राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय: दशम दीक्षांत समारोह

20 मई 2025 को जयपुर के बिड़ला सभागार में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (RUHS) का दशम दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ। समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने की, चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर मुख्य अतिथि थे। राज्यपाल ने समय पर डिग्री वितरण पर जोर देते हुए कहा कि जिस वर्ष विद्यार्थी की शिक्षा पूरी हो, उसी वर्ष दीक्षांत समारोह आयोजित होना चाहिए।

May 20, 2025 - 18:10
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय: दशम दीक्षांत समारोह

20 मई 2025 को जयपुर के बिड़ला सभागार में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (RUHS) का दशम दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ। इस समारोह में राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने मुख्य रूप से संबोधित किया, चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। समारोह का आयोजन विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों को उपाधियां और पदक प्रदान करने के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता, शोध, और समयबद्धता पर जोर देने के लिए किया गया।

राज्यपाल श्री बागडे ने अपने संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस वर्ष विद्यार्थी की शिक्षा पूरी हो, उसी वर्ष दीक्षांत समारोह आयोजित हो, ताकि विद्यार्थियों को समय पर डिग्री मिल सके। उन्होंने इस दिशा में सभी स्तरों पर प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, उन्होंने चिकित्सा शिक्षा में विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उनका कहना था कि समाज को ऐसे प्रतिभाशाली और कुशल चिकित्सकों की आवश्यकता है, जो न केवल ज्ञानवान हों, बल्कि रोग निदान में संयम और समर्पण के साथ कार्य करें। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा में मौलिक शोध और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता जताई, ताकि इस क्षेत्र में नवाचार हो और समाज को इसका लाभ मिले।

श्री बागडे ने सुझाव दिया कि राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय को देश और विदेश के अन्य विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग करना चाहिए। इससे चिकित्सा के क्षेत्र में नए ज्ञान का आदान-प्रदान संभव होगा, जो विद्यार्थियों के लिए अधिक आकर्षक और उपयोगी होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा ज्ञान विद्यार्थियों को एकरसता से मुक्त करता है और उनकी रुचि को बनाए रखता है। उन्होंने भारतीय चिकित्सा और औषधि शास्त्र को एक-दूसरे का पूरक बताते हुए कम से कम दवाओं के उपयोग से रोग निदान की मानसिकता को अपनाने की सलाह दी।

राज्यपाल ने भारत की प्राचीन शैक्षिक और चिकित्सा परंपरा का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में जब विश्व में केवल छह विश्वविद्यालय थे, तब भारत में नालंदा और तक्षशिला जैसे दो विश्वविद्यालय थे, जहां विश्वभर से छात्र पढ़ने आते थे। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के आयुर्वेद ज्ञान का जिक्र करते हुए कहा कि नालंदा के वैद्य ने बख्तियार खिलजी का इलाज किया था, लेकिन उसने वहां के पुस्तकालय को जला दिया। उन्होंने भास्कराचार्य द्वारा गुरुत्वाकर्षण के ज्ञान और आर्यभट्ट द्वारा संख्या शास्त्र के योगदान का उल्लेख करते हुए भारत की प्राचीन शिक्षा को आधुनिक ज्ञान के साथ जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने विश्व को शून्य (जीरो) का ज्ञान दिया, जिसने आधुनिक गणित को नई दिशा प्रदान की।

इसके साथ ही, राज्यपाल ने देश की पहली महिला चिकित्सक आनंदी गोपाल जोशी का उल्लेख किया, जिन्होंने 1886 में परीक्षा उत्तीर्ण कर चिकित्सा क्षेत्र में महिलाओं के लिए प्रेरणा का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने चिकित्सकों से रोग निदान को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और संयम के साथ कार्य करने का आग्रह किया।

समारोह के दौरान, राज्यपाल ने "नेशनल अकादमिक डिपोजिटरी पोर्टल" का डिजिटल शुभारंभ किया। इस पोर्टल के माध्यम से विश्वविद्यालय के योग्य अभ्यर्थियों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में संग्रहित किया जाएगा, जिससे डिग्री वितरण की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी। उन्होंने डॉ. विश्व मोहन कटोच को बायोमेडिकल रिसर्च में उनके अप्रतिम योगदान के लिए "डॉक्टर ऑफ साइंस- मेडिसिन" की मानद उपाधि प्रदान की। साथ ही, मेडिसिन, दंत, फार्मेसी, नर्सिंग, फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, और पैरामेडिकल संकाय के मेधावी विद्यार्थियों को पदक और उपाधियां प्रदान की गईं। इस अवसर पर 10 में से 8 गोल्ड मेडल वितरित किए गए, जो विद्यार्थियों की उत्कृष्टता को दर्शाते हैं।

दीक्षांत व्याख्यान पीएसआरआई हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली के अध्यक्ष और पूर्व आचार्य, कार्डियोलॉजी विभाग, एम्स, नई दिल्ली, डॉ. के.के. तलवार ने दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान में चिकित्सा क्षेत्र की प्रगति और चुनौतियों पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. (डॉ.) प्रमोद येवले ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें RUHS की शैक्षणिक उपलब्धियों, शोध कार्यों, और भविष्य की योजनाओं का विवरण दिया गया।

यह दीक्षांत समारोह न केवल विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता, नवाचार, और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच भी साबित हुआ। राज्यपाल के संबोधन ने प्राचीन भारतीय शिक्षा और आधुनिक चिकित्सा ज्ञान के समन्वय पर जोर दिया, जो विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक रहा। यह आयोजन RUHS के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा, जो चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में समयबद्धता, शोध, और समाज के प्रति जवाबदेही को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ