रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा: गर्मजोशी भरा स्वागत और मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की नई कड़ी
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत पहुंचे। राष्ट्रपति भवन में 21 तोपों की सलामी और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी के साथ रक्षा, ऊर्जा और व्यापार पर अहम बातचीत होगी। 25 से ज्यादा समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर 2025: रूस और भारत के बीच सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भारत पहुंचे। उनकी यह यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली महत्वपूर्ण कड़ी साबित होने वाली है। राष्ट्रपति भवन में 21 तोपों की सलामी के साथ उनका भव्य स्वागत किया गया, जो भारत-रूस मित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। पुतिन के इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापार, रक्षा और ऊर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर गहन चर्चा होगी, जिसमें 25 से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर की संभावना जताई जा रही है।
भव्य स्वागत समारोह: परंपरा और सम्मान का संगम दोपहर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विमान नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। हवाई अड्डे पर ही उन्हें भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके तुरंत बाद राष्ट्रपति भवन ले जाया गया, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में औपचारिक स्वागत समारोह आयोजित किया गया।राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में 21 तोपों की सलामी गूंजी, जो किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को दिए जाने वाले सर्वोच्च सैन्य सम्मान का प्रतीक है। सलामी के बाद पुतिन को भारतीय सेना के विशेष गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और राष्ट्रगान की धुन पर सभी ने खड़े होकर सम्मान प्रकट किया। पुतिन ने अपनी मुस्कान के साथ इस समारोह में भाग लिया और भारतीय परंपराओं की सराहना की। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह समारोह दोनों देशों की गहरी सांस्कृतिक और कूटनीतिक समझ को दर्शाता है।स्वागत समारोह के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने पुतिन का स्वागत करते हुए कहा, "भारत और रूस के बीच दोस्ती न केवल मजबूत है, बल्कि यह वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक मिसाल भी है। आपका यह दौरा हमारे संबंधों को नई दिशा देगा।" पुतिन ने इसका जवाब देते हुए कहा, "भारत हमारा सबसे विश्वसनीय साझेदार है। हम यहां न केवल व्यापार की बात करने आए हैं, बल्कि भविष्य की रणनीतियों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।"
राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि: शांति और अहिंसा का संदेश स्वागत समारोह के तुरंत बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन का अगला पड़ाव राजघाट था। वहां उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। यह परंपरा भारत में आने वाले हर प्रमुख विदेशी मेहमान निभाते हैं, जो गांधीजी के अहिंसा और शांति के संदेश को वैश्विक मंच पर पहुंचाने का माध्यम है। पुतिन ने गांधीजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और कुछ क्षणों के लिए मौन धारण किया।इस अवसर पर पुतिन ने एक छोटा सा बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा, "महात्मा गांधी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। रूस और भारत दोनों ही शांति और सहयोग पर आधारित विश्व व्यवस्था के पक्षधर हैं।" राजघाट पर उपस्थित भारतीय अधिकारियों और मीडिया प्रतिनिधियों ने इस क्षण को कैमरे में कैद किया। यह दृश्य सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जहां लोग भारत-रूस मित्रता की तस्वीरें साझा कर रहे हैं।
प्रतिनिधिमंडल के साथ द्विपक्षीय बैठकें: ट्रेड, डिफेंस और एनर्जी पर फोकस पुतिन अपने साथ एक उच्च स्तरीय 7 सदस्यीय मंत्रिमंडलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर आए हैं, जिसमें रूस के उप-प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, ऊर्जा मंत्री, व्यापार मंत्री, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री और वित्त मंत्री शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय समकक्षों के साथ समानांतर बैठकें करेगा, ताकि द्विपक्षीय समझौतों को गति मिल सके।प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच दो महत्वपूर्ण बैठकें निर्धारित हैं। पहली बैठक राष्ट्रपति भवन में होगी, जो द्विपक्षीय मुद्दों पर केंद्रित होगी। इसमें दोनों नेता निजी तौर पर विचार-विमर्श करेंगे। दूसरी बैठक शाम को होगी, जो एक बंद कमरे में आयोजित की जाएगी, जहां संवेदनशील रक्षा और ऊर्जा मुद्दों पर चर्चा होगी। इन बैठकों के दौरान भारत और रूस के बीच 25 से अधिक समझौतों और MoU पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
प्रमुख चर्चा के विषय:व्यापार (ट्रेड): दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को अगले पांच वर्षों में 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य। इसमें कृषि उत्पादों, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी सेवाओं पर जोर।
रक्षा (डिफेंस): एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी, ब्रह्मोस मिसाइल के संयुक्त उत्पादन और नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर सहयोग। रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार है, जो कुल आयात का 60% प्रदान करता है।
ऊर्जा (एनर्जी): आर्कटिक क्षेत्र में संयुक्त तेल और गैस अन्वेषण, नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों का विस्तार (जैसे कुडनकुलम) और नवीकरणीय ऊर्जा पर साझेदारी। रूस भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया, "ये समझौते न केवल आर्थिक रूप से लाभदायक होंगे, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा को भी मजबूत करेंगे।" इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, अंतरिक्ष अनुसंधान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी चर्चा होगी।
वैश्विक संदर्भ: यूक्रेन संकट के बीच महत्वपूर्ण दौरा पुतिन का यह दौरा यूक्रेन संकट के बीच आया है, जहां पश्चिमी देशों के साथ रूस के संबंध तनावपूर्ण हैं। भारत ने हमेशा तटस्थ रुख अपनाया है और शांति वार्ता का समर्थन किया है। पीएम मोदी ने हाल ही में रूस-अमेरिका के बीच संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया था। इस यात्रा से भारत की बहुपक्षीय कूटनीति को बल मिलेगा।