"माचिया किला" स्वतंत्रता सेनानियों की बलिदान भूमि बनेगी तीर्थस्थल, केंद्रीय मंत्री ने की विकास की घोषणा.

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जोधपुर के माचिया किले का दौरा कर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी। रियासतकालीन इस किले को अंग्रेजों ने जेल बनाया था, जहां 1942-43 में सेनानियों को यातनाएं दी गईं। शेखावत ने इसे तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने और पर्यटन को बढ़ावा देने की घोषणा की। वर्तमान में 3 लाख पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं, और इसे वैश्विक आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा।

Sep 1, 2025 - 19:35
"माचिया किला" स्वतंत्रता सेनानियों की बलिदान भूमि बनेगी तीर्थस्थल, केंद्रीय मंत्री ने की विकास की घोषणा.

जोधपुर, राजस्थान: केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सोमवार को जोधपुर के ऐतिहासिक माचिया किले का दौरा किया और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने कीर्ति स्तंभ के समक्ष नमन कर स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद किया। शेखावत ने इस पवित्र स्थल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने और इसे तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करने की घोषणा की, ताकि यह देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने।

माचिया किले का ऐतिहासिक महत्व

माचिया किला, जोधपुर शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है, रियासतकालीन समय में एक महत्वपूर्ण संरचना थी। अंग्रेजों ने इसे जेल में तब्दील कर दिया था, जहां स्वतंत्रता सेनानियों को अमानवीय यातनाएं दी जाती थीं। 1942 से 1943 के बीच, लगभग 8 महीनों तक 30 से 32 स्वतंत्रता सेनानियों को जोधपुर जेल से लाकर यहां कठोर यातनाएं दी गईं। इन सेनानियों को काला पानी की सजा देने से पहले भयंकर प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। इस दौरान अंग्रेज परिजनों को उनसे मिलने की अनुमति नहीं देते थे, और कुछ को केवल 10 फीट की दूरी से छोटे झरोखों के माध्यम से कुछ मिनट बात करने की इजाजत मिलती थी।कई स्वतंत्रता सेनानियों ने इस किले में अपनी जान गंवाई, जबकि कईयों को गिरफ्तार कर यातनाएं दी गईं। यह किला स्वतंत्रता संग्राम के उन बलिदानों का प्रतीक है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

विकास की योजना

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने माचिया किले और इसके आसपास के माचिया पार्क के द्वितीय चरण के विकास पर अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की। उन्होंने किले का अवलोकन किया और इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। वर्तमान में, माचिया किला साल में केवल दो दिन (15 अगस्त और 26 जनवरी) आम जनता के लिए खुलता है, और हर साल लगभग 3 लाख पर्यटक यहां आते हैं। शेखावत ने कहा कि इस स्थल को तीर्थस्थल की तरह विकसित किया जाएगा, ताकि स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को सम्मान मिले और यह स्थान राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बने।

पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीति

शेखावत ने जोर देकर कहा कि माचिया किले को न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए संरक्षित किया जाएगा, बल्कि इसे विश्व स्तर पर पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाया जाएगा। इसके लिए बुनियादी ढांचे का विकास, सूचना केंद्रों की स्थापना, और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दस्तावेजों और प्रदर्शनियों को प्रदर्शित करने की योजना है। इससे नई पीढ़ी को स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान के बारे में जानकारी मिलेगी।

शेखावत का दृष्टिकोण

केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, जो जोधपुर से सांसद भी हैं, ने कहा, "माचिया किला केवल एक ऐतिहासिक संरचना नहीं है, बल्कि यह उन वीरों की बलिदान भूमि है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। इसे तीर्थस्थल के रूप में विकसित कर हम न केवल उनके बलिदान को सम्मान देंगे, बल्कि इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एक प्रेरणादायक स्थल बनाएंगे।" 

जोधपुर का पर्यटन महत्व

जोधपुर, जिसे 'ब्लू सिटी' और 'सूर्य नगरी' के नाम से जाना जाता है, अपने ऐतिहासिक किलों, महलों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। माचिया किले का विकास जोधपुर के पर्यटन मानचित्र पर एक नया अध्याय जोड़ेगा। यह कदम न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को जीवंत रखने में भी मदद करेगा। 

माचिया किले का विकास स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को अमर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय मंत्री शेखावत की इस पहल से न केवल इस ऐतिहासिक स्थल का संरक्षण होगा, बल्कि यह देश के गौरवशाली इतिहास को विश्व पटल पर लाने में भी मदद करेगा। यह किला जल्द ही उन लोगों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल बन सकता है, जो स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के प्रति श्रद्धा और सम्मान रखते हैं।