14 साल की छात्रा ने की आत्महत्या,पिता का दावा- वार्डन ने किया परेशान.

झुंझुनूं के पीरामल गर्ल्स स्कूल के हॉस्टल में 9वीं कक्षा की 14 साल की मासूम छात्रा ने फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। पिता का दिल दहला देने वाला आरोप है कि हॉस्टल वार्डन ने उनकी बेटी को मानसिक रूप से परेशान किया और चोरी का इल्ज़ाम लगाया। वहीं, स्कूल प्रबंधन का दावा है कि छात्रा ने 100 रुपये मांगे थे, जिसके बाद यह दुखद कदम उठा। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन यह घटना बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरे सवाल छोड़ गई है।

Sep 2, 2025 - 07:18
14 साल की छात्रा ने  की आत्महत्या,पिता का दावा- वार्डन ने किया परेशान.

राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां पीरामल गर्ल्स स्कूल की 9वीं कक्षा की 14 वर्षीय छात्रा जीविका शर्मा ने हॉस्टल के कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना 31 अगस्त 2025 को दोपहर 3 बजे की है। परिजनों ने स्कूल प्रशासन और हॉस्टल वार्डन पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि स्कूल प्रबंधन ने अपना पक्ष रखते हुए दावा किया है कि बच्ची ने वार्डन से 100 रुपये मांगे थे, जिसके बाद यह कदम उठाया गया।

पिता का दुख और गंभीर आरोप

जीविका के पिता दुर्गेश कुमार, जो गुरुग्राम के निवासी हैं, ने बगड़ थाने में स्कूल प्रशासन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी एक मजबूत और समझदार लड़की थी, जो पिछले तीन साल से पीरामल गर्ल्स स्कूल में पढ़ रही थी। दुर्गेश ने कहा, "29 अगस्त को गणेश विसर्जन के दिन मेरी बेटी से आखिरी बार बात हुई थी। वह स्कूल के कार्यक्रम में जा रही थी और बहुत खुश थी। लेकिन उसने बताया कि हॉस्टल की वार्डन उसे रोज परेशान करती थी और उस पर चोरी का इल्जाम लगाती थी।"दुर्गेश ने आगे बताया कि जून की छुट्टियों में जब जीविका घर आई थी, तब उसने हॉस्टल की कुछ लड़कियों के गलत रास्ते पर होने की बात कही थी। उसने यह भी आरोप लगाया था कि वार्डन कुछ लड़कियों को बाहर के लड़कों से मिलवाने में मदद करती थी। पिता ने कहा, "मेरी बेटी डिप्रेशन में नहीं थी। यह आत्महत्या नहीं लगती। मुझे लगता है कि हॉस्टल में कोई झगड़ा या गंभीर घटना हुई, जिसके चलते उसे यह कदम उठाना पड़ा। मैं इसकी निष्पक्ष जांच चाहता हूं।" उन्होंने यह भी बताया कि जब वे हॉस्टल पहुंचे, तो वार्डन बच्चों को रो-रोकर प्रभावित करने की कोशिश कर रही थी।

प्रिंसिपल का पक्ष: "100 रुपये मांगने की बात थी

"स्कूल की प्रिंसिपल कविता अग्रवाल ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जीविका सातवीं कक्षा से स्कूल में पढ़ रही थी और उसे कोई खास समस्या नहीं थी। उन्होंने बताया, "31 अगस्त को दोपहर में जीविका ने हॉस्टल वार्डन से 100 रुपये मांगे थे। वार्डन ने उससे कहा कि पहले अपने माता-पिता से बात करनी होगी। इसके आधे घंटे बाद ही उसने अपने कमरे में फंदा लगा लिया।" प्रिंसिपल ने दावा किया कि स्कूल प्रशासन ने तुरंत जीविका को अस्पताल पहुंचाया और परिजनों को सूचित किया। उन्होंने यह भी कहा कि जीविका को स्कूल में किसी चीज की कमी नहीं थी, लेकिन कई बार उसे चीजें दिलाने के लिए माता-पिता से अनुमति लेनी पड़ती थी। प्रिंसिपल ने संकेत दिया कि बच्ची की पारिवारिक परिस्थितियों में कोई समस्या हो सकती थी।

पुलिस जांच शुरू, बयानों में विरोधाभास

बगड़ थाने के एसएचओ चंद्रभान चौधरी ने बताया कि 31 अगस्त को दोपहर 3 बजे सूचना मिली थी कि पीरामल गर्ल्स स्कूल के हॉस्टल में एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली है। पुलिस मौके पर पहुंची और शव की पहचान जीविका शर्मा के रूप में हुई। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस ने पिता की शिकायत के आधार पर स्कूल प्रशासन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जांच में हॉस्टल वार्डन और स्कूल प्रबंधन के दावों की सत्यता की पड़ताल की जा रही है।

सवालों के घेरे में स्कूल प्रशासन

इस घटना ने स्कूल प्रशासन और हॉस्टल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पिता के आरोपों के मुताबिक, अगर वार्डन ने जीविका को बार-बार परेशान किया और चोरी जैसे गंभीर इल्जाम लगाए, तो यह मानसिक उत्पीड़न का मामला हो सकता है। वहीं, प्रिंसिपल का यह कहना कि बच्ची ने 100 रुपये मांगे थे और इसके तुरंत बाद आत्महत्या कर ली, कई अनुत्तरित सवाल छोड़ता है। क्या 100 रुपये की मांग जैसी छोटी बात इतना बड़ा कदम उठाने की वजह बन सकती है? या फिर हॉस्टल में कोई और गंभीर घटना हुई, जिसे छिपाया जा रहा है?

सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू

यह घटना न केवल स्कूल प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल उठाती है, बल्कि हॉस्टल में रहने वाले बच्चों की मानसिक स्थिति और सुरक्षा के मुद्दे को भी उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि किशोरावस्था में बच्चे भावनात्मक रूप से संवेदनशील होते हैं, और अगर उन पर अनुचित दबाव या उत्पीड़न होता है, तो वे गलत कदम उठा सकते हैं। इस मामले में, अगर जीविका पर चोरी का इल्जाम लगाया गया या उसे मानसिक रूप से परेशान किया गया, तो यह उसकी आत्महत्या का एक कारण हो सकता है।

आगे की राह

पुलिस ने इस मामले में जांच तेज कर दी है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और हॉस्टल के अन्य छात्राओं व स्टाफ के बयानों से यह स्पष्ट हो सकता है कि जीविका ने यह कदम क्यों उठाया। साथ ही, शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को भी इस मामले में सक्रिय होकर स्कूलों और हॉस्टलों में बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने होंगे।इस दुखद घटना ने एक बार फिर स्कूलों और हॉस्टलों में बच्चों की सुरक्षा और उनके साथ होने वाले व्यवहार पर सवाल उठाए हैं। समाज और प्रशासन को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे।