जयपुर में तीज माता की भव्य सवारी: ट्रैफिक और पार्किंग व्यवस्था के साथ उत्सव की तैयारी
जयपुर में 27 और 28 जुलाई को हरियाली और बूढ़ी तीज की सवारी सिटी पैलेस से निकलेगी, जिसके लिए ट्रैफिक डायवर्जन और पार्किंग व्यवस्था की गई है। यह पर्व माता पार्वती को समर्पित है, जिसमें व्रत और कथा का विशेष महत्व है।

राजधानी जयपुर में रविवार, 27 जुलाई को हरियाली तीज और सोमवार, 28 जुलाई को बूढ़ी तीज के अवसर पर भव्य सवारी निकाली जाएगी। सिटी पैलेस के जनानी ड्योढ़ी से शुरू होने वाली यह सवारी शाम 5:30 बजे रवाना होगी। इस दौरान शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं और शहरवासियों को किसी तरह की परेशानी न हो।
तीज माता की सवारी का रूट और ट्रैफिक प्लान
तीज माता की सवारी जनानी ड्योढ़ी से शुरू होकर चांदनी चौक, त्रिपोलिया गेट, त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार होते हुए चौगान स्टेडियम पहुंचेगी। इस दौरान सिटी पैलेस की ओर जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया जाएगा। ट्रैफिक पुलिस ने वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था की है, जो इस प्रकार हैं:
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सांगानेरी गेट से सुभाष चौक और वापसी: बसें घाटगेट, घाट बाजार, रामगंज चौपड़, और चार दरवाजा होकर सुभाष चौक तक आ-जा सकेंगी।
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रामगंज चौपड़ से बड़ी चौपड़: बसें घाट बाजार, घाटगेट, सांगानेरी गेट, और एम.आई. रोड से होकर चलेंगी।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पार्किंग व्यवस्था भी की गई है, जो शाम 5 बजे से लागू होगी। ट्रैफिक पुलिस ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें और सवारी के दौरान धैर्य बनाए रखें।
तीज का धार्मिक महत्व
प्रोफेसर विनोद शास्त्री के अनुसार, तीज का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो माता पार्वती को समर्पित है। यह तीन दिवसीय उत्सव है, जिसमें पहले दिन सिंजारा, दूसरे दिन हरियाली तीज, और तीसरे दिन बूढ़ी तीज मनाई जाती है। भविष्य पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने इस व्रत को बनाया था, जिससे विवाहित महिलाओं को सौभाग्य और सुहाग की प्राप्ति होती है।
हरियाली तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन व्रत कथा पढ़ना अनिवार्य माना जाता है, क्योंकि इसके बिना व्रत अधूरा रहता है।
तीज व्रत कथा: माता पार्वती की तपस्या
भविष्य पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने हिमालय पर गंगा के तट पर बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर तप किया, बिना अन्न-जल ग्रहण किए सूखे पत्ते चबाए, और कठिन मौसम में भी अपनी साधना जारी रखी। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोकामना पूरी की।
इस कथा को सुनने और व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक महिला को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को हरतालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि पार्वती की सखी ने उनकी सहायता के लिए उनका हरण किया था।
सिंजारा की रौनक
सिंजारा के दिन विवाहित महिलाओं को उनके मायके से घेवर, लहरिया साड़ी, मेहंदी, चूड़ियां, और अन्य श्रृंगार सामग्री भेजी जाती है। यह परंपरा तीज के उत्सव को और भी खास बनाती है।
जयपुरवासियों से अपील है कि वे इस पर्व के उत्साह में शामिल हों और ट्रैफिक नियमों का पालन करें, ताकि यह आयोजन सुचारू रूप से संपन्न हो सके।