मौसमी बीमारियों का बढ़ता खतरा ,स्वास्थ्य विभाग हुआ अलर्ट तैनात की 80 टीमें.

जोधपुर में मानसून के साथ डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने 80 टीमें तैनात की हैं, जो घर-घर जाकर लार्वा जांच और जागरूकता अभियान चला रही हैं। CMHO डॉ. एसएस शेखावत ने लोगों से कूलर का पानी नियमित बदलने और साफ-सफाई रखने की सलाह दी है। स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन अगले कुछ महीने महत्वपूर्ण हैं।

Aug 31, 2025 - 14:56
मौसमी बीमारियों का बढ़ता खतरा ,स्वास्थ्य विभाग हुआ अलर्ट तैनात की 80 टीमें.

जोधपुर, राजस्थान में मानसून के आगमन के साथ ही मौसमी बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ने लगा है। इस स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (CMHO) पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। विभाग ने शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान तेज कर दिया है, ताकि लोगों को इन बीमारियों से बचाव के उपायों की जानकारी दी जा सके।

स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. एसएस शेखावत ने बताया कि बारिश के मौसम में मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसको ध्यान में रखते हुए विभाग ने 80 सदस्यीय टीमें गठित की हैं, जो घर-घर जाकर लार्वा की जांच कर रही हैं। ये टीमें यह सुनिश्चित कर रही हैं कि कहीं पानी जमा होकर मच्छरों के प्रजनन का कारण न बने। डॉ. शेखावत ने बताया कि विभाग की टीमें न केवल लार्वा की जांच कर रही हैं, बल्कि लोगों को जागरूक भी कर रही हैं कि वे अपने आसपास साफ-सफाई रखें और पानी जमा होने से रोकें।

कूलर और कबाड़ से बढ़ता खतरा

CMHO ने बताया कि बारिश के मौसम में तापमान कम होने के कारण लोग कूलर का उपयोग कम कर देते हैं, जिससे कूलर में जमा पानी मच्छरों के लार्वा के लिए अनुकूल स्थान बन जाता है। इसके अलावा, छतों पर रखा कबाड़, टूटे बर्तन, टायर, या अन्य सामान में बारिश का पानी जमा होने से भी लार्वा पनपने का खतरा बढ़ जाता है। यह लार्वा डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे रोग फैलाने वाले मच्छरों का कारण बनता है। डॉ. शेखावत ने सलाह दी कि लोग नियमित रूप से कूलर का पानी बदलें और छतों पर जमा कबाड़ को हटाएं।

जागरूकता अभियान और निगरानी

स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में हर मंगलवार को विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है, जिसमें एएनएम (Auxiliary Nurse Midwife) और आशा वर्कर्स लोगों को मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के तरीके बता रही हैं। इसके तहत एंटी-लार्वा गतिविधियां भी की जा रही हैं, जिसमें मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए रसायनों का छिड़काव और पानी जमा होने वाले स्थानों की सफाई पर जोर दिया जा रहा है। शहर के अस्पतालों में भी निगरानी बढ़ा दी गई है। ओपीडी में आने वाले मरीजों की जांच के दौरान डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के लक्षणों पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है। CMHO ने बताया कि वर्तमान में जोधपुर में ये बीमारियां नियंत्रण में हैं, लेकिन अगले तीन से चार महीने स्वास्थ्य विभाग के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इस दौरान मच्छर जनित बीमारियों का खतरा सबसे अधिक रहता है।

बचाव के उपाय

डॉ. शेखावत ने लोगों से अपील की है कि वे निम्नलिखित सावधानियां बरतें:

कूलर की सफाई: कूलर का पानी हर हफ्ते बदलें और उसे अच्छी तरह साफ करें। 

पानी का जमाव रोकें: घर, छत, या आसपास कहीं भी पानी जमा न होने दें। टायर, गमले, या टूटे बर्तनों को हटाएं।

मच्छरदानी का उपयोग: रात को सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।

शारीरिक लक्षणों पर ध्यान: तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, या अन्य असामान्य लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

साफ-सफाई: घर और आसपास के क्षेत्र को साफ रखें ताकि मच्छरों के प्रजनन को रोका जा सके। 

स्थिति पर नियंत्रण

CMHO ने आश्वासन दिया कि जोधपुर में अभी डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की स्थिति नियंत्रण में है। फिर भी, विभाग कोई जोखिम नहीं लेना चाहता और पूरी सतर्कता के साथ काम कर रहा है। जागरूकता अभियान और एंटी-लार्वा गतिविधियों के जरिए स्वास्थ्य विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि मौसमी बीमारियों का प्रकोप न्यूनतम रहे।

जोधपुर में मानसून के साथ बढ़ रहे मौसमी बीमारियों के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावी कदम उठाए हैं। 80 टीमें शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जो लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए काम कर रही हैं। CMHO की सलाह है कि नागरिक भी अपनी जिम्मेदारी निभाएं और साफ-सफाई पर ध्यान दें, ताकि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचा जा सके।