बेटा होने की गारंटी! राजस्थान में 5500 रुपए में दी गईं 'चमत्कारी गोलियां', अंधविश्वास में फंसी महिलाएं
तांत्रिक ने महिलाओं को सूखे खजूर और गोलियां देकर बेटा होने का झांसा दिया। पानी में फूंक मारकर मंत्र पढ़े, 5500 रुपए लिए।

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ अंधविश्वास की जड़ें आज भी गहराई से फैली हुई हैं। दो महिलाएं बेटे की चाह में ऐसी 'गोलियों' के जाल में फंस गईं जिन्हें खाने से बेटा होने की गारंटी दी गई थी। कीमत थी 5500 रुपये – और साथ में थे कुछ सूखे खजूर और कथित 'चमत्कारी' गोलियां।
पैसों के बदले अंधविश्वास का सौदा
यह घटना बांसवाड़ा के कुशलगढ़ क्षेत्र की है, जहाँ एक तांत्रिक और उसकी टीम ने ग्रामीण महिलाओं को यह विश्वास दिलाया कि उनके पास ऐसा विशेष ‘ज्ञान’ और 'तंत्र-मंत्र' है जिससे बेटा जरूर होगा। दो महिलाओं को जंगल के पास ले जाकर एक काले कपड़े में लिपटे खजूर और सफेद गोलियां दी गईं। कहा गया कि इन चार गोलियों को पानी के साथ गांव के पुराने कुएं से भरकर पीना है, और बेटा होने की "गारंटी" दी गई। महिलाओं को एकांत में ले जाकर डर और भावनात्मक दबाव के ज़रिए यह सब कराया गया। तांत्रिक ने मंत्र बुदबुदाते हुए पानी में फूंक मारी और गोलियां महिलाओं को देते हुए कहा – “इन्हें पी जाओ, अब तुम्हें बेटा ही होगा।”
अंधविश्वास की चपेट में महिलाएं, शिक्षा की कमी उजागर
इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया कि ग्रामीण इलाकों में आज भी बेटा पाने की लालसा कितनी गहराई से समाज में जड़ें जमा चुकी है। महिलाओं को डराया गया, भावनात्मक रूप से तोड़ा गया और इस कदर विश्वास दिलाया गया कि वे सब कुछ छोड़-छाड़कर इस 'टोने-टोटके' के भरोसे बैठ गईं।
पुलिस को दी गई सूचना, कार्रवाई की मांग
हालांकि अब इस पूरे मामले की जानकारी स्थानीय प्रशासन और पुलिस तक पहुंच चुकी है। यह कोई पहली घटना नहीं है — ऐसी कई महिलाएं पहले भी इसी तरह ठगी का शिकार हो चुकी हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और स्थानीय सामाजिक संस्थाओं ने इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
ज़रूरत है जागरूकता की, न कि झूठे दिलासों की
आज भी बेटा पाने की ज़िद में महिलाओं को इस तरह अंधविश्वास की दलदल में धकेला जा रहा है, यह हमारे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। जहाँ एक ओर विज्ञान और तकनीक चाँद पर पहुँच चुकी है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग आज भी अंधविश्वास के ज़रिए मासूमों की भावनाओं से खेल रहे हैं।
यह वक़्त है जब प्रशासन को न केवल ऐसे ढोंगी बाबाओं पर सख्ती करनी होगी, बल्कि ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और जागरूकता की रोशनी भी फैलानी होगी — ताकि कोई और महिला इस तरह ठगी और भावनात्मक शोषण का शिकार न बने।