सीकर में NEET की तैयारी कर रहे छात्र ने लगाया फांसी का फंदा।
सीकर के एक निजी हॉस्टल में उस रात एक सनसनीखेज घटना घटी, जब नीट की तैयारी कर रहे 20 वर्षीय दिनेश कुमार ने बेडशीट से फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। मात्र दो दिन पहले हॉस्टल में कदम रखने वाला यह छात्र एक ही दिन कोचिंग गया था। पुलिस मौके पर पहुंची, शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा, लेकिन सवाल अनसुलझा रहा—आखिर क्या था वह रहस्यमयी तनाव जो दिनेश को इस कदम तक ले गया?

सीकर शहर के उद्योग नगर थाना क्षेत्र में एक दुखद घटना सामने आई है, जहां नीट (NEET) की तैयारी कर रहे 20 वर्षीय छात्र दिनेश कुमार ने निजी हॉस्टल के कमरे में बेडशीट से फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक छात्र राजस्थान के बालोतरा जिले के समदड़ी क्षेत्र का निवासी था। उसने मात्र दो दिन पहले ही हॉस्टल में प्रवेश लिया था और केवल एक दिन कोचिंग संस्थान में पढ़ाई के लिए गया था। इस घटना ने सीकर में कोचिंग हब के रूप में उभरते इस शहर में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
घटना का विवरण
उद्योग नगर थाने के सब-इंस्पेक्टर रोहताश सिंह के अनुसार, यह घटना पिपराली रोड स्थित सूर्य नगर के एक निजी हॉस्टल में हुई। पुलिस को बीती शाम सूचना मिली कि एक छात्र ने अपने कमरे में फांसी लगा ली है। मौके पर पहुंची पुलिस ने पंखे से लटके हुए छात्र के शव को उतारा और पोस्टमॉर्टम के लिए एसके अस्पताल की मोर्चरी में भेजा। शव को पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया। मृतक के कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, जिसके कारण आत्महत्या के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने अनुमान लगाया है कि मानसिक तनाव इस कदम का कारण हो सकता है। पुलिस परिजनों की शिकायत के आधार पर मामले की जांच कर रही है।
आत्महत्या के बढ़ते मामले और संभावित कारण
सीकर और कोटा जैसे कोचिंग हब में छात्रों की आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:अकादमिक दबाव: नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं अत्यंत कठिन होती हैं, और इनमें सफलता के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। कोचिंग संस्थानों में लगातार टेस्ट, रैंकिंग, और प्रदर्शन की तुलना छात्रों पर भारी दबाव डालती है।
घर से दूरी और अकेलापन: कई छात्र, जैसे दिनेश कुमार और निशा यादव, अपने परिवार से दूर रहकर पढ़ाई करते हैं। पहली बार घर से बाहर रहने के कारण वे अकेलापन और भावनात्मक तनाव का शिकार हो सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी: कोचिंग संस्थानों और हॉस्टलों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता की कमी एक बड़ा मुद्दा है। छात्रों को तनाव प्रबंधन के लिए काउंसलिंग या सपोर्ट सिस्टम की कमी रहती है।
असफलता का डर: नीट जैसी परीक्षाओं में असफल होने का डर और सामाजिक-परिवारिक अपेक्षाएं छात्रों को मानसिक रूप से तोड़ सकती हैं। खासकर जब वे अपनी रैंक या प्रदर्शन को लेकर आत्मविश्वास खो देते हैं।
कोचिंग संस्थानों की लापरवाही: कुछ मामलों में, कोचिंग संस्थान सरकार और प्रशासन की गाइडलाइंस का पालन नहीं करते। उदाहरण के लिए, कोटा में एक मामले में कोचिंग संस्थान ने टेस्ट आयोजित करके नियमों का उल्लंघन किया था, जिसके बाद एक छात्र ने आत्महत्या कर ली।
निवारण के लिए सुझाव
मानसिक स्वास्थ्य सहायता: कोचिंग संस्थानों और हॉस्टलों में प्रशिक्षित काउंसलर की नियुक्ति अनिवार्य होनी चाहिए।
नियमित मॉनिटरिंग: छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और अकादमिक प्रगति की नियमित निगरानी हो।
जागरूकता अभियान: छात्रों और अभिभावकों को तनाव प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूक करना।
गाइडलाइंस का पालन: कोचिंग संस्थानों को सरकार की गाइडलाइंस, जैसे आयु सीमा और टेस्ट की आवृत्ति, का सख्ती से पालन करना चाहिए।
परिवार का सहयोग: अभिभावकों को बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालने से बचना चाहिए और उनकी भावनात्मक जरूरतों को समझना चाहिए।
सीकर और कोटा में NEET की तैयारी करने वाले छात्रों की आत्महत्याएं एक गंभीर सामाजिक और शैक्षिक समस्या बन चुकी हैं। दिनेश कुमार और निशा यादव जैसे मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल अकादमिक उत्कृष्टता पर ध्यान देना पर्याप्त नहीं है। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक सहायता, और कोचिंग संस्थानों की जवाबदेही पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। समाज, सरकार, और शैक्षिक संस्थानों को मिलकर इस संकट का समाधान निकालना होगा ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके।