ग्वारगम उद्योग: स्वर्णिम अतीत से संकट की ओर

ग्वारगम उद्योग, जो कभी आर्थिक रीढ़ था, अब संकट में है; 90% काम ठप, निर्यात आधा, रोजगार घटा, कीमत 1200 से 120 रुपये प्रति किलो, कच्चे माल की कमी और मांग में कमी के कारण।

Jul 24, 2025 - 14:01
ग्वारगम उद्योग: स्वर्णिम अतीत से संकट की ओर

कभी जोधपुर की आर्थिक रीढ़ और वैश्विक व्यापार में पहचान रहा ग्वारगम उद्योग आज अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। 1995 से 2012 तक यह उद्योग न केवल जोधपुर, बल्कि पूरे राजस्थान की समृद्धि का प्रतीक था। ग्वारगम, जिसका उपयोग खाद्य प्रसंस्करण, ऑयल ड्रिलिंग, फार्मास्युटिकल्स और पेपर उद्योग में होता है, ने जोधपुर को विश्व व्यापार के मानचित्र पर शीर्ष पर स्थापित किया था। उस दौर में विश्व के 80% ग्वारगम निर्यात का हिस्सा अकेले जोधपुर से जाता था। लेकिन आज स्थिति यह है कि उद्योग का 90% काम ठप हो चुका है।

स्वर्णिम दौर और अचानक पतन

वर्ष 2009 से 2012 तक ग्वारगम उद्योग अपने चरम पर था। इस दौरान ग्वारगम की कीमतें 1200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थीं। प्रतिवर्ष 6 लाख मीट्रिक टन का निर्यात होता था, और राजस्थान में 25 हजार करोड़ रुपये का कारोबार इस उद्योग से जुड़ा था। जोधपुर में 25,000 और पूरे प्रदेश में 60,000 से अधिक लोगों को यह उद्योग रोजगार देता था। उस समय राजस्थान में 250 से अधिक ग्वारगम प्रसंस्करण इकाइयां थीं, जो जोधपुर के साथ-साथ बाड़मेर, बीकानेर, नोखा, राजगढ़, जैसलमेर और मेड़ता जैसे शहरों में फैली थीं।

लेकिन पिछले 13 वर्षों में यह उद्योग तेजी से ढलान पर आ गया। आज ग्वारगम की कीमत मात्र 120 रुपये प्रति किलो रह गई है, और निर्यात आधा होकर 3 लाख मीट्रिक टन पर सिमट गया है। इकाइयों की संख्या भी 250 से घटकर 35-40 रह गई है। हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए, और उद्योग की चमक फीकी पड़ चुकी है।

संकट के प्रमुख कारण

ग्वारगम उद्योग के पतन के पीछे कई कारण हैं:

  1. बाजार में अस्थिरता: ग्वारगम को नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) में शामिल करने के बाद इसकी कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव देखा गया। इससे उद्योग की स्थिरता पर नकारात्मक असर पड़ा।

  2. कच्चे माल की कमी: मंडी भाव में अंतर के कारण राजस्थान के किसान अपना ग्वार गुजरात की मंडियों में बेचने लगे, जिससे स्थानीय स्तर पर कच्चे माल की उपलब्धता कम हो गई।

  3. वैश्विक मांग में कमी: ग्वारगम का सबसे बड़ा उपयोग पेट्रोलियम और ड्रिलिंग उद्योगों में होता था। लेकिन अमेरिका और अन्य देशों में वैकल्पिक सामग्रियों के उपयोग ने इसकी मांग को काफी हद तक कम कर दिया।

पुनरुद्धार की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि ग्वारगम उद्योग को पुनर्जनन के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। कुछ सुझावों में शामिल हैं:

  • नए बाजारों की तलाश: ग्वारगम के नए उपयोग, जैसे कॉस्मेटिक्स और टेक्सटाइल उद्योगों में, तलाशे जा सकते हैं।

  • मूल्य संवर्धन: उच्च-मूल्य वाले ग्वारगम उत्पादों पर ध्यान देकर लाभप्रदता बढ़ाई जा सकती है।

  • सरकारी हस्तक्षेप: निर्यात प्रोत्साहन, सब्सिडी और अनुसंधान के लिए फंडिंग से उद्योग को सहारा मिल सकता है।

  • किसानों के साथ समन्वय: कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए किसानों को बेहतर मूल्य और प्रोत्साहन देना जरूरी है।

जोधपुर का ग्वारगम उद्योग भले ही आज संकट में हो, लेकिन इसकी नींव अभी भी मजबूत है। सही नीतियों, सरकारी समर्थन और नवाचार के साथ यह उद्योग फिर से अपनी खोई हुई पहचान हासिल कर सकता है। जोधपुर के कारोबारियों और मजदूरों को अब भी उम्मीद है कि वह दिन दूर नहीं, जब ग्वारगम फिर से शहर की शान बनेगा।

Yashaswani Journalist at The Khatak .