"शहर हुआ जलमग्न"MDM अस्पताल का यह दृश्य जहां मरीजों को ट्रैक्टर के माध्यम से ले जाया जा रहा.

जोधपुर में मूसलाधार बारिश ने शहर को जलमग्न कर दिया। सड़कें नदियों में तब्दील, खासकर एमडीएम अस्पताल के बाहर पानी का समंदर। मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए नगर निगम का ट्रैक्टर बना एकमात्र सहारा। सरदारपुरा, चौपासनी, शास्त्री नगर जैसे इलाकों में जलभराव से जनजीवन ठप। ड्रेनेज सिस्टम की नाकामी ने बढ़ाई मुश्किलें, प्रशासन अलर्ट मोड में।

Sep 1, 2025 - 11:30
"शहर हुआ जलमग्न"MDM अस्पताल का यह दृश्य जहां मरीजों को ट्रैक्टर के माध्यम से ले जाया जा रहा.

जोधपुर, राजस्थान का सूर्यनगरी, इन दिनों बादलों के कहर का शिकार बन चुका है। बीती रात से रुक-रुककर हो रही मूसलाधार बारिश ने पूरे शहर को जलमग्न कर दिया है। सड़कें तालाब बन गई हैं, गलियां नदियों में तब्दील हो चुकी हैं, और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। खासकर मथुरादास माथुर (एमडीएम) अस्पताल के आसपास का दृश्य तो दिल दहला देने वाला है, जहां मरीजों और अस्पताल स्टाफ को पहुंचाने के लिए नगर निगम का ट्रैक्टर एकमात्र सहारा बन गया है।

शहर में जलभराव का कहर

पिछले 10 घंटों से जोधपुर में बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। सरदारपुरा, चौपासनी रोड, नेहरू पार्क, चांदपोल, सूरसागर, शास्त्री नगर, और तिंवरी जैसे इलाकों में हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। सड़कों पर एक से दो फीट तक पानी जमा हो गया है, जिससे वाहन चालकों और पैदल यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तिंवरी क्षेत्र में तो एक बुलेरो वाहन के पानी के तेज बहाव में बहने की खबर ने हड़कंप मचा दिया।

MDM अस्पताल: ट्रैक्टर ही बना एकमात्र रास्ता

मथुरादास माथुर अस्पताल, जो जोधपुर का प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र है, वहां का हाल सबसे बुरा है। अस्पताल के मुख्य द्वार पर पानी का ऐसा समंदर उमड़ा है कि मरीजों और स्टाफ के लिए पैदल पहुंचना असंभव हो गया है। नगर निगम की टीम ने इस संकट में ट्रैक्टरों को उतारा है, जो मरीजों को पानी के बीच से अस्पताल तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। यह दृश्य न केवल अस्पताल की बदहाल व्यवस्था को उजागर करता है, बल्कि शहर के ड्रेनेज सिस्टम की पोल भी खोलता है।

ड्रेनेज सिस्टम की नाकामी

जोधपुर में हर बारिश के बाद यही कहानी दोहराई जाती है। नालों की नियमित सफाई न होने और अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था के कारण थोड़ी सी बारिश भी शहर को जलमग्न कर देती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते नालों की सफाई और ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किया जाता, तो हालात इतने बदतर न होते। प्रशासन और नगर निगम भले ही अलर्ट मोड में होने का दावा करें, लेकिन सड़कों पर जमा पानी और लोगों की परेशानी उनकी तैयारियों की हकीकत बयां कर रही है।

प्रशासन का दावा, हकीकत से कोसों दूर

जोधपुर जिला प्रशासन और नगर निगम ने मानसून से पहले जलभराव रोकने के लिए बड़े-बड़े दावे किए थे। जून 2025 में जिला प्रशासन ने नगर निगम और जलदाय विभाग के साथ मिलकर तैयारियों की समीक्षा भी की थी, जिसमें जल निकासी के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन बारिश ने आते ही इन दावों की हवा निकाल दी। सड़कों पर गड्ढे, नालों में कचरा, और अपर्याप्त ड्रेनेज सिस्टम ने शहरवासियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

लोगों की परेशानी, प्रशासन की लापरवाही

स्थानीय निवासियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। उनका कहना है कि हर साल बारिश के मौसम में यही हाल होता है, लेकिन नगर निगम और प्रशासन कोई स्थायी समाधान नहीं निकालते। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "हर बार बारिश में सड़कें नदियां बन जाती हैं, और हमारा घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। नालों की सफाई का दावा तो होता है, लेकिन हकीकत में कचरा सड़कों पर ही बिखरा रहता है।"

आगे क्या?

मौसम विभाग के अनुसार, जोधपुर में अगले कुछ दिनों तक बारिश की संभावना बनी रहेगी। ऐसे में प्रशासन को तत्काल कदम उठाने होंगे। नालों की सफाई, पंपों की व्यवस्था, और ड्रेनेज सिस्टम की समीक्षा अब और टाली नहीं जा सकती। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि नगर निगम तुरंत पंप लगाकर पानी निकाले और भविष्य के लिए स्थायी समाधान ढूंढे।  

सावधानी बरतें, सुरक्षित रहें

प्रशासन ने शहरवासियों से अपील की है कि बिना जरूरी काम के घर से बाहर न निकलें। सड़कों पर पानी और गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। साथ ही, बिजली की तारों और खंभों से सावधान रहने की हिदायत दी गई है, क्योंकि हाल ही में बारिश के दौरान टूटी बिजली की लाइन से चार लोग घायल हो चुके हैं। 

जोधपुरवासियों के लिए यह बारिश राहत कम, मुसीबत ज्यादा लेकर आई है। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस संकट से सबक लेगा, या अगले मानसून में फिर वही कहानी दोहराई जाएगी