आने वाले 50 वर्षों की दृष्टि से बालोतरा जिले और शहर के सुनियोजित विकास की महत्ती आवश्यकता
बालोतरा जिले और शहर के लिए अगले 50 वर्षों में सुनियोजित विकास, जल संकट समाधान, टेक्सटाइल उद्योग, धार्मिक पर्यटन, और बेहतर कनेक्टिविटी पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह दीर्घकालिक योजना पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य, और शिक्षा को बढ़ावा देगी।

विशेष लेख कुंवर हरिश्चंद्र सिंह, जसोल
राजस्थान के पश्चिमी भाग में स्थित “बालोतरा”, आज एक नए जिले के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। यह न केवल धार्मिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका भू-राजनीतिक स्थान इसे मालाणी के क्षेत्र में विकास का केन्द्र बिंदु भी बनाता है। ऐसे में अब समय आ गया है कि बालोतरा के लिए “आगामी 50 वर्षों को ध्यान में रखकर एक सुनियोजित और समग्र विकास की योजना” बनाई जाए।
शहरी विकास:- एक मजबूत आधारभूत ढांचे की दरकार
बालोतरा शहर की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन अब भी जल निकासी, ट्रैफिक प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन, हरित क्षेत्रों की कमी, और बेतरतीब निर्माण जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। सुनियोजित "मास्टर प्लान" के तहत स्मार्ट सड़कों, अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम, मल्टी-लेवल पार्किंग और ट्रैफिक नियंत्रण जैसे उपाय जरूरी हैं।
जल संकट और पर्यावरण संरक्षण
बालोतरा जिले में पानी की कमी एक बड़ी चुनौती है। आने वाले वर्षों में जल संकट और अधिक गहरा सकता है। इसके लिए :-
v रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बनाया जाए।
v नर्मदा कैनाल एवं मीठे जल के दीर्घकालीन विकल्पों पर योजना बने।
v स्थानीय तालाबों और जलाशयों का पुनर्जीवन हो।
v लूणी नदी को बारहमासी नदी बनाने हेतु प्रयास :-
o घग्गर लिंक चैनल :- घग्गर नदी के बाढ़ के पानी को हनुमानगढ़ से पल्लू, नापासर, देशनोक, चादड़ी, दानवाड़ा, और फिर जोधपुर से मिट्टी हटाकर इन मार्गों से हिमालयी जल को जोजरी-मिठड़ी नदी में मिलाया जा सकता है। अंततः यह पानी स्वाभाविक व प्राकृतिक रूप से बहते हुए सालावास या खेजड़ली खुर्द के पास से लूणी नदी में मिल सकता है।
o यमुना लिंक चैनल :- उत्तराखंड में बाढ़ का पानी यमुना नदी में चला जाता है। इसे तेजावाला फीडर, हरियाणा से मिट्टी हटाकर रोहतक, महेंद्रगढ़ और हिसार जिलों से होकर सोनीपत से मोड़ा जा सकता है। फिर इसे राजस्थान के झुंझुनू, मंडावा, मुकुंदगढ़, सीकर, डीडवाना, डेगाना और मेड़ता होते हुए मिठड़ी–जोजरी नदी में मिलाया जा सकता है। यही पानी घघराना, घोड़ावत, पीपाड़, बीसलपुर होते हुए खेजड़ली खुर्द के पास लूणी नदी में मिलाया जा सकता है और समदड़ी, बालोतरा, सिणधरी, धोरीमन्ना, गुड़ामालानी होते हुए जालोर जिले के सांचोर तक पहुंचाया जा सकता है।
o साबरमती लिंक चैनल :- वर्तमान में लूणी नदी का पानी बहकर रण ऑफ कच्छ में चला जाता है। तीसरे लिंक चैनल — साबरमती लिंक के माध्यम से सांचोर से मिट्टी हटाकर गुजरात के डीसा, पालनपुर, सिद्धपुर, मेहसाणा होते हुए लूणी नदी को साबरमती नदी से जोड़ा जा सकता है।
साथ ही, हरित पट्टियों, वृक्षारोपण, और उद्योगों के प्रदूषण नियंत्रण पर सख्ती से अमल हो।
औद्योगिक और व्यापारिक विकास
बालोतरा का टेक्सटाइल उद्योग देशभर में प्रसिद्ध है, लेकिन अब समय आ गया है कि :-
v टेक्सटाइल हब के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे विकसित किया जाए।
v स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन (SEZ) की स्थापना हो।
v MSME के लिए इनोवेशन सेंटर और स्किल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट बनाए जाएं।
ट्रांसपोर्ट और कनेक्टिविटी
भविष्य के विकास की दृष्टि से बालोतरा को प्रदेश और देश से बेहतर कनेक्ट करना आवश्यक है :-
v बाड़मेर-जोधपुर फोर-लेन हाईवे का विस्तार बालोतरा तक हो।
v नई रेल्वे लाइनें, रेल्वे जंक्शन का विस्तार, और स्थानीय बस नेटवर्क को सशक्त बनाया जाए।
v एयर कनेक्टिविटी के लिए नजदीकी एयरस्ट्रिप को डेवलप किया जा सकता है।
अगले 50 वर्षों में जनसंख्या में कई गुना की वृद्धि होगी, ऐसे में :-
v मल्टी-स्पेशलिटी सरकारी अस्पताल की स्थापना हो।
v सरकारी और निजी यूनिवर्सिटीज, टेक्निकल कॉलेज, और स्किल डवलपमेंट इंस्टिट्यूट की अति आवश्यकता है।
v ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं और टेली-मेडिसिन की पहुंच बढ़ाई जाए।
धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा
बालोतरा एवं इसके आस-पास के क्षेत्रों के विभिन्न धार्मिक स्थलों श्री राणीसा भटियाणीसा मंदिर (जसोलधाम), तिलवाड़ा स्थित श्री राणी रूपादे जी मंदिर (पालिया), श्री रावल मल्लीनाथ जी मंदिर (मालाजाल), श्री रावल मल्लीनाथ जी मंदिर (थान मल्लीनाथ), श्री मेघधारू जी मंदिर (थान मल्लीनाथ), श्री रणछोड़राय भगवान मंदिर (खेड़), श्री ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा, श्री भैरव जी भगवान मंदिर एवं श्री पार्श्वनाथ जैन तीर्थ, मेवानगर (नाकोड़ा) धार्मिक स्थल हैं, जिन्हें धार्मिक पर्यटन सर्किट के तहत विकसित किया जा सकता है। जिससे श्रदालुओं को सुविधा लाभ मिलेगा तथा स्थानीय रोजगार में भी वृद्धि होगी।
v राजस्थान सरकार बालोतरा 2031 मास्टरप्लान के अंतर्गत प्रस्तावित इनर रिंग रोड के निर्माण हेतु शीघ्र ही एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने का आदेश दे। यह इनर रिंग रोड न केवल शहर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएगी, बल्कि राज्य व राष्ट्रीय स्तर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक सुव्यवस्थित और सुगम मार्ग उपलब्ध कराएगी। जसोलधाम सहित बालोतरा के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों पर आने वाले भक्तों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, ऐसे में यह रिंग रोड़ नगर की भीड़-भाड़ को कम करने में सहायक होगी तथा स्थानीय नागरिकों को भी यातायात की बेहतर सुविधा प्रदान करेगी। सरकार द्वारा समय रहते यह निर्णय लिया जाना जनहित में एक दूरदर्शी कदम होगा। केंद्र सरकार इन सभी धार्मिक स्थलों को आउटर रिंग रोड़ से जोड़े, जो सार्वजनिक पाकिंग स्थल जुड़ाव व साइनेजेज युक्त हो ।
v राजस्थान सरकार को बालोतरा के आउटर रिंग रोड के निर्माण हेतु एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) केंद्र सरकार को अग्रेषित करनी चाहिए, ताकि इस महत्त्वपूर्ण परियोजना को राष्ट्रीय सहयोग के साथ शीघ्र अमल में लाया जा सके। यह आउटर रिंग रोड बालोतरा के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को आपस में जोड़ेगी और तीर्थयात्रियों के लिए एक सुगम, सुरक्षित व सुविधाजनक मार्ग प्रदान करेगी। साथ ही, इस मार्ग के विभिन्न प्रमुख स्थलों पर बड़े सार्वजनिक पार्किंग क्षेत्र भी रणनीतिक रूप से विकसित किए जा सकते हैं, जो बढ़ते वाहनों के दबाव को नियंत्रित करने में सहायक होंगे। यह योजना न केवल राज्य बल्कि देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए लाभकारी होगी, तथा स्थानीय नागरिकों के लिए भी यातायात की सुचारु व्यवस्था सुनिश्चित करेगी। यह परियोजना बालोतरा के धार्मिक, सामाजिक और भौगोलिक महत्व को देखते हुए एक दूरदर्शी पहल साबित होगी।
v सरकार को बालोतरा की रिंग रोड पर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन एक सर्किट के रूप में प्रारंभ करना चाहिए, जो सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को रेल्वे स्टेशन, बस स्टैंड और अन्य सार्वजनिक महत्व के केंद्रों से जोड़ सके। यह सुविधा न केवल तीर्थयात्रियों को पर्यावरण के अनुकूल और आरामदायक यात्रा का विकल्प प्रदान करेगी, बल्कि स्थानीय नागरिकों के लिए भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी। इन बसों में डिजिटल स्क्रीन लगाकर बालोतरा की ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक महत्व और विभिन्न धार्मिक स्थलों की जानकारी भी प्रदर्शित की जा सकती है, जिससे श्रद्धालुओं को एक शिक्षाप्रद और समृद्ध अनुभव मिलेगा। यह पहल बालोतरा को एक आधुनिक और सुसंगठित तीर्थनगरी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम होगी।
राज्य और केंद्र सरकार को चाहिए कि वे बालोतरा @2075 नाम से एक दीर्घकालीन, समावेशी और स्मार्ट विकास योजना बनाएँ, जिसमें :-
v पर्यावरणीय संरक्षण,
v रोजगार के अवसर,
v युवाओं की भागीदारी,
v तकनीकी नवाचार को प्राथमिकता दी जाए।
बालोतरा जिले का उज्जवल भविष्य एवं संकल्प
बालोतरा के विकास का यह स्वर्णिम काल है। यदि आज हमने दूरदर्शी और सुनियोजित निर्णय नहीं लिए, तो आने वाले दशकों में हम केवल अवसर गंवाने का पछतावा करेंगे। हमें बालोतरा को एक आधुनिक, प्रगतिशील और समावेशी जिले के रूप में विकसित करना है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने।
बालोतरा का भविष्य हमारे आज के निर्णयों पर निर्भर करता है – आइए हम सभी मिलकर जिले का भविष्य उज्ज्वल बनाएँ तथा संकल्प ले कि बालोतरा जिले को राजस्थान राज्य का सबसे समृद्ध, खुशहाल एवं शांति प्रिय जिला बनाएँ।
कुंवर हरिश्चंद्र सिंह, जसोल द्वारा लिखित इस विचारशील लेख के लिए द खटक की टीम हार्दिक प्रशंसा व्यक्त करती है। आपका बालोतरा के सुनियोजित विकास हेतु दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रेरणादायक है, और हम प्रकाशित कर रहे हैं।