रहस्यों से पर्दा उठा: 3500 साल पुरानी सभ्यता और गुप्तकालीन नरकंकाल का चौंकाने वाला खुलासा!

ASI की खुदाई में 3500 साल पुरानी सभ्यता, गुप्तकालीन नरकंकाल और सरस्वती नदी का पैलियो-चैनल मिला, जिसमें हड़प्पा से गुप्त काल तक के अवशेष शामिल हैं।

Jun 29, 2025 - 12:44
रहस्यों से पर्दा उठा: 3500 साल पुरानी सभ्यता और गुप्तकालीन नरकंकाल का चौंकाने वाला खुलासा!

राजस्थान के डीग में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की जा रही खुदाई में इतिहास के पन्नों को जीवंत करने वाले अवशेष सामने आए हैं। जनवरी 2024 से शुरू हुई इस खुदाई में अब तक करीब 3500 साल पुरानी सभ्यता के साक्ष्य, एक प्राचीन नदी चैनल (पैलियो-चैनल), और हाल ही में लगभग 1700 साल पुराना गुप्तकालीन नरकंकाल मिला है। इस नरकंकाल को आगे के अध्ययन के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) भेजा गया है।

प्राचीन सरस्वती नदी का पैलियो-चैनल

डीग के बहज गांव में जमीन के 23 मीटर नीचे एक सूखा नदी चैनल मिला, जिसे वैज्ञानिकों ने पौराणिक सरस्वती नदी का हिस्सा माना है। यह वही सरस्वती नदी हो सकती है, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसी नदी के किनारे 4500 साल पुरानी सभ्यता विकसित हुई थी। यह खोज न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत के लिए पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

पांच युगों की सभ्यताओं के अवशेष

डीग की खुदाई में अब तक पांच युगों—हड़प्पा सभ्यता, महाभारत काल, मौर्य काल, कुषाण काल और गुप्त काल—के साक्ष्य मिले हैं। खुदाई के दौरान मिले मिट्टी के बर्तन, हवन कुंड, ब्राह्मी लिपि की प्राचीन मुहरें, तांबे के सिक्के, और हड्डी से बने औजार जैसे सुई, कंघे और सांचे इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। इसके अलावा, 15 से अधिक यज्ञ कुंड और भगवान शिव व पार्वती की मूर्तियां भी प्राप्त हुई हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की ओर इशारा करती हैं।

गुप्तकालीन नरकंकाल की खोज

हाल ही में मिला 1700 साल पुराना नरकंकाल गुप्त काल से संबंधित है। यह नरकंकाल पुरातत्वविदों के लिए एक महत्वपूर्ण खोज है, क्योंकि यह उस समय की जीवनशैली, स्वास्थ्य और संस्कृति के बारे में नई जानकारी दे सकता है। इसे विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए BHU भेजा गया है।

खोज का महत्व

डीग में हो रही यह खुदाई भारत के प्राचीन इतिहास को समझने में मील का पत्थर साबित हो सकती है। हड़प्पा सभ्यता से लेकर गुप्त काल तक के अवशेषों की खोज इस क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल के रूप में स्थापित करती है। सरस्वती नदी के पैलियो-चैनल की खोज न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और पौराणिक ग्रंथों के ऐतिहासिक संदर्भों को भी मजबूती प्रदान करती है।

यह खोज न सिर्फ पुरातत्वविदों बल्कि इतिहासकारों, वैज्ञानिकों और आम जनता के लिए भी उत्साह का विषय है। डीग की यह खुदाई भारत के गौरवशाली अतीत को उजागर करने की दिशा में एक और कदम है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .