"कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: राजस्थान सरकार से पूछा- 'आखिर क्यों बन रहा कोटा मौत का गढ़?'"

सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में बढ़ती छात्र आत्महत्याओं पर राजस्थान सरकार को फटकार लगाई। 2025 में अब तक 14 छात्रों ने आत्महत्या की, जिस पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि कोटा में ही क्यों हो रही हैं ये घटनाएं और सरकार ने इसे रोकने के लिए क्या किया? कोटा पुलिस की FIR न दर्ज करने पर भी नाराजगी जताई। अगली सुनवाई 14 जुलाई 2025 को होगी। राष्ट्रीय टास्क फोर्स को मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्याओं की रोकथाम के लिए उपाय सुझाने को कहा गया है।

May 23, 2025 - 15:42
"कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: राजस्थान सरकार से पूछा- 'आखिर क्यों बन रहा कोटा मौत का गढ़?'"

नई दिल्ली, 23 मई 2025: राजस्थान के कोटा शहर, जो कभी शिक्षा का स्वर्णिम केंद्र माना जाता था, आज छात्रों की आत्महत्याओं के लिए कुख्यात हो रहा है। इस गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कड़े शब्दों में फटकार लगाई। कोर्ट ने सवाल उठाया कि आखिर क्यों कोटा में ही छात्र अपनी जान दे रहे हैं और इस संकट को रोकने के लिए राज्य सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं? यह सुनवाई न केवल कोटा के हालात पर रोशनी डालती है, बल्कि देश भर में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली पर गहरे सवाल खड़े करती है।

जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार को आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा, "इस साल अब तक कोटा में 14 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। यह बेहद गंभीर स्थिति है। आप बतौर राज्य क्या कर रहे हैं? कोटा में ही बच्चे क्यों मर रहे हैं? क्या आपने इस पर कोई विचार नहीं किया?" कोर्ट की यह टिप्पणी कोटा में एक नीट (NEET) की तैयारी कर रही छात्रा की आत्महत्या और IIT खड़गपुर में एक छात्र की आत्महत्या के मामले की सुनवाई के दौरान आई।

सुप्रीम कोर्ट ने कोटा पुलिस की कार्यशैली पर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने एक मामले में FIR दर्ज न करने पर सवाल उठाया, जिसमें एक छात्रा नवंबर 2024 में अपने कोचिंग संस्थान के हॉस्टल से बाहर चली गई थी और बाद में आत्महत्या कर ली। कोर्ट ने कहा कि भले ही विशेष जांच टीम (SIT) मामले की जांच कर रही हो, लेकिन स्थानीय पुलिस की जिम्मेदारी थी कि वह तुरंत FIR दर्ज करती। कोटा पुलिस को इस लापरवाही के लिए 14 जुलाई को कोर्ट में स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया गया है।

कोटा: शिक्षा नगरी से आत्महत्या का केंद्र

कोटा, जो इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए देश भर से लाखों छात्रों को आकर्षित करता है, अब एक दुखद वजह से सुर्खियों में है। आंकड़े चौंकाने वाले हैं:

  • 2025 में अब तक: 14 छात्रों ने आत्महत्या की, जिसमें 5 JEE और 1 NEET की तैयारी कर रहे थे।

  • 2024 में: 19 छात्रों ने अपनी जान दी।
  • 2023 में: 29 छात्रों ने आत्महत्या की।
  • 2018 से 2025 तक: कोटा में 94, सीकर में 16, डीडवाना में 2 और जयपुर ग्रामीण में 1 छात्र ने आत्महत्या की।

इन आंकड़ों ने न केवल कोटा की छवि को धूमिल किया है, बल्कि शिक्षा प्रणाली, कोचिंग संस्थानों और समाज पर गहरे सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यह भी उल्लेख किया कि मार्च 2024 में उसने एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) गठित की थी, जिसके अध्यक्ष पूर्व जज जस्टिस एस. रविंद्र भट हैं। यह टास्क फोर्स शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने और आत्महत्याओं को रोकने के लिए उपाय सुझाएगी।

राजस्थान सरकार की निष्क्रियता पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार की निष्क्रियता पर कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने पूछा कि जब 2016 से ही राजस्थान हाईकोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है, तब भी कोई ठोस कानून या गाइडलाइंस क्यों नहीं लागू की गईं? राजस्थान हाईकोर्ट ने 2016 में स्वतः संज्ञान लेते हुए कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने की सलाह दी थी, लेकिन 2025 तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया।

राजस्थान सरकार ने कोर्ट को बताया कि एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई है और कोटा पुलिस ने इनक्वेस्ट रिपोर्ट दर्ज की है। लेकिन कोर्ट ने इस जवाब को अपर्याप्त माना और कहा कि SIT की जांच के बावजूद FIR दर्ज करना पुलिस की प्राथमिक ज Destiny थी।

कोचिंग रेगुलेशन बिल: कागजों में ही सिमटा

राजस्थान सरकार ने 2024 में कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित करने के लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार किया था, जिसे 2025 के बजट सत्र में विधानसभा में पेश किया गया। लेकिन यह बिल सिलेक्ट कमेटी में अटक गया। केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस, जिसमें कोचिंग संस्थानों को रैंक की गारंटी न देने, 16 साल से कम उम्र के बच्चों को दाखिला न देने और काउंसलिंग सिस्टम लागू करने जैसे प्रावधान थे, भी लागू नहीं हो सकीं।

हाईकोर्ट ने भी मई 2025 में इस देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि 2019 से कोचिंग रेगुलेशन कानून की बात हो रही है, लेकिन न तो कानून बना और न ही गाइडलाइंस लागू की गईं।

कोटा में सुसाइड की वजहें

छात्रों की आत्महत्याओं के पीछे कई कारण सामने आए हैं:

  • परीक्षा का दबाव: JEE और NEET जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता का अत्यधिक दबाव।
  • मानसिक स्वास्थ्य: तनाव, अवसाद और आत्मविश्वास की कमी।
  • माता-पिता की अपेक्षाएं: परिवार की उम्मीदों का बोझ।
  • आर्थिक तंगी और लव अफेयर: कुछ मामलों में आर्थिक समस्याएं और व्यक्तिगत संबंध भी कारण बने।

प्रशासन के प्रयास: कितने प्रभावी?

कोटा प्रशासन ने आत्महत्याओं को रोकने के लिए कुछ कदम उठाए हैं:

  • एंटी-हैंगिंग डिवाइस: हॉस्टल के कमरों में लगाए गए।
  • हेल्पलाइन नंबर: छात्रों के लिए जीवनसाथी हेल्पलाइन (18002333330) और टेलिमानस हेल्पलाइन (1800914416) शुरू की गई।
  • कोटा केयर्स प्रोग्राम: छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए शुरू किया गया।
  • डिनर विद कलेक्टर और संवाद: छात्रों से नियमित संवाद के लिए आयोजन।

हालांकि, कोटा के जिला कलेक्टर रवींद्र गोस्वामी ने दावा किया कि 2024 में आत्महत्याओं में 50% की कमी आई (2023 में 26 मामले, 2024 में 17 मामले), लेकिन 2025 में फिर से मामले बढ़ने से सवाल उठ रहे हैं कि ये प्रयास कितने प्रभावी हैं।

सुप्रीम कोर्ट का अगला कदम

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राजस्थान सरकार से जवाब मांगा है और कोटा पुलिस को 14 जुलाई 2025 को स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इस मामले को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। साथ ही, राष्ट्रीय टास्क फोर्स को जल्द से जल्द सुझाव देने के लिए कहा गया है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ