित्सकों के अनुसार, एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंग कई लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं, और रोहन के परिवार का यह निर्णय इस बात का जीवंत उदाहरण है।

अंगदान: समाज में महादान की मिसाल

चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि अंगदान को समाज में "महादान" माना जाता है, क्योंकि यह किसी व्यक्ति को नया जीवन देने का सबसे बड़ा कार्य है। रोहन के परिवार ने जिस तरह अपने अपार दुख को भूलकर दूसरों की जिंदगी बचाने का फैसला लिया, वह न केवल उनके बड़े दिल को दर्शाता है, बल्कि समाज को अंगदान के प्रति जागरूक करने का भी एक शक्तिशाली संदेश देता है।डॉ. मनीष अग्रवाल ने कहा, "18 साल के युवा बेटे की असमय मृत्यु से परिवार का दर्द अथाह है, लेकिन उनके इस फैसले ने मानवता की सबसे बड़ी मिसाल कायम की है। रोहन भले ही आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसके अंग तीन लोगों के शरीर में जीवित रहेंगे और उनकी जिंदगी को रोशन करेंगे।"

समाज के लिए प्रेरणा

रोहन के परिवार का यह कदम न केवल उन तीन मरीजों के लिए आशा की किरण बना, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि दुख की घड़ी में भी दूसरों के लिए कुछ कर गुजरने की भावना अमर रहती है। यह घटना अंगदान के महत्व को रेखांकित करती है और लोगों को इसके लिए प्रेरित करती है। जयपुर के इस परिवार की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने प्रियजनों के जाने के बाद भी दूसरों को जीवनदान देने का साहस दिखा सकता है। रोहन की स्मृति अब उन तीन लोगों के माध्यम से जीवित रहेगी, जिन्हें उसके अंगों ने नया जीवन दिया।