जोधपुर में ठेकेदारों का धरना प्रदर्शन: बकाया भुगतान और टूटी उम्मीदों के खिलाफ पीडब्ल्यूडी ऑफिस के बाहर धरना
जोधपुर में संयुक्त ठेकेदार महासंघ राजस्थान प्रदेश के बैनर तले ठेकेदारों ने पीडब्ल्यूडी ऑफिस के बाहर धरना दिया। बकाया भुगतान, भ्रष्टाचार, और जटिल निविदा प्रक्रिया के खिलाफ यह आंदोलन है। ठेकेदारों ने त्वरित भुगतान, पारदर्शिता, और डीएलपी अवधि में कमी की मांग की। सरकार के आश्वासनों के बावजूद समस्याएं अनसुलझी हैं, जिससे ठेकेदारों का गुस्सा बढ़ रहा है।

जोधपुर में ठेकेदारों का गुस्सा अब सड़कों पर उतर आया है। संयुक्त ठेकेदार महासंघ राजस्थान प्रदेश के बैनर तले ठेकेदारों ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ऑफिस के बाहर धरना देकर सरकार और विभागीय अधिकारियों की नीतियों पर जमकर निशाना साधा। बकाया भुगतान की मांग को लेकर शुरू हुआ यह आंदोलन राजस्थान में ठेकेदारों की बढ़ती समस्याओं और सरकार के वादों पर अमल न होने की निराशा को उजागर करता है। ठेकेदारों का कहना है कि सरकार ने बार-बार आश्वासन दिए, लेकिन धरातल पर कोई बदलाव नहीं आया। आइए जानते हैं इस धरने के पीछे की पूरी कहानी और ठेकेदारों की मांगें।
धरने का कारण: बकाया भुगतान और अनदेखी
संघर्ष समिति के नेतृत्व में जोधपुर के पीडब्ल्यूडी ऑफिस के बाहर धरना देने वाले ठेकेदारों का कहना है कि उनके बकाया बिलों का भुगतान महीनों से लंबित है। कई ठेकेदारों ने सड़क निर्माण, भवन निर्माण, और अन्य सरकारी परियोजनाओं में काम पूरा कर लिया, लेकिन भुगतान न होने से उनकी आर्थिक स्थिति डगमगा रही है। ठेकेदारों का आरोप है कि पीडब्ल्यूडी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के कारण उनके बिलों को जानबूझकर रोका जा रहा है।
संयुक्त ठेकेदार महासंघ के एक प्रतिनिधि ने कहा, "हमने सरकार के लिए दिन-रात मेहनत की, लेकिन जब भुगतान की बारी आती है, तो हमें सिर्फ आश्वासन मिलते हैं। कई ठेकेदार कर्ज के बोझ तले दब चुके हैं, और कुछ तो अपने कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकला, जिसके कारण उन्हें धरने का रास्ता अपनाना पड़ा।
ठेकेदारों की प्रमुख मांगें:
ठेकेदारों ने अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
बकाया भुगतान का तुरंत निपटारा: ठेकेदारों ने मांग की है कि सभी लंबित बिलों का भुगतान समयबद्ध तरीके से किया जाए।
कमीशनखोरी पर रोक: पीडब्ल्यूडी विभाग में भुगतान के लिए कथित तौर पर मांगी जाने वाली रिश्वत और कमीशन की प्रथा को खत्म किया जाए।
निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता: ठेकेदारों ने निविदा (टेंडर) प्रक्रिया में सुधार और पारदर्शिता की मांग की, ताकि छोटे और मझोले ठेकेदारों को भी समान अवसर मिलें।
डीएलपी अवधि में कमी: डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड (डीएलपी) को 5 वर्ष से घटाकर 1 वर्ष करने की मांग, ताकि ठेकेदारों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।
ट्रेजरी से त्वरित भुगतान: भुगतान प्रक्रिया को सरल और तेज करने के लिए ट्रेजरी से सीधे भुगतान की व्यवस्था।
स्थानांतरण नीति में सुधार: पीडब्ल्यूडी विभाग में वर्षों से जमे हुए अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण की मांग, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे।
सरकार और विभाग का रुख:
हालांकि, इस धरने के जवाब में पीडब्ल्यूडी विभाग या सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। सूत्रों के अनुसार, विभाग ने ठेकेदारों के साथ वार्ता के लिए समय मांगा है, लेकिन ठेकेदार अब केवल आश्वासनों पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। इससे पहले भी जयपुर में यूनाइटेड कांट्रेक्टर एसोसिएशन के बैनर तले ठेकेदारों ने इसी तरह का आंदोलन किया था, लेकिन तब भी उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं।
राजस्थान में ठेकेदारों की समस्याएं:
राजस्थान में ठेकेदारों की समस्याएं कोई नई बात नहीं हैं। बकाया भुगतान, भ्रष्टाचार, और जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाओं ने ठेकेदारों का जीना मुहाल कर रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि पीडब्ल्यूडी विभाग में सुधार और डिजिटल भुगतान प्रणाली लागू करने से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है। हालांकि, सरकार की ओर से ठोस कदम न उठाने के कारण ठेकेदारों का असंतोष बढ़ता जा रहा है
जोधपुर में ठेकेदारों का धरना न केवल बकाया भुगतान की मांग तक सीमित है, बल्कि यह सरकार की नीतियों और प्रशासनिक अड़चनों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन बनने की ओर अग्रसर है। संयुक्त ठेकेदार महासंघ ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे पीछे नहीं हटेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या ठेकेदारों को उनका हक मिल पाता है। फिलहाल, जोधपुर का पीडब्ल्यूडी ऑफिस ठेकेदारों के गुस्से और उम्मीदों का केंद्र बना हुआ है।