96 वर्षीय नंद कौर की अंतिम इच्छा: मरणोपरांत आंखें दान कर दो जिंदगियों में बिखेरा उजियारा

96 वर्षीय नंद कौर ने दो बेटों के नुकसान के बावजूद योग से स्वास्थ्य बनाए रखा और मरणोपरांत अपनी आंखें दान कर दो लोगों को रोशनी दी।

Jul 5, 2025 - 13:32
96 वर्षीय नंद कौर की अंतिम इच्छा: मरणोपरांत आंखें दान कर दो जिंदगियों में बिखेरा उजियारा

चरखी दादरी जिले के गांव अटेला कलां की 96 वर्षीय नंद कौर ने मरणोपरांत अपनी आंखें दान कर दो लोगों के जीवन में रोशनी बिखेरी। अपने जीवन में दो बेटों को खोने के दर्द को सहते हुए भी उन्होंने योग के जरिए खुद को स्वस्थ रखा और दूसरों के लिए प्रेरणा बनीं।

बुधवार को नंद कौर का निधन होने के बाद चरखी दादरी सिविल अस्पताल से डॉ. वरुण मित्तल, डॉ. विजय कुमार और डॉ. योगेश की टीम गांव पहुंची। मृत्यु के दो घंटे के भीतर उनकी आंखें प्राप्त की गईं। डॉ. वरुण मित्तल ने बताया कि दान की गई आंखों का पहले चेकअप किया जाता है और स्वस्थ होने पर ही इन्हें लिया जाता है। नंद कौर की आंखें पूरी तरह स्वस्थ थीं, जो अब दो लोगों को नया जीवन देंगी।

जीवन का दर्द और नेक इरादा

नंद कौर के दत्तक पुत्र नरेश ने बताया कि उनकी दादी ने अपने दो बेटों, राजेंद्र पूनियां (25) और रामकुमार, को क्रमशः करंट लगने और सड़क हादसे में खो दिया था। इस दुख के बावजूद उन्होंने ठान लिया कि वे दूसरों की जिंदगी को रोशन करेंगी। इसके लिए उन्होंने 18 साल तक जमीन पर सोकर और योग अपनाकर खुद को स्वस्थ रखा। 96 साल की उम्र में भी उनकी आंखों की रोशनी बरकरार थी।

नंद कौर का मायका भिवानी जिले के फरटिया केहर और ससुराल राजस्थान के बनगोठड़ी में था। उनके दो बेटों के अलावा दो बेटियां भी हैं। बेटों के निधन के बाद वे अपनी बेटी के पास अटेला कलां में रहने लगीं और बेटी के बेटे नरेश को गोद लिया। नरेश ने बताया कि नंद कौर के सात भाई थे, जो सभी सेना में थे, जिनमें से दो स्वतंत्रता सेनानी थे।

नंद कौर की इस नेक पहल ने पूरे गांव और समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी आंखें अब दो लोगों को दुनिया देखने का मौका देंगी, और उनकी कहानी दूसरों को भी नेत्रदान के लिए प्रेरित करेगी।

Yashaswani Journalist at The Khatak .