भारत के सिंधु जल संधि निलंबन के बाद पाकिस्तान की बेचैनी, चार पत्र भेजकर की पुनर्विचार की अपील
भारत ने सिंधु जल संधि (1960) को निलंबित कर पाकिस्तान में जल संकट गहरा दिया, जिसके बाद पाकिस्तान ने चार पत्र भेजकर पुनर्विचार की अपील की। मंगला और तरबेला बांधों में 50% जल कमी और खरीफ फसलों के लिए 21% पानी की कमी से पाकिस्तान परेशान है। भारत ने यह कदम पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में उठाया, जबकि पाकिस्तान संधि को दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण मानता है।

भारत द्वारा सिंधु जल संधि (1960) को निलंबित करने के फैसले ने पाकिस्तान में हड़कंप मचा दिया है। इस कदम के बाद पाकिस्तान ने भारत को चार पत्र भेजकर संधि को बहाल करने और फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत यह निलंबन 23 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।
पाकिस्तान, जो पहले से ही भीषण जल संकट से जूझ रहा है, पर इस निलंबन का गहरा असर पड़ा है। मंगला और तरबेला बांधों में जल स्तर 50% तक गिर गया है, जबकि खरीफ फसलों के लिए पानी की 21% कमी दर्ज की गई है। पाकिस्तान का कहना है कि यह संधि दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है और इसे रद्द करना दोनों पक्षों के हित में नहीं है।
दूसरी ओर, भारत ने इस निलंबन को सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत जवाबी कार्रवाई करार दिया है। भारत का तर्क है कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने के कारण यह कदम जरूरी हो गया था।
पाकिस्तान ने अपने पत्रों में जल संकट की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा है कि संधि का निलंबन उनकी कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित हो रहा है। हालांकि, भारत ने अभी तक इन पत्रों का कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है।
यह विवाद दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है, क्योंकि सिंधु जल संधि दशकों से भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे का एक महत्वपूर्ण समझौता रही है। स्थिति पर दोनों देशों की अगली प्रतिक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हैं।