**पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के नापाक निर्णय: बोले, "हम इसे युद्ध का आगाज मानते हैं"**
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के सख्त कदमों से बौखलाए पाकिस्तान ने वीजा निलंबन, हवाई क्षेत्र बंदी, और मिसाइल परीक्षण जैसे उकसावे वाले निर्णय लिए। उसने भारत के कदमों को "युद्ध का आगाज" करार देते हुए शिमला समझौते का उल्लंघन किया। ये कदम उसकी हताशा को दर्शाते हैं और क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा रहे हैं।

कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को युद्ध की कगार पर ला खड़ा किया है। इस कायरतापूर्ण हमले में 27 निर्दोष लोगों की जान गई और कई घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान की धरती से संचालित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के छद्म संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) ने ली। भारत ने इस नापाक हरकत का जवाब सख्त कदमों से दिया, जिसमें सिंधु जल समझौता रद्द करना, अटारी-वाघा बॉर्डर चेकपोस्ट बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना, और पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारियों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का अल्टीमेटम देना शामिल है। इन कदमों से बौखलाए पाकिस्तान ने 24 अप्रैल 2025 को कई हताश और उकसावे वाले निर्णय लिए, साथ ही धमकी भरे लहजे में कहा, "हम भारत के इन कदमों को युद्ध का आगाज मानते हैं।" ये कदम न केवल उसकी कमजोरी को उजागर करते हैं, बल्कि 1972 के शिमला समझौते की भावना का भी खुला उल्लंघन करते हैं, जिसके तहत दोनों देशों ने विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने का वादा किया था। नीचे पाकिस्तान के इन निर्णयों का विस्तृत विश्लेषण है:
### 1. **भारतीय नागरिकों के लिए वीजा निलंबन: खोखली धमकी**
पाकिस्तान ने भारतीय नागरिकों के लिए वीजा सुविधा को तत्काल निलंबित कर दिया, केवल सिख तीर्थयात्रियों को करतारपुर कॉरिडोर के लिए छूट दी। यह कदम भारत द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने के जवाब में है, लेकिन यह केवल एक दिखावटी प्रतिक्रिया है। पाकिस्तान में भारतीयों की संख्या नगण्य है, और यह निर्णय उसकी कूटनीतिक नाकामी को ही उजागर करता है। यह कदम उसकी जनता को भड़काने की नाकाम कोशिश है, जो भारत के सामने उसकी कमजोर स्थिति को और स्पष्ट करता है।
### 2. **भारतीयों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश: बेमानी फरमान**
पाकिस्तान ने अपने क्षेत्र में मौजूद भारतीय नागरिकों (सिख तीर्थयात्रियों को छोड़कर) को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया। यह भारत के समान आदेश की नकल है, लेकिन हकीकत में यह बेमानी है। पाकिस्तान में भारतीय नागरिकों की मौजूदगी न के बराबर है, और यह आदेश केवल उसकी हताशा को दर्शाता है। यह कदम भारत के सख्त रुख के सामने पाकिस्तान की बेबसी को रेखांकित करता है।
### 3. **भारतीय विमानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद: आत्मघाती कदम**
पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइंस के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने की घोषणा की। यह भारत के उस कदम के जवाब में है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब से लौटते समय पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उपयोग नहीं किया। यह निर्णय पाकिस्तान की अपनी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा, क्योंकि हवाई क्षेत्र से होने वाली आय कम होगी। भारत के पास वैकल्पिक मार्ग हैं, लेकिन पाकिस्तान का यह कदम उसकी गैर-जिम्मेदाराना नीति और कमजोर रणनीति को दर्शाता है।
### 4. **मिसाइल परीक्षण की घोषणा: डराने की नाकाम कोशिश**
पाकिस्तान ने भारत के सख्त रवैये के जवाब में एक मिसाइल परीक्षण की घोषणा की, जिसे 24 अप्रैल 2025 को भारत की सैन्य चेतावनी के बाद सार्वजनिक किया गया। पाकिस्तानी नेतृत्व ने इसे "क्षेत्रीय ताकत का प्रदर्शन" बताया, लेकिन यह केवल भारत को डराने की खोखली धमकी है। पाकिस्तान की सैन्य और आर्थिक स्थिति भारत के सामने कमजोर है, और यह कदम उसकी हताशा को ही उजागर करता है। मिसाइल की प्रकृति और समय अभी अस्पष्ट है, जो इस घोषणा की गंभीरता पर सवाल उठाता है।
### 5. **राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की आपात बैठक: हार की औपचारिकता**
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 24 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की आपात बैठक बुलाई, जिसमें शीर्ष सैन्य और नागरिक नेतृत्व शामिल हुआ। पाकिस्तान ने हमले को "भारत का झूठा ऑपरेशन" करार देकर अपनी संलिप्तता से इनकार करने की पुरानी चाल चली। इस बैठक में भारत के कदमों को "युद्ध का आगाज" बताकर भड़काऊ बयान दिए गए। यह केवल अपनी जनता को गुमराह करने और भारत के सख्त रुख के सामने अपनी बेबसी छिपाने की कोशिश थी।
### 6. **आर्थिक और कूटनीतिक जवाब की नाकाम योजना**
पहलगाम हमले के बाद भारत के कदमों से कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE-100) में 2500 अंकों की गिरावट आई, जिसने पाकिस्तान की पहले से ही डगमगाती अर्थव्यवस्था को झटका दिया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध और सीमित करने की योजना बनाई, लेकिन यह केवल खोखली बातें हैं। भारत के साथ पहले से ही न्यूनतम व्यापार को और कम करके पाकिस्तान अपनी ही अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा।
### **शिमला समझौते का उल्लंघन: पाकिस्तान की नई चाल**
1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए शिमला समझौते में दोनों देशों ने सहमति जताई थी कि वे अपने विवादों को शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय तरीके से हल करेंगे। इस समझौते ने दोनों देशों को युद्ध के बाद एक नई शुरुआत का मौका दिया था, जिसमें हिंसा और तनाव के बजाय बातचीत को प्राथमिकता दी गई। लेकिन पहलगाम हमले और उसके बाद पाकिस्तान के उकसावे वाले कदम—जैसे मिसाइल परीक्षण की घोषणा और "युद्ध का आगाज" जैसे बयान—शिमला समझौते की भावना का खुला उल्लंघन हैं। यह साफ दर्शाता है कि पाकिस्तान शांति की राह पर चलने के बजाय आतंकवाद और तनाव को बढ़ावा देने में लगा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल समझौते की मूल भावना के खिलाफ है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान की साख को और कमजोर करेगा।
### **पाकिस्तान का भड़काऊ बयान: "युद्ध का आगाज"**
पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से खबर है कि सरकार और सैन्य नेतृत्व ने भारत के कदमों को "युद्ध का आगाज" करार दिया है। यह बयान न केवल उकसावे वाला है, बल्कि पाकिस्तान की कमजोर स्थिति को भी उजागर करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान भारत के खिलाफ जनता को भड़काने और अपनी नाकामी छिपाने की कोशिश है। पाकिस्तान की सैन्य और आर्थिक क्षमता भारत के सामने टिकने की स्थिति में नहीं है, और यह बयान केवल उसकी हताशा को दर्शाता है।
### **जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया**
पाकिस्तान में 'मोदी', 'कश्मीर', और 'पहलगाम अटैक' जैसे कीवर्ड्स की गूगल सर्च में तेजी देखी गई, जो जनता के डर और चिंता को दर्शाता है। सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी यूजर्स के बीच गुस्सा और डर का माहौल है, लेकिन सरकार के इन कमजोर कदमों और भड़काऊ बयानों से जनता का भरोसा भी डगमगा रहा है।
### **अंतरराष्ट्रीय समुदाय का रुख**
बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की है, और पाकिस्तान के आतंक समर्थन को लेकर उसकी वैश्विक आलोचना हो रही है। उसके जवाबी कदमों और "युद्ध का आगाज" जैसे बयानों को गैर-जिम्मेदाराना माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों से दोनों देशों को संयम बरतने की अपील की उम्मीद है, लेकिन पाकिस्तान की इन हरकतों ने उसकी वैश्विक साख को और नुकसान पहुंचाया है। शिमला समझौते का उल्लंघन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।
### **निष्कर्ष**
पाकिस्तान के ये नापाक निर्णय, "युद्ध का आगाज" जैसे भड़काऊ बयान, और शिमला समझौते का खुला उल्लंघन पहलगाम हमले के बाद भारत के सख्त रुख के सामने उसकी हताशा और कमजोरी को उजागर करते हैं। वीजा निलंबन, हवाई क्षेत्र बंदी, और मिसाइल परीक्षण की धमकी जैसे कदम न तो भारत को प्रभावित करेंगे और न ही पाकिस्तान की स्थिति को मजबूत करेंगे। भारत का सिंधु जल समझौता रद्द करना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और कृषि के लिए करारा झटका है, जिसके सामने उसके ये कदम बौने साबित हो रहे हैं। ये कदम और बयान केवल क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाने और पाकिस्तान की वैश्विक छवि को और धूमिल करने का काम करेंगे। भारत की सख्त कार्रवाइयों ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया है, और उसकी ये बचकानी हरकतें युद्ध की आग में घी डालने जैसी हैं।