उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा: स्वास्थ्य या सियासत, क्या है असली वजह?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसे लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए और पीएम मोदी से फैसला वापस लेने की अपील की। जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव होगा।

Jul 22, 2025 - 11:42
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा: स्वास्थ्य या सियासत, क्या है असली वजह?

भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसने देश की सियासत में हलचल मचा दी है। 74 वर्षीय धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र सौंपा। हालांकि, विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इस इस्तीफे को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं और दावा किया है कि इसके पीछे स्वास्थ्य से कहीं ज्यादा गहरे सियासी कारण हो सकते हैं।

इस्तीफे की वजह: स्वास्थ्य या कुछ और?

जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा, "स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।" उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका कार्यकाल सौहार्दपूर्ण और सम्मानजनक रहा।

लेकिन विपक्ष का मानना है कि यह इस्तीफा केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को X पर एक पोस्ट में दावा किया कि धनखड़ का इस्तीफा अप्रत्याशित और सवालों से घिरा हुआ है। उन्होंने कहा, "सोमवार को दोपहर 12:30 बजे धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की बैठक बुलाई थी, जिसमें जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू सहित कई सदस्य मौजूद थे। लेकिन शाम 4:30 बजे की दूसरी बैठक में नड्डा और रिजिजू शामिल नहीं हुए, और धनखड़ को इसका कारण भी नहीं बताया गया।" रमेश ने संकेत दिया Nominative Case: Accusative Case: सुझाव दिया कि दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कोई गंभीर बातचीत जरूर हुई होगी, जिसके बाद धनखड़ ने यह कदम उठाया।

विपक्ष की प्रतिक्रिया: "राष्ट्रहित में फैसला बदलें"

कांग्रेस ने धनखड़ के इस्तीफे पर चिंता जताते हुए इसे "समझ से परे" बताया। जयराम रमेश ने कहा, "हम उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं, लेकिन उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और प्रधानमंत्री मोदी से उन्हें मनाने की अपील करते हैं। यह राष्ट्रहित में होगा।" कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी सवाल उठाया, "वह पूरे दिन संसद में थे। आखिर एक घंटे में ऐसा क्या हुआ कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा?"

विपक्षी दलों ने धनखड़ के कार्यकाल में उनके पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाया था। दिसंबर 2024 में इंडिया गठबंधन के 60 से ज्यादा सांसदों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जो संसदीय इतिहास में पहली बार हुआ।

अगला उपराष्ट्रपति: चुनाव प्रक्रिया और संवैधानिक प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, उपराष्ट्रपति के निधन, इस्तीफे या किसी अन्य कारण से पद खाली होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराना अनिवार्य है। नए उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होगा।

चुनाव आयोग जल्द ही इस प्रक्रिया को शुरू करेगा, और निर्वाचित व्यक्ति अपने पदभार ग्रहण की तारीख से पांच साल तक उपराष्ट्रपति रहेगा। तब तक राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति की जिम्मेदारी संभालेंगे।

उपराष्ट्रपति का कार्यकाल और जिम्मेदारियां

उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है, और उनका कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। वह राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत, उपराष्ट्रपति का चुनाव गुप्त मतदान द्वारा होता है। कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक हो, 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो और राज्यसभा सदस्य के लिए योग्य हो, वह इस पद के लिए पात्र है। हालांकि, कोई भी लाभ का पद धारण करने वाला व्यक्ति इस चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकता।

उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कर्तव्यों का निर्वहन कर सकते हैं, लेकिन इस दौरान वह राज्यसभा सभापति के कर्तव्यों या वेतन-भत्तों के हकदार नहीं होते।

धनखड़ का सियासी सफर और विवाद

जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। इससे पहले वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे, जहां उनका ममता बनर्जी सरकार के साथ लगातार टकराव रहा। उनके कार्यकाल में कई बार उनके बयानों ने विवाद खड़ा किया, खासकर सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका पर उनकी टिप्पणियों ने। धनखड़ ने अनुच्छेद 142 को "न्यूक्लियर मिसाइल" करार देते हुए कहा था कि यह लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ इस्तेमाल हो रहा है।

विपक्ष ने उनके राज्यसभा संचालन को पक्षपातपूर्ण बताते हुए कई बार विरोध दर्ज किया। दिसंबर 2023 में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा उनकी मिमिक्री और राहुल गांधी द्वारा इसका वीडियो बनाने की घटना ने भी सुर्खियां बटोरीं।

धनखड़ के इस्तीफे ने सियासी गलियारों में कई सवाल खड़े किए हैं। क्या यह वाकई स्वास्थ्य कारणों से लिया गया फैसला है, या इसके पीछे सत्ता पक्ष के भीतर कोई अंतर्विरोध है? विपक्ष का दावा है कि बीजेपी नेताओं की ओर से कोई टिप्पणी न आना और धनखड़ की हालिया स्वतंत्र रुख, जैसे ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाना, इस इस्तीफे की पृष्ठभूमि हो सकता है।

फिलहाल, देश की नजरें अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव और संवैधानिक प्रक्रिया पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या धनखड़ अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हैं, या नया चेहरा जल्द ही इस अहम पद की जिम्मेदारी संभालेगा।

Yashaswani Journalist at The Khatak .