झालावाड़ के सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत गिरीं ,5 मासूमो की चीखे उस मलबे में बिखरी ....

झालावाड़, राजस्थान के मनोहरथाना ब्लॉक में पीपलोदी सरकारी प्राथमिक स्कूल की जर्जर इमारत शुक्रवार (25 जुलाई 2025) सुबह ढह गई। हादसे में 5 बच्चों की मौत हो गई और 30 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए। शिक्षकों और ग्रामीणों ने मलबे से बच्चों को निकाला। जर्जर इमारत की पहले से शिकायत थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह हादसा सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति को उजागर करता है।

Jul 25, 2025 - 09:47
झालावाड़ के सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत गिरीं ,5 मासूमो की चीखे उस मलबे में बिखरी ....

राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ब्लॉक में स्थित पीपलोदी सरकारी प्राथमिक स्कूल में शुक्रवार (25 जुलाई 2025) की सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। स्कूल की जर्जर इमारत अचानक ढह गई, जिसके मलबे में दबकर पांच मासूम बच्चों की जान चली गई और 30 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा उस समय हुआ जब बच्चे अपनी कक्षाओं में पढ़ाई कर रहे थे। इस त्रासदी ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया, बल्कि सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

हादसे का मंजर: मासूमों की चीखें और मलबे का ढेर 

सुबह के करीब 9 बजे, जब पीपलोदी का सरकारी स्कूल बच्चों की हंसी-खुशी और पढ़ाई के शोर से गूंज रहा था, तभी अचानक एक जोरदार धमाके के साथ स्कूल की छत और दीवारें भरभराकर गिर पड़ीं। कक्षा में बैठे बच्चे मलबे के नीचे दब गए। स्कूल की इमारत, जो पहले से ही जर्जर हालत में थी, इस हादसे को झेल नहीं पाई। मलबे में फंसे बच्चों की चीखें सुनकर शिक्षकों और आसपास के ग्रामीणों का दिल दहल गया। बिना देरी किए, शिक्षकों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर बचाव कार्य शुरू किया और मलबे में दबे बच्चों को बाहर निकालने की कोशिश की।

बचाव कार्य: ग्रामीणों और शिक्षकों की हिम्मत 

हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय ग्रामीण और शिक्षक तुरंत बचाव के लिए दौड़ पड़े। उनके पास न तो भारी उपकरण थे और न ही प्रशिक्षित बचाव दल, लेकिन मासूमों की जान बचाने की उम्मीद में उन्होंने अपने हाथों से मलबा हटाना शुरू किया। कई बच्चों को मलबे से सुरक्षित निकाला गया, लेकिन पांच बच्चों की सांसें हमेशा के लिए थम गईं। घायल बच्चों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया, जहां 30 से अधिक बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है। कुछ बच्चों को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर किया गया है।

जर्जर इमारत की चेतावनी को नजरअंदाज किया गया? 

स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल की इमारत लंबे समय से जर्जर हालत में थी। बारिश और रखरखाव की कमी ने इसकी हालत को और खराब कर दिया था। स्कूल प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों को पहले भी इमारत की खराब स्थिति के बारे में सूचित किया गया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यह हादसा सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे की लापरवाही और बच्चों की सुरक्षा के प्रति उदासीनता को उजागर करता है।

परिवारों का दर्द: मासूमों की मौत ने छीना सुकून 

इस हादसे ने कई परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया है। जिन माता-पिता ने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल भेजा था, उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनकी आंखों का तारा इस तरह मलबे में दब जाएगा। अस्पतालों में घायल बच्चों के परिजनों की आंखों में आंसू और दिल में गुस्सा है। स्थानीय समुदाय ने प्रशासन से इस हादसे की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया: जांच के आदेश 

हादसे की खबर फैलते ही प्रशासन हरकत में आया। जिला प्रशासन ने तुरंत बचाव कार्यों के लिए टीमें भेजीं और घायलों के इलाज की व्यवस्था की। राजस्थान के मुख्यमंत्री ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है और हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। 

 यह हादसा एक बार फिर सरकारी स्कूलों की जर्जर इमारतों और बच्चों की सुरक्षा के प्रति लापरवाही को उजागर करता है। पीपलोदी का यह दर्दनाक हादसा उन तमाम स्कूलों के लिए एक चेतावनी है, जो बदहाल स्थिति में चल रहे हैं। सरकार और शिक्षा विभाग को तुरंत कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो। बच्चों का भविष्य संवारने वाले स्कूलों को सुरक्षित करना अब समय की सबसे बड़ी जरूरत है। यह हादसा न केवल एक खबर है, बल्कि एक मूक चीख है जो हमारी व्यवस्था से सवाल पूछ रही है—क्या हम अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति सचमुच गंभीर हैं?