अश्लील कंटेंट के खिलाफ सरकार की सख्त कार्रवाई,24 OTT प्लेटफॉर्म बैन पिछले साल 18 ऐप्स किए थे बंद

केंद्र सरकार ने ALTT, Ullu, Big Shots सहित 24 OTT प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री प्रसारित करने के लिए प्रतिबंध लगा दिया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को इनके ऐप्स और वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का निर्देश दिया।

Jul 25, 2025 - 13:31
अश्लील कंटेंट के खिलाफ सरकार की सख्त कार्रवाई,24 OTT प्लेटफॉर्म बैन पिछले साल 18 ऐप्स किए थे बंद

केंद्र सरकार ने डिजिटल मनोरंजन के क्षेत्र में बढ़ते अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट पर कड़ा रुख अपनाते हुए शुक्रवार को 24 OTT (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इन प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील, भद्दे और अनैतिक सामग्री प्रसारित करने का आरोप लगाया है, जो मनोरंजन के नाम पर समाज के नैतिक मूल्यों को नुकसान पहुंचा रहे थे।

सरकार ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) को नोटिफिकेशन जारी कर इन OTT ऐप्स और वेबसाइट्स को तत्काल प्रभाव से ब्लॉक करने का निर्देश दिया है। इस कार्रवाई को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सामग्री को नियंत्रित करने और समाज में स्वस्थ मनोरंजन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

बैन किए गए OTT प्लेटफॉर्म्स की सूची

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अनुसार, जिन 24 OTT प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें शामिल हैं:

ALTT, Ullu, Big Shots, Desiflix, Boomex, Navarasa Lite, Gulab App, Kangan App, Bull App, Jalwa App, Vav Entertainment, Look Entertainment, Hitprime, Fenio, Showx, Soul Talkies, Adda TV, HotX VIP, Halchal App, MoodX, NeonX VIP, Fugi, Mojflix, और Triflicks

इन प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और आपत्तिजनक वीडियो सामग्री परोसने का आरोप है, जिसमें महिलाओं को अपमानजनक तरीके से चित्रित करना, अनैतिक रिश्तों को बढ़ावा देना और यौन रूप से स्पष्ट दृश्य शामिल हैं।

पहले भी हो चुकी है कार्रवाई

यह पहली बार नहीं है जब केंद्र सरकार ने इस तरह की सख्ती दिखाई है। इससे पहले मार्च 2023 में भी सरकार ने अश्लील कंटेंट को लेकर 18 OTT प्लेटफॉर्म्स, 19 वेबसाइट्स, 10 ऐप्स और 57 सोशल मीडिया हैंडल्स पर प्रतिबंध लगाया था। उस समय भी इन प्लेटफॉर्म्स को कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन सामग्री में सुधार न होने के कारण सरकार को कड़ा कदम उठाना पड़ा।

इस बार भी मंत्रालय ने बताया कि इन 24 OTT प्लेटफॉर्म्स को पहले कई बार नोटिस और चेतावनी जारी की गई थी। इसके बावजूद, इनके कंटेंट में कोई सुधार नहीं देखा गया, जिसके बाद सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act) की धारा 67 और 67A, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292, और महिलाओं के अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986 की धारा 4 के तहत कार्रवाई की गई।

क्यों जरूरी थी यह कार्रवाई?

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि इन OTT प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध सामग्री न केवल अश्लील थी, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों के लिए भी हानिकारक थी। कई प्लेटफॉर्म्स पर ऐसी सामग्री थी जो महिलाओं को अपमानजनक तरीके से प्रस्तुत करती थी और अनुचित संदर्भों में यौन कृत्यों को दर्शाती थी। कुछ मामलों में, शिक्षक-छात्र और पारिवारिक रिश्तों को गलत तरीके से चित्रित किया गया, जो सामाजिक संरचना पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

मंत्रालय ने यह भी बताया कि इन प्लेटफॉर्म्स ने सोशल मीडिया का व्यापक उपयोग किया, जिसमें ट्रेलर और क्लिप्स के जरिए अश्लील सामग्री का प्रचार किया गया। कुछ ऐप्स के गूगल प्ले स्टोर पर 50 लाख से अधिक डाउनलोड्स थे, और इनके सोशल मीडिया हैंडल्स की पहुंच 32 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं तक थी।

सरकार का जीरो टॉलरेंस रुख

केंद्र सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने की बात दोहराई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा, "हमारा उद्देश्य डिजिटल माध्यमों को स्वच्छ और नैतिक बनाना है, ताकि यह समाज के लिए सुरक्षित और प्रेरणादायक हो।" मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों, जैसे गृह मंत्रालय (MHA), महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY), और कानूनी मामलों के विभाग (DoLA) के साथ-साथ मीडिया, मनोरंजन, और महिला व बाल अधिकारों के विशेषज्ञों के परामर्श से यह निर्णय लिया।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की निगरानी को और सख्त करेगी। मंत्रालय ने OTT प्लेटफॉर्म्स को सामग्री वर्गीकरण, आयु-आधारित रेटिंग, और स्व-नियमन (self-regulation) के नियमों का पालन करने की चेतावनी दी है। इसके अलावा, बच्चों तक 'ए' रेटेड कंटेंट की पहुंच को रोकने के लिए एक्सेस कंट्रोल मैकेनिज्म लागू करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है और अप्रैल 2025 में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और OTT प्लेटफॉर्म्स से जवाब मांगा था। कोर्ट ने इसे एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बताया और सरकार से नियमन के लिए कदम उठाने को कहा।

Yashaswani Journalist at The Khatak .