सेक्स वर्क: काम या कलंक? — 2 जून 'Sex Workers' Day' पर एक विशेष रिपोर्ट
"काम के हक़ के लिए चर्च में धरना": Sex Workers' Day का इतिहास

2 जून 1975 को फ्रांस के लियोन शहर में करीब 100 सेक्स वर्कर्स ने पुलिस की बर्बरता, शोषण और असुरक्षा के खिलाफ एक चर्च में धरना दिया। यह विरोध, सेक्स वर्कर्स के हक़ और सम्मान के लिए पहला संगठित आंदोलन माना जाता है।
इसी ऐतिहासिक घटना को याद करते हुए हर साल 2 जून को 'International Sex Workers' Day' मनाया जाता है — ताकि यह समझा जा सके कि सेक्स वर्क कोई अपराध नहीं, बल्कि एक पेशा है।
दुनिया में कहां-कहां सेक्स वर्क कानूनी है?
नीदरलैंड्स कानूनी रेड लाइट एरिया नियमित, टैक्स सिस्टम
जर्मनी कानूनी हेल्थ चेकअप, वर्कर अधिकार
न्यूज़ीलैंड कानूनी Prostitution Reform Act 2003
ऑस्ट्रेलिया कुछ राज्यों में कानूनी न्यू साउथ वेल्स में वैध
भारत आंशिक रूप से कानूनी खुद से सेक्स वर्क वैध, मगर दलाली/कोठा अवैध
USA सिर्फ नेवादा के कुछ इलाकों में वैध बाकी सभी राज्यों में अवैध
भारत में सेक्स वर्क कहां सबसे ज़्यादा होता है?
सोनागाछी, कोलकाता
एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया
10,000+ सेक्स वर्कर्स
Durbar Mahila Samanwaya Committee द्वारा संगठन और अधिकारों की लड़ाई
कमाठीपुरा, मुंबई
ब्रिटिश काल से सक्रिय
रिडेवलपमेंट के चलते आज कम क्षेत्रफल में
नेपाल, बंगाल, कर्नाटक से महिलाएं
GB रोड, दिल्ली
बाज़ार और कोठों का मेल
80 से अधिक कोठे
सुरक्षा और मानव तस्करी से जुड़े विवाद
चारा घाट, पटना
बिहार का सबसे प्रमुख सेक्स वर्क क्षेत्र
सुविधाओं की भारी कमी
पूर्वोत्तर भारत: गुवाहाटी, शिलांग
टूरिज़्म और ट्रैफिकिंग के चलते तेजी से बढ़ता नेटवर्क
भारत में सेक्स वर्कर्स की संख्या और स्थिति: आँकड़ों की एक झलक
भारत में सेक्स वर्कर्स की संख्या और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को लेकर सटीक और व्यापक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि यह क्षेत्र अनौपचारिक और छुपा हुआ है। फिर भी, विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के अनुमानित आंकड़े इस क्षेत्र की वास्तविकताओं को समझने में मदद करते हैं।
सेक्स वर्कर्स की अनुमानित संख्या
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के अनुसार, वर्ष 2020 तक भारत में लगभग 8.68 लाख महिला सेक्स वर्कर्स हैं। हालांकि, इसमें पुरुष और ट्रांसजेंडर सेक्स वर्कर्स शामिल नहीं हैं। गैर-सरकारी संगठनों का अनुमान है कि कुल सेक्स वर्कर्स की संख्या 15 से 20 लाख के बीच हो सकती है, जो इस क्षेत्र की व्यापकता को दर्शाता है।
लिंग आधारित वितरण
भारतीय सेक्स वर्कर्स में अधिकांश महिलाएँ हैं, लेकिन पुरुष और ट्रांसजेंडर सेक्स वर्कर्स की संख्या भी बढ़ती जा रही है। विशेष रूप से ट्रांसजेंडर सेक्स वर्कर्स की संख्या लगभग 50,000 से 1 लाख के बीच आंकी गई है, जो इस समुदाय की विशिष्ट चुनौतियों को उजागर करता है।
स्वास्थ्य संबंधी स्थिति
NACO की रिपोर्ट के मुताबिक, सेक्स वर्कर्स में एचआईवी संक्रमण की दर 1.85% है, जो सामान्य जनसंख्या की तुलना में अधिक है। लगभग 60% सेक्स वर्कर्स नियमित रूप से कंडोम का उपयोग करते हैं, हालांकि ग्रामीण और अनौपचारिक क्षेत्रों में यह प्रतिशत कम पाया गया है, जिससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं।
मानव तस्करी से जुड़ी चिंताएं
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में मानव तस्करी के 2,189 मामले दर्ज हुए, जिनमें से अधिकांश सेक्स वर्क से जुड़े थे। इन मामलों में पीड़ितों में बड़ी संख्या महिलाएँ और नाबालिग शामिल हैं, जो इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
आर्थिक स्थिति और आय का स्रोत
एक औसत सेक्स वर्कर की दैनिक आय ₹200 से ₹2,000 के बीच हो सकती है, लेकिन इसमें से अधिकतर हिस्सा दलालों, मकान मालिकों या अन्य बिचौलियों को जाता है। इस आर्थिक असमानता के कारण सेक्स वर्कर्स की आर्थिक स्थिति अक्सर कमजोर रहती है।
भारत में सेक्स वर्क की कानूनी स्थिति: जटिल लेकिन स्पष्ट
भारत में सेक्स वर्क पूरी तरह अवैध नहीं है, बल्कि इसे नियंत्रित करने वाले कानून जटिल और प्रतिबंधात्मक हैं। प्रमुख कानून, वेश्यावृत्ति उन्मूलन (निवारण) अधिनियम, 1956 (Immoral Traffic Prevention Act, ITPA) के तहत कुछ गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं, जबकि निजी और स्वैच्छिक सेक्स वर्क को कानूनी मान्यता प्राप्त है।
स्वैच्छिक सेक्स वर्क की कानूनी मान्यता
कानून के अनुसार, यदि कोई वयस्क व्यक्ति अपनी मर्जी से और सहमति से सेक्स वर्क करता है, तो वह अवैध नहीं माना जाता। ऐसे व्यक्तियों को पेशे के रूप में सेक्स वर्क करने का अधिकार है, बशर्ते वे सार्वजनिक नियमों का उल्लंघन न करें।
प्रतिबंधित गतिविधियाँ और सज़ाएं
हालांकि, वेश्यालय चलाना, दलाली करना, सार्वजनिक जगहों पर ग्राहकों को आकर्षित करना (सॉलिसिटिंग), और नाबालिगों को इस व्यवसाय में शामिल करना पूरी तरह गैरकानूनी है। इसके अलावा, सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील व्यवहार या सेक्स वर्क का प्रचार करना भी दंडनीय अपराध है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
मई 2022 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सेक्स वर्क को एक वैध पेशे के रूप में मान्यता दी। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिए कि वे स्वैच्छिक सेक्स वर्क करने वाले वयस्कों के खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई न करें। साथ ही, कोर्ट ने सेक्स वर्कर्स को सम्मान और कानूनी संरक्षण का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिया, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पहल
वर्ष 2020 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सेक्स वर्कर्स को अनौपचारिक श्रमिकों के रूप में मान्यता दी, जिससे उनके लिए सामाजिक सुरक्षा और कानूनी संरक्षण के नए द्वार खुले। यह कदम सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा और उनकी सामाजिक स्थिति सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण माना गया है।
सेक्स वर्कर्स की ज़िंदगी: हकीकत कैमरे के पीछे
“हम भी तो काम कर रहे हैं, मगर समाज हमें इज्ज़त नहीं देता”
अधिकांश महिलाएं गरीबी, घरेलू हिंसा, या तस्करी के कारण इस पेशे में आती हैं।
HIV, मानसिक तनाव, घरेलू हिंसा, और सामाजिक बहिष्कार उनकी रोज़ की चुनौतियाँ हैं।
फिर भी वे अपने बच्चों को पढ़ा रही हैं, घर चला रही हैं — वो सिर्फ ‘सेक्स वर्कर’ नहीं, एक इंसान हैं।
बदलाव की दिशा में कदम
NGOs जैसे Durbar (कोलकाता), Apne Aap Women Worldwide, और Sangram (महाराष्ट्र) सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए ज़मीन पर काम कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में सुझाव दिया था कि सेक्स वर्कर्स को भी पुलिस और कानून के सामने सम्मान मिलना चाहिए।
क्या चाहिए सेक्स वर्कर्स को?
कानूनी मान्यता
हेल्थकेयर और शिक्षा
बिना जजमेंट के इज्ज़त
ट्रैफिकिंग और बाल वेश्यावृत्ति पर सख्त कार्रवाई
अंत में सवाल सिर्फ इतना है: क्या हम उन्हें इंसान की तरह देख पाएंगे?
Sex work तब तक शोषण बना रहेगा जब तक हम इसे सिर्फ "गंदा काम" मानते रहेंगे। अगर यह चॉइस है, तो उसे हक़ मिलना चाहिए। अगर यह मजबूरी है, तो उसे सपोर्ट मिलना चाहिए।
इस 2 जून पर ज़रूरत है सिर्फ एक सोच की — कि हर इंसान, चाहे उसका पेशा कुछ भी हो, सम्मान का हकदार है।